नई दिल्ली: साकेत कोर्ट ने कोरोना की फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी करने वाले एक डॉक्टर को जमानत दे दी है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट तान्या बामनियाल ने डॉक्टर खुश बिहारी पराशर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया. डॉ. पराशर को पिछले 3 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था.
सुनवाई के दौरान डॉक्टर पराशर की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि आरोपी के न्यायिक हिरासत के ढाई महीने से ज्यादा हो गए हैं. कोर्ट को समाज का हित और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम करना चाहिए. अग्रवाल ने कहा कि डॉक्टर पराशर की पत्नी प्रेग्नेंट हैं और उनकी देखभाल के लिए डॉक्टर पराशर का उनके साथ होना जरुरी है. उन्होंने कहा कि चार्जशीट में जो दो गवाह हैं, उनकी भूमिका को देखते हुए उन्हें भी आरोपी बनाया जाना चाहिए.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि डॉक्टर पराशर ने खुद स्वीकार किया कि उसने कई डायग्नोस्टिक सेंटर के नाम पर 75 से ज्यादा कोरोना के फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी किए थे.
फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी करने का आरोप
डॉक्टर पराशर पर आरोप है कि उसने नामी लैब के लेटरहेड पर कोरोना का फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी किया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक नर्सिंग स्टाफ उपलब्ध कराने का व्यवसाय करने वाले एक व्यक्ति ने डॉक्टर पराशर से अपने नर्सिंग स्टाफ को नियुक्त करने से पहले उनका कोरोना टेस्ट कराने के लिए कहा. डॉक्टर पराशर उनकी फर्जी रिपोर्ट बनाकर उनके मोबाइल के जरिये भेज देता था. अपने नाम में गलती देखने के बाद उन लोगों ने डायग्नोस्टिक सेंटर से संपर्क किया और नाम में सुधार कर नई रिपोर्ट की मांग की.
तब पता चला कि उन लोगों का लैब में कोई टेस्ट ही नहीं किया गया और डॉक्टर पराशर कभी भी लैब का हिस्सा भी नहीं रहे. पुलिस के मुताबिक लैब ने बताया कि उन नामों का उनके रिकॉर्ड में कोई जिक्र नहीं है जिनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट दिखाई गई है.