करनाल: अनाज मंडी में विपक्ष के नेताओं के पहुंचने का दौर जारी है. सोमवार शाम के समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा करनाल की नई अनाज मंडी में पहुंचे और वहां पर उन्होंने मंडी में गेहूं खरीद का जायजा लिया साथ ही उन्होंने किसानों व कमीशन एजेंटों के साथ भी गेहूं खरीद पर इस बात की. मीडिया से बात करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज किसानों को इस सरकार में अपनी फसल को बेचने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. लेकिन फसल की सरकारी खरीद नहीं हो रही.
सरकार नाकाम, किसान परेशान: उन्होंने कहा कि सरकार बेवजह किसानों को परेशान कर रही है. चाहे वह सरसों की खरीद की बात हो या धान की खरीद की बात हो. किसी भी फसल का एमएसपी मूल्य किसानों को नहीं मिल रहा. किसानों की गेहूं की फसल में नमी बता कर या दाने में लॉस बता कर जानबूझकर पैसे काटे जा रहे हैं. जिससे किसान काफी परेशान हो चुके हैं. वहीं, ज्यादातर किसानों की फसल की अभी तक खरीद नहीं हुई उनकी फलस मे नमी बताकर उनकी खरीद नहीं की जा रही. आलम यह है कि अब किसान दूसरे राज्यों की तरफ रुख करने लगे हैं. ताकि वह अपनी फसल को हरियाणा में ना बेचकर दूसरे राज्यों में भेजें. कहीं ना कहीं सरकार की नाकामी है जिसके चलते किसान परेशान हो रहे हैं.
सरकार पर विपक्ष का तंज: पिछले दिनों हुई बारिश के चलते किसानों ने 17 लाख एकड़ से ज्यादा फसल खराबे की शिकायत की है. लेकिन, अब तक सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी मुश्किल से 10% फसल की ही गिरदावरी कर पाई है. गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है, ऐसे में कब तक गिरदावरी होगी और कब किसानों को मुआवजा मिलेगा. किसानों का कहना है कि सरकार के दबाव के चलते अधिकारी गिरदावरी में कम से कम खराबा दिखा रहे हैं. ताकि किसानों को कम मुआवजे में टरकाया जा सके. कांग्रेस की मांग है, कि किसानों के नुकसान को देखते हुए 25 हजार से लेकर 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए. साथ ही किसानों को प्रति क्विंटल 500 रुपए बोनस दिया जाए.
'किसानों पर बेमौसम बरसात की मार': साथ ही इस बार किसानों को फूटे दाने, छोटे दाने, नमी और लस्टर लॉस की लिमिट में और छूट दी जाए. क्योंकि इस बार मौसम की भयंकर मार के चलते 9 से 15% तक गेहूं का दाना फूटा हुआ है . लेकिन सरकार सिर्फ 6% तक ही खरीद कर रही है. इसी तरह 4 से 8% तक दाना डिस-कलर है. लेकिन खरीद सिर्फ 2% से नीचे की हो रही है. सरकार को समझना चाहिए लस्टर लॉस और नमी में किसानों का नहीं मौसम का दोष है. जिस तरह सरकार किसानों की फसल खरीदने से पल्ला झाड़ रही, उससे लगता है कि मौसम की मार से किसान का नहीं, सरकार का लस्टर लॉस हुआ है.
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'पोर्टल के नाम पर पंगु व्यवस्था': भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हैफेड और एफसीआई के एमडी से भी बात की और उन्हें जल्द से जल्द खरीद के लिए कहा, हुड्डा ने कहा कि मंडियों में खरीद का काम व 'मेरी फसल, मेरा ब्योरा पोर्टल' कई दिन से बंद पड़ा है. हर फसली सीजन में जरूरत के वक्त पोर्टल का करना बंद कर देता है. पोर्टल के नाम पर सरकार ने पूरी व्यवस्था को पंगु बना दिया है. जबकि कांग्रेस कार्यकाल में बिना पोर्टल की झंझट के किसानों की फसल खरीदी जाती थी. फिर से कांग्रेस सरकार बनने पर फिर से ऐसी व्यवस्था स्थापित की जाएगी. जिससे किसानों को ना फसल बेचने में देरी हो और ना ही उसके भुगतान में.
आढ़तियों को भी समस्या: हुड्डा के सामने किसानों के साथ आढ़तियों ने भी अपनी समस्याएं रखीं. उन्होंने बताया कि सरकार ने एक दुकान एक लाइसेंस नीति लागू की है. जबकि एक दुकान पर एक से ज्यादा पार्टनर या परिवार के एक से ज्यादा सदस्य काम करते हैं. इतना ही नहीं मार्केट कमेटी के साथ अब नगर निगम द्वारा भी मंडी में टैक्स वसूली की जा रही है. इसके चलते मंडी में काम करना महंगा पड़ रहा है.
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'सरकार को किसानों की समस्या समझनी चाहिए': इस बार आढ़त को भी 53 रुपए से घटाकर 46 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है. कोरोना काल में सरकार ने लेट पेमेंट पर ब्याज के साथ भुगतान का वादा किया गया था. आज तक भी आढ़तियों के करोड़ों रुपए की पेमेंट नहीं हुई है. इसी तरह सरकार ने लेट पेमेंट पर किसानों को ब्याज देने का वादा किया था. उसका भी सरकार ने भुगतान नहीं किया. हुड्डा ने कहा सरकार समय रहते ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए था, ताकि मंडी में आने वाले किसानों को किसी तरह की परेशानी ना हो. फसल की आवक को देखते हुए सरकार को मंडियों में लेबर से लेकर उतराई, बिजली-पानी और साफ-सफाई की उचित व्यवस्था करनी चाहिए.