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नवजात शिशु की देखभाल से बचपन होगा खुशहाल

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Published : Nov 12, 2020, 4:59 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 9:58 AM IST

नवजात शिशु स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 15 से 21 नवंबर तक 'नवजात शिशु देखभाल सप्ताह' के रूप में मनाया जाएगा. उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसके लिए विशेष दिशा निर्देश भी जारी किया गया है.

Newborn Baby Care Week
नवजात शिशु देखभाल सप्ताह

उत्तर प्रदेश सरकार शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए 15 से 21 नवंबर तक 'नवजात शिशु देखभाल सप्ताह' मनाने जा रही है. जिसके तहत उन सभी बिन्दुओं पर हर वर्ग को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा, जिसके जरिये शिशुओं को 'आयुष्मान' बनाया जा सके. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर नवजात शिशु देखभाल सप्ताह की प्रमुख गतिविधियों और जागरूकता कार्यक्रमों के बारे में जरूरी दिशा-निर्देश जारी किया है. सप्ताह के दौरान जनसामान्य को नवजात शिशु स्वास्थ्य के साथ बेहतर देखभाल के बारे में जागरुक किया जाएगा.

कंगारू मदर केयर और स्तनपान को बढ़ावा देने के साथ ही बीमार नवजात शिशुओं की पहचान के बारे में भी जागरुक किया जाएगा. इसके अलावा सरकार द्वारा चलाये जा रहे बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में भी सभी को अवगत कराया जाएगा और इस दिशा में स्वैच्छिक संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी ताकि शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सके.

पत्र के मुताबिक नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल के लिए जरूरी है कि प्रसव चिकित्सालय में ही कराएं. प्रसव के बाद 48 घंटे तक मां एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में रुकें. नवजात को तुरंत ना नहलायें केवल शरीर पोंछकर नर्म साफ कपड़े पहनाएं. जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू कर दें और छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराएं.

पत्र के मुताबिक जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और विटामिन के का इंजेक्शन लगवाएं. नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं. नवजात की नाभि सूखी एवं साफ रखें, संक्रमण से बचाएं और मां व शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखें. कम वजन और समय से पहले जन्मे बच्चों पर विशेष ध्यान दें और शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) की विधि अपनाएं. शिशु जितनी बार चाहे दिन या रात में बार-बार स्तनपान कराएं. कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए छह महीने तक केवल मां का दूध पिलाएं, शहद, घुट्टी, पानी आदि बिल्कुल ना पिलाएं.

जनपद स्तर पर सेमिनार और कार्यशाला आयोजित कर नवजात शिशु की बेहतर देखभाल के बारे में प्रस्तुतिकरण किया जाएगा, प्राइवेट नर्सिग होम-क्लीनिक को भी समुचित जानकारी प्रदान कर जरूरी सहयोग लिया आएगा, स्वस्थ शिशु प्रतियोगिताएं (हेल्दी बेबी शो) आयोजित होंगी, चिकित्सालय के वार्ड में नवजात शिशु की देखभाल सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री लगायी जायेगी, स्तनपान सम्बन्धी वीडियो प्रसवोपरांत महिलाओं को दिखाई जायेगी. आशा कार्यकर्ताओं द्वारा भी गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल के दौरान स्तनपान का सही तरीका और क्यों जरूरी है के बारे में गर्भवती और धात्री महिलाओं को बताया जाएगा.

Last Updated :Nov 13, 2020, 9:58 AM IST
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