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हिंदी दिवस 2019: 'अंग्रेजी नहीं आती तो शर्माने की जरूरत नहीं, हिंदी में एक्सपर्ट हैं तो नौकरियों की कमीं नहीं'

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Published : Sep 14, 2019, 7:55 AM IST

हिंदी दिवस विशेष

पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर गुरमीत सिंह से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि अगर किसी को इंग्लिश नहीं आती तो उसके लिए रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे, लेकिन शर्त यह है कि व्यक्ति को जो भी भाषा आती हो वह बेहतरीन तरीके से आती हो. तभी वह उस भाषा का रोजगार के लिए लाभ ले पाएगा.

चंडीगढ़: रोजगार के विश्वव्यापी बनने के कारण पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी भाषा का क्रेज बढ़ा है. पिछले कुछ सालों में अग्रेंजी भाषा राष्ट्रीय और इंटरनेशनल स्तर पर अपनी बात कहने का माध्यम बन कर उभरी है. अग्रेंजी भाषा बोलने वाले को ज्यादा महत्व दिया जाने लगा है, लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर गुरमीत सिंह का कहना है कि कि ऐसा नहीं है कि अगर किसी को इंग्लिश नहीं आती तो उसके लिए रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे, लेकिन शर्त यह है कि व्यक्ति को जो भी भाषा आती हो वह बेहतरीन तरीके से आती हो. तभी वह उस भाषा का रोजगार के लिए लाभ ले पाएगा.

'हिंदी बनी राजभाषा, गैर हिंदी राज्य पिछड़ जाएंगे'
ईटीवी से खास बातचीत करते हुए प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि आजादी से पहले तक हिंदी को ही देश की राष्ट्रभाषा माना जाता था. राष्ट्रभाषा शब्द का इस्तेमाल महात्मा गांधी ने भी किया था. उस समय राजभाषा का कोई शब्द नहीं था और हिंदी को राष्ट्रभाषा और मातृभाषा कहा जाता था. जो आजादी के बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने की बात उठी तो, गैर हिंदी भाषी राज्यों के नेताओं ने इसका विरोध जताया.

देखें हिंदी दिवस पर क्या बोले पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर गुरमीत सिंह

उनका कहना था कि अगर हिंदी को राजभाषा बना दिया गया तो गैर हिंदी भाषी राज्यों के लोग पिछड़ जाएंगे. उनके विरोध के बाद यह फैसला लिया गया कि अगले 15 सालों तक अंग्रेजी को भी हिंदी के समान दर्जा दिया जाएगा और यह सरकार की सबसे बड़ी भूल थी. क्योंकि इस वजह से हिंदी के साथ साथ दूसरी भाषाएं भी पिछड़ भी चली गई और अंग्रेजी पूरे भारत में छा गई.

'बिना इंग्लिश के ज्ञान के भी मिल सकता है रोजगार'
प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि अगर किसी को इंग्लिश नहीं आती तो उसके लिए रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे, लेकिन शर्त यह है कि व्यक्ति को जो भी भाषा आती हो वह बेहतरीन तरीके से आती हो. तभी वह उस भाषा का रोजगार के लिए लाभ ले पाएगा. उन्होंने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि सरकारी दफ्तरों में इंग्लिश भाषा का ज्यादा प्रयोग होता है खासकर अदालतों में हिंदी का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाता महात्मा गांधी ने भी कहा था कि जो लोग अदालत में न्याय पाने आते हैं. उन्हें समझ ही नहीं आता कि उन्हें न्याय मिल पा रहा है या नहीं. क्योंकि वह लोग इंग्लिश नहीं समझ पाते. इसलिए कम से कम अदालतों में सिर्फ हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाए और बाद में उन लेखों को इंग्लिश में भी ट्रांसलेट किया जाए. लेकिन आज अदालतों में सिर्फ इंग्लिश भाषा का ही प्रयोग किया जाता.

'हिंदी अच्छी आती है तो नौकरियों की है भरमार'
प्रोफेसर गुरमीत ने कहा कि लोगों के दिमाग में यह बात बैठ चुकी है कि अगर इंग्लिश नहीं आएगी तो उन्हें नौकरी भी नहीं मिलेगी. जबकि यह सरासर गलत है. क्योंकि आज के लोग एमबीए करते हैं इंजीनियरिंग करते हैं और इसके बावजूद भी उन्हें नौकरी नहीं मिलती. जबकि उन्हें इंग्लिश भी अच्छे से आती है. तो ऐसा मानना बिल्कुल गलत है कि नौकरियां इंग्लिश के साथ ही मिलती हैं. जो लोग हिंदी में पूरी तरह से निपुण हैं उनके लिए भी नौकरियों की कोई कमी नहीं है. प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि वे कोई भी भाषा सीखे उसे अच्छी तरह से सीखे तब वही भाषा आप को नौकरियां दिलाने में सहायक सिद्ध होंगी और ऐसा ही हिंदी भाषा के साथ भी है. अगर आपको हिंदी बेहतरीन तरीके से आती है तो हिंदी भाषा के जरिए भी आपको बहुत सी नौकरियां मिल जाएंगी.

