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उत्तरप्रदेश सरकार किसानों को दिल्ली आने से रोक रही है: संयुक्त किसान मोर्चा

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Published : Nov 28, 2020, 3:49 PM IST

हरियाणा पंजाब किसान विरोध प्रदर्शन
हरियाणा पंजाब किसान विरोध प्रदर्शन

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने बयान जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार समाधान के साथ किसानों से बात करे. बिना समाधान के किसानों से बात करने का दिखावा ना करे. संयुक्त किसान मोर्चे ने उत्तरप्रदेश सरकार की भी कड़े शब्दों में निंदा की है.

चंडीगढ़: किसानों के दिल्ली कूच का आज तीसरा दिन है. पंजाब और हरियाणा से लगातार किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं. वहीं अब किसान संगठनों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए केंद्र और उत्तरप्रदेश सरकार की निंदा की है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने बयान जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार समाधान के साथ किसानों से बात करे. बिना समाधान के किसानों से बात करने का दिखावा ना करे.

किसानों के संयुक्त मोर्चे ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के किसानों पर बर्बर दमन की कड़ी निन्दा की है. संयुक्त मोर्चे का कहना है कि उत्तराखण्ड के किसान भी बड़ी संख्या में उ.प्र में धरनारत हैं, क्योंकि उ.प्र की पुलिस उन्हें दिल्ली की ओर आगे बढ़ने नहीं दे रही है. ये विशाल गोलबंदी देश के किसानों के अभूतपर्व और ऐतिहासिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें किसान तब तक दिल्ली रुकने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जब तक उनकी मांगें पूरी ना हों.

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किसान संगठनों ने कहा कि देश के किसान दिल्ली रुकने के लिए नहीं आए हैं, अपनी मांगें पूरी कराने आए हैं. सरकार को इस मुख्य बिन्दु को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. किसान संगठनों ने भारत सरकार की कड़ी शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि वो किसानों द्वारा उठाई गई मांग - तीन कृषि कानून और बिजली बिल 2020 को रद्द किए जाने को संबोधित ही नहीं कर रही है.

किसान संगठनों का कहना है कि ये कानून ना केवल सरकारी खरीद व एमएसपी को समाप्त कर देंगे, ये पूरी खेती के काम को भारतीय व विदेशी कंपनियों द्वारा ठेका खेती में शामिल करा देंगे और किसानों की जमीन छिनवा देंगे.

किसान संगठनों ने कहा कि ये आंदोलन पार्टी की दलगत राजनीति से बहुत दूर है और कोई भी प्रेरित आंदोलन कभी भी इतनी बड़ी गोलबंदी नहीं संगठित कर सकता था, ना ही उसमें मांगें पूरी होने तक धैर्यपूर्ण प्रतिबद्धता हो सकती थी. ना ही ऐसा आंदोलन कई महीनों तक चलता रह सकता था. उन्होंने कहा कि सरकार को आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार करने से बचना चाहिए और किसानों की मांगों को हल करने से बचने की जगह उन्हें हल करना चाहिए.

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