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Indian Independence Day कृष्णपाल गुर्जर ने बल्लभगढ़ में फहराया तिरंगा, शहीदों को दी श्रद्धांजलि

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Published : Aug 15, 2022, 1:59 PM IST

Krishnapal Gurjar hoisted tricolor in Ballabhgarh
कृष्णपाल गुर्जर ने बल्लभगढ़ में फहराया तिरंगा

आजादी के 75 साल Indian Independence Day पूरे होने पर देश में जश्न मनाया जा रहा है और देश की आन, बान व Krishnapal Gurjar hoisted tricolor in Ballabhgarh शान तिरंगा फहराया जा रहा है. केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने बल्लभगढ़ के दशहरा मैदान में तिरंगा फहराया और शहीदों को दी श्रद्धांजलि दी.

फरीदाबादः बल्लभगढ़ के दशहरा मैदान में स्वतंत्रता दिवस (Indian Independence Day) बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने (Krishnapal Gurjar hoisted tricolor in Ballabhgarh) ठीक 8:58 मिनट पर देश की शान तिरंगा झंडा फहराया और परेड की सलामी ली. परेड की सलामी के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने प्रदेश और देशवासियों को आजादी के अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी. इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा कि इन महान सपूतों की शहादतों के कारण ही हम आजाद देश में सांस ले रहे हैं.

कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि स्वतंत्रता के लिए हरियाणा के लोगों ने भी अपने प्राणों की आहुति दी है. 1857 (75th Indian independence day) की क्रांति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि क्रांति के शुरुआत सबसे पहले अंबाला छावनी में हुई थी. 10 मार्च 1857 को हुई ये क्रांति मेरठ की क्रांति से 9 घंटे पहले शुरू हो गई थी. इसके बाद क्रांति की चिंगारी पूरे (Revolution in Ambala on 10 March 1857) हरियाणा में फैल गई थी. अंबाला के बाद नारनौल, हांसी, गुरुग्राम, मेवात, हिसार, भिवानी के गांव क्रांति के केंद्र बन गए थे.

कृष्णपाल गुर्जर ने बल्लभगढ़ में फहराया तिरंगा

इसके बाद पूरे देश में क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम (Independence Day) को रूप धारण किया जो आगे चल कर जन आंदोलन (Revolt of 1857 in Haryana) बन गया. इस जन आंदोलन के बलबूते पर 1947 में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी को उखाड़ने में सफलता मिली. क्रांति से तिलमिलाए अंग्रेजों ने झज्जर के नवाब अब्दुल रहमान खान, बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह, फारूखनगर के शासक अहमद अली को बिना समूची सुनवाई के ही फांसी पर लटका दिया. इन सब शहीदों की याद में अंबाला में एक स्मारक बनाया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ियां शहीदों के बारे में जान सके और उनसे प्रेरणा ले सकें.

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