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रांधा पुआ के बाद मनाई जा रही है शीतलाष्टमी

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Published : Mar 25, 2022, 12:25 PM IST

Updated : Mar 25, 2022, 1:24 PM IST

ईटीवी भारत धर्म में आज हम आपको बताएंगे रांधा पुआ और शीतलाष्टमी के विषय में. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास से जानेंगे इसकी पूजा की परंपरा और महत्व और जानेंगे कि आखिर क्यों कहते हैं शीतलाष्टमी.

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नई दिल्ली: होली के बाद सातवें और आठवें दिन देवी शीतला माता की पूजा की परंपरा है. इन्हें शीतला सप्तमी या शीतलाष्टमी कहा जाता है. शीतला माता का जिक्र स्कंद पुराण में मिलता है. पौराणिक मान्यता है कि इनकी पूजा और व्रत करने से चेचक के साथ ही अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि 24 मार्च को मध्यरात्रि 12:10 मिनट पर शुरू होगी, जो 25 मार्च को रात 10:04 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 25 मार्च को लोकपर्व बास्योड़ा मनाया जाएगा. इस वर्ष शीतला माता के पूजन का पर्व शीतलाष्टमी सुस्थिर योग, मकर राशि में त्रिग्रही योग में मनेगी. इस दिन शीतला माता की पूजा-अर्चना करने के साथ महिलाएं व्रत भी रखेंगी. इसके एक दिन पहले 24 मार्च को रांधा पुआ होगा, जिसमें घर-घर महिलाएं शीतलाष्टमी (बास्योड़ा) के लिए भोजन पकवान बनाएंगी. शीतलाष्टमी के दिन सुबह शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाएगा. इसके बाद लोग ठंडे पकवान ही खाएंगे. बास्योड़ा पर शीलता माता को ठंडा भाेजन अर्पित कर चेचक आदि बीमारियों से परिवार को बचाने की प्रार्थना की जाएगी.

बच्चों को बीमारियों से दूर रखने के लिए और उनकी खुशहाली के लिए इस त्योहार को मनाने की परंपरा बरसों से चली आ रही है. कुछ स्थानों पर शीतला अष्टमी को बासौड़ा भी कहा जाता है. इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है और स्वयं भी प्रसाद के रूप में बासी भोजन ही करना होता है. नाम के अनुसार ही शीतला माता को शीतल चीजें पसंद हैं. मां शीतला का उल्लेख सर्वप्रथम स्कन्दपुराण में मिलता है. इनका स्वरूप अत्यंत शीतल है और कष्ट-रोग हरने वाली है. गधा इनकी सवारी है और हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं. मुख्य रूप से इनकी उपासना गर्मी के मौसम में की जाती है.

स्कन्द पुराण में माता शीतला की अर्चना का स्तोत्र 'शीतलाष्टक' के रूप में प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शंकर ने की थी. शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र बताया गया है. मंत्र है-

वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।

मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।

अगर आप अपने घर की सुख-समृद्धि बनाये रखना चाहते हैं तो आपको स्नान आदि के बाद शीतला माता के इस मंत्र का 51 बार जप करना चाहिए. मंत्र इस प्रकार है- ऊँ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः। आज के दिन ऐसा करने से आपके घर की सुख-समृद्धि बनी रहेगी. साथ ही आपके परिवार के सदस्यों की सेहत भी अच्छी रहेगी.

अगर आप भय और रोग आदि से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको देवी शीतला के इस मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए. मंत्र है-

वन्देSहं शीतलां देवीं सर्वरोग भयापहम्।

यामासाद्य निवर्तेत विस्फोटक भयं महत्।।

अगर आप अच्छे स्वास्थ्य की कामना रखते हैं. साथ ही लंबी आयु का वरदान पाना चाहते हैं, तो आपको शीतलाष्टक स्त्रोत में दी गई इन पंक्तियों का जाप करना चाहिए. पंक्तियां इस प्रकार हैं-

मृणाल तन्तु सदृशीं नाभि हृन्मध्य संस्थिताम्।

यस्त्वां संचिन्त येद्देवि तस्य मृत्युर्न जायते।।

ऐसी प्राचीन मान्यता है कि जिस घर की महिलाएं शुद्ध मन से इस व्रत को करती हैं, उस परिवार को शीतला देवी धन-धान्य से पूर्ण कर प्राकृतिक विपदाओं से दूर रखती हैं. मां शीतला का पर्व किसी न किसी रूप में देश के हर कोने में मनाया जाता है.

शीतला सप्तमी और अष्टमी : कुछ जगह शीतला माता की पूजा चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की सप्तमी को और कुछ जगह अष्टमी पर होती है. इस बार ये तिथियां 24 और 25 मार्च को रहेंगी. सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य और अष्टमी के देवता शिव होते हैं. दोनों ही उग्र देव होने से इन दोनों तिथियों में शीतला माता की पूजा की जा सकती है. निर्णय सिंधु ग्रंथ के मुताबिक इस व्रत में सूर्योदय व्यापिनी तिथि ली जाती है. इसलिए सप्तमी की पूजा और व्रत गुरुवार को किया जाना चाहिए. वहीं, शीतलाष्टमी शुक्रवार को मनाई जाएगी.

ठंडा खाने