कहां-कहां मिल सकती है नौकरी ?
स्कूलों में टीचर की नौकरी, यूनिवर्सिटी और कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी, ट्रांसलेटर की नौकरी, रेडियो में, टीवी में, अखबारों में, न्यूज चैनल्स में, फिल्मों में राइटिंग, विदेशों में भी हिंदी टीचर की बहुत सी नौकरियां हैं, इसके अलावा प्रूफ रीडिंग, पब्लिशिंग, हाउस स्क्रिप्ट राइटर की भी बहुत सी नौकरियां युवाओं को मिल सकती है. आजकल तो राजनीतिक पार्टियों ने भी हिंदी में निपुण युवाओं को नौकरी पर रखना शुरू कर दिया है. ताकि वह युवा पार्टी के नेताओं के लिए भाषण और नारे लिखकर दे सकें. इसके लिए राजनीतिक पार्टियां इन्हें अच्छा खासा वेतन भी देती हैं. इसलिए यह कहा जाना सरासर गलत है कि हिंदी पढ़ने वाले युवाओं को नौकरियां नहीं मिलेंगी अगर इस विषय में जानकारी हासिल की जाए तो हिंदी पढ़ने वाले युवाओं के लिए भी बहुत सी नौकरियां है.

Intro:हिंदी दिवस को लेकर ईटीवी भारत ने युवाओं से बात की। जिसमें उनसे पूछा गया कि आज का युवा वर्ग हिंदी से दूर क्यों होता जा रहा है।


Body:जब जब हिंदी को लेकर युवाओं से बात की गई तो युवाओं की ओर से कई तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली इन युवाओं को कहना था कि हालांकि हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें हिंदी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करना चाहिए। लेकिन इस समय देश में ऐसी मानसिकता है कि अगर हम अपनी बात को इंग्लिश में रखेंगे तो सामने वाला हमारी बात को ज्यादा गंभीरता से लेगा और इस वजह से युवा वर्ग इंग्लिश का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।
इन युवाओं का कहना था कि हम नौकरी के लिए कहीं भी जाते हैं तो इंटरव्यू में हमसे इंग्लिश में ही बात की जाती है इसलिए इंग्लिश का आना बेहद जरूरी है हिंदी हमारी मातृभाषा है हमें इस बात का ख्याल हमेशा रखना चाहिए लेकिन बिना इंग्लिश के आज के समय में युवा आगे नहीं बढ़ सकते। युवा वर्ग हिंदी का इस्तेमाल करना चाहता है लेकिन अंग्रेजी एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है जो सभी देशों में इस्तेमाल की जाती है जबकि हिंदी सिर्फ भारत में ही इस्तेमाल की जाती है इस वजह से बहुत से युवाओं को इंग्लिश सीखनी पड़ती है।

वही कई युवाओं का यह भी कहना था के हिंदी देश की सबसे बड़ी भाषा है। देश के 10 राज्यों में हिंदी बोली जाती है ।इसलिए यह जरूरी नहीं है कि अगर आपको इंग्लिश नहीं आती तो आप को रोजगार नहीं मिलेगा। उनका कहना था कि हिंदी में भी कई रोजगार है। जैसे हिंदी का हिंदी का अध्यापक, ट्रांसलेटर, राइटर आदि कई ऐसी नौकरियां है। जो आपको हिंदी के जरिए मिल सकती हैं, तो यह कहना गलत है की नौकरियां इंग्लिश में ही मिल सकती हैं।
इन लोगों का ये भी कहना था कि साल में 1 दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह काफी नहीं है। हमें पूरा साल लोगों को हिंदी को लेकर जागरूक करना चाहिए ।ताकि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को हिंदी भाषा के साथ जोड़ सकें। साल में सिर्फ 1 दिन हिंदी भाषा की बात करना और फिर पूरा साल इस बारे में कोई बात ना करना, इससे हिंदी को बढ़ावा नहीं मिलने वाला।
पंजाब यूनिवर्सिटी में नेपाल से आई एक छात्रा ने बताया की हिंदी बहुत अच्छी भाषा है। नेपाल में भी बहुत से लोग हिंदी में ही बात करते हैं । हालांकि वहां ज्यादातर लोग नेपाली भाषा बोलते हैं। लेकिन लगभग सभी लोगों को हिंदी भाषा बोलनी आती है और वह हिंदी में बात भी करते हैं ।जबकि हिंदी नेपाल की भाषा नहीं बल्कि भारत की भाषा है फिर भी नेपाल में हिंदी काफी लोकप्रिय है।


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Conclusion:
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