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1563 साल बाद दुर्लभ संयोग में शुरू हुआ हिंदू नव संवत्सर

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Published : Apr 3, 2022, 9:42 AM IST

शनिवार 2 अप्रैल से हिंदू पंचांग का नव संवत 2079 शुरू हो रहा है. इसका नाम नल है और राजा शनि देव रहेंगे. शनिवार से चैत्र नवरात्रि शुरू होकर रविवार 10 अप्रैल तक है. इस बार रेवती नक्षत्र और तीन राजयोगों में नववर्ष की शुरुआत होना शुभ संकेत है.

सभी ग्रह करेंगे राशि परिवर्तन
सभी ग्रह करेंगे राशि परिवर्तन

नई दिल्ली: शनिवार 2 अप्रैल से हिंदू पंचांग का नव संवत 2079 शुरू हो रहा है. इसका नाम नल है और राजा शनि देव रहेंगे. शनिवार से चैत्र नवरात्रि शुरू होकर रविवार 10 अप्रैल तक है. इस बार रेवती नक्षत्र और तीन राजयोगों में नववर्ष की शुरुआत होना शुभ संकेत है. साथ ही नवरात्र में तिथि की घट-बढ़ नहीं होने से देवी पर्व पूरे 9 दिन का रहेगा. इस तरह अखंड नवरात्र सुख-समृद्धि देने वाली रहेगी.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार विक्रम संवत 2079 के शुरुआत में कई ग्रहों का सुखद संयोग बन रहा है. शुरू में ही मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे. इसके अलावा न्याय के कारक ग्रह शनिदेव स्वयं भी अपनी राशि मकर में विराजमान होंगे. हिंदू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा तिथि के सूर्योदय की कुंडली में शनि-मंगल की युति से भाग्य में वृद्धि और धन लाभ के अच्छे संकेत दे रहे है. इन ग्रहों का ऐसा संयोग ज्योतिषीय गणना के आधार पर 1563 साल बाद बन रहा है. ऐसे में इस योग के प्रभाव से मिथुन, तुला, कन्या और धनु राशि वालों के लिए यह बहुत ही शुभ फल देने वाला साबित होगा. वहीं हिंदू नववर्ष इस बार रेवती नक्षत्र में शुरू होने के कारण व्यापार के नजरिए से पूरा वर्ष लेन-देन, निवेश और मुनाफा दिलाने वाला रहेगा.

1563 साल बाद अति दुर्लभ संयोग : इस साल नववर्ष की शुरुआत में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे. वहीं शनि खुद की ही राशि मकर में होगा. नववर्ष के सूर्योदय की कुंडली में शनि-मंगल की युति से धन, भाग्य और लाभ का शुभ योग बन रहा है. इस योग के प्रभाव से ये साल मिथुन, तुला और धनु राशि वाले लोगों के लिए बहुत शुभ रहेगा. वहीं, अन्य राशियों के लिए बड़े बदलाव का समय रहेगा. ग्रहों का ऐसा संयोग 1563 साल बाद बन रहा है. इससे पहले 22 मार्च 459 को ये ग्रह स्थिति बनी थी. इस बार का नववर्ष रेवती नक्षत्र में शुरू हुआ. इसके स्वामी बुध हैं. बुध के कारण कारोबार में फायदा होता है, इसलिए इस नक्षत्र में खरीद-बिक्री करना शुभ माना जाता है. व्यापार का कारक बुध भी इस नक्षत्र में रहेगा. इससे बड़े लेन-देन और निवेश के लिए पूरा साल शुभ रहेगा.

आर्थिक मजबूती और व्यापार को बढ़ाने वाला साल : इस बार सरल, सत्कीर्ति और वेशि नाम के राजयोगों में नववर्ष की शुरुआत हुई, जिससे नवरात्र में खरीदारी, लेन-देन, निवेश और नए कामों की शुरुआत करना शुभ रहेगा. इन योगों का शुभ फल पूरे साल दिखेगा. इस कारण कई लोगों के लिए ये साल सफलता और आर्थिक मजबूती देने वाला रहेगा. इस साल लोगों के कल्याण के लिए योजनाएं बनेंगी और उन पर काम भी होगा. कई लोगों के लिए बड़े बदलाव वाला साल रहेगा.

सभी 9 ग्रहों का राशि परिवर्तन : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर नवरात्रि और हिंदू नववर्ष 2079 के शुभारंभ होने पर सभी 9 ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा. यह संयोग बहुत ही दुर्लभ माना गया है. सबसे पहले 7 अप्रैल को मंगल ग्रह मकर राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए कुंभ राशि में गोचर करेंगे, फिर 8 अप्रैल को बुध मेष राशि में प्रवेश करेंगे. 12 अप्रैल को राहु-केतु का राशि परिवर्तन होगा. 13 अप्रैल को देव गुरु बृहस्पति शनि की मूल त्रिकोण राशि छोड़ अपनी स्वयं की राशि मीन में प्रवेश करेंगे. इसके बाद 14 अप्रैल को सूर्य की संक्रांति मेष राशि में होगी. फिर 27 अप्रैल को शुक्र मीन राशि में प्रवेश करेंगे और आखिर में 29 अप्रैल को शनि का कुंभ राशि में प्रवेश हो जाएगा. एक ही महीने में सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन करना एक बड़े बदलाव को दर्शाता है. वहीं चंद्रमा हर ढाई दिन में अपनी राशि बदलते हैं. इस प्रकार से पूरे माह में सभी 9 ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा.

शनि राजा और गुरु मंत्री : इस संवत्सर में ग्रहों के खगोलीय मंत्री परिषद के 10 विभागों में राजा और मंत्री सहित 5 विभाग पाप ग्रहों के पास तथा 5 शुभ ग्रहों के पास रहेगा. इस वर्ष राजा-शनि, मंत्री-गुरु, सस्येश-सूर्य, दुर्गेश-बुध, धनेश-शनि, रसेश-मंगल, धान्येश-शुक्र, नीरसेश-शनि, फलेश-बुध, मेघेश-बुध होंगे. नव संवत्सर 2079 में राजा शनि देव और मंत्री देव गुरु बृहस्पति रहेंगे. ग्रहों में न्यायाधीश शनिदेव कर्म फल से न्याय प्रदान करेंगे, वहीं देव गुरु बृहस्पति मंत्री के रूप में सकारात्मकता बढ़ाएंगे. जब शनि वर्ष के राजा होते हैं तो देश में उत्पात और अव्यवस्था तो बढ़ती है, लेकिन मंत्री गुरु होने से विद्वानों की अच्छी सलाह से मुसीबतें कम हो जाती हैं. इस दौरान धार्मिक कार्य बढ़ेंगे. शिक्षा का स्तर और बढ़ेगा. साथ ही संवत्सर का निवास कुम्हार का घर एवं समय का वाहन घोड़ा होगा.

राजा शनि : न्याय तथा कार्यप्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन होगा. धान्य उत्पादन कहीं श्रेष्ठ तथा कहीं मध्यम रहेगा. मौद्रिक नीति में परिवर्तन होगा. कुछ स्थानों पर महंगाई बढ़ेगी. उड़द, कोयला, लकड़ी, लोहा, कपड़ा, स्टील महंगे होंगे.

मंत्री गुरु : वर्षा की स्थिति उत्तम रहेगी. देश में करीब 88 फीसद वर्षा होगी. कुछ स्थानों को छोड़ कर शेष कृषि क्षेत्र में धान्य का प्रचुर उत्पादन होगा. विश्व में भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा.

धान्येश शुक्र : प्रचुर मात्रा में धान्य उत्पादन से प्रजा सुखी रहेगी. दूध व घी के उत्पादन में कमी आएगी. इससे दुग्ध पदार्थों के मूल्यों में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी.

मेघेश बुध : देश में 88 फीसद बारिश होगी. गेहूं सहित अन्य फसलों की भरपूर पैदावार होगी. जनता की धर्म कार्य में रुची बढ़ेगी. बहुत सी स्थितियों में प्रजा शांति का अनुभव करेगी. विद्वतजनों के लिए यह समय उन्नति व सुख कारक रहेगा.

रसेश चंद्र : उत्तम जल वृष्टि होने से चारों और सुख शांति का वातावरण रहेगा. आम जनता भौतिक पदार्थों का सुख भोगेगी.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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