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हरियाणा और चंडीगढ़ में मिले मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज, सोनीपत में केरल से लौटा था मरीज

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Published : Jul 27, 2022, 10:32 PM IST

हरियाणा और चंडीगढ़ में मंकीपॉक्स की बीमारी के संदिग्ध मरीज (monkeypox patients) मिले हैं. हरियाणा के सोनीपत में एक संदिग्ध मरीज मंकीपॉक्स का मिला है. वहीं एक संदिग्ध मरीज चंडीगढ़ में मिला है. चंडीगढ़ में तो स्कूल के बच्चे में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे हैं.

monkeypox patients
monkeypox patients

चंडीगढ़: हरियाणा और चंडीगढ़ में मंकीपॉक्स की बीमारी के संदिग्ध मरीज (monkeypox patients) मिले हैं. हरियाणा के सोनीपत जिले में मंकीपॉक्स (monkeypox patients in haryana) के लक्षण वाला संदिग्ध मरीज सामने आया है. मरीज को सिविल अस्पताल में एडमिट किया गया था. जहां उसके ब्लड और यूरिन सैंपल लेकर टेस्ट के लिए AIIMS भेजे गए हैं. 3 दिन के बाद मरीज की रिपोर्ट आएगी. तब तक मरीज को होम आइसोलेशन में रखा गया है. ये मरीज हाल ही में केरल से लौटा है.

वहीं चंडीगढ़ के सेंट कबीर स्कूल में एक बच्चे (monkeypox patients in chandigarh) में बुखार, हाथ, मुंह और पैरों पर रैशिज दिखे हैं. बच्चे के सैंपल को जांच के लिए AIIMS भेजा गया है. रिपोर्ट आने तक बच्चा होम आइसोलेशन में रहेगा. इस बीच स्कूल को बंद करने का फैसला किया गया है. नर्सरी से दूसरी कक्षा तक ऑनलाइन क्लास लगाने के आदेश दिए गए हैं. इसके साथ सभी अभिभावकों को एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं.

4 जुलाई को मिला था केरल में पहला केस: केरल में 14 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि खुद केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने की थी. वह यूएई से लौटा था. मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद उसे केरल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.

WHO ने घोषित की इमरजेंसी: इस केस के महज (Monkeypox Cases In India) चार दिन बाद यानी 18 जुलाई को केरल में दूसरे मामले की पुष्टि हुई थी. ये शख्स भी दुबई से लौटा था. इसके बाद 22 जुलाई को तीसरे मामले की पुष्टि हुई. इन तीनों की मामलों में यूएई कनेक्शन सामने आया था. इन मरीजों के संपर्क में आए लोगों पर निगरानी की जा रही है.

मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.

मंकीपॉक्स के लक्षण: बताते चलें कि मंकीपॉक्स भी चेचक परिवार के वायरसओं का हिस्सा है. हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण (symptoms of monkeypox) चेचक यानी कि स्मॉल पॉक्स की तरह गंभीर नहीं बल्कि हल्के होते हैं. लेकिन इसका चिकन पॉक्स से लेना देना नहीं है. यह बीमारी संक्रमण की चपेट में आने के 20 दिनों के बाद शरीर में असर दिखाना शुरू करता है. इसमें शरीर पर पॉक्स जैसी मवाद भरे दाने होने के साथ सिर दर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी छूटना, पीठ और कमर में दर्द महसूस होते हैं.

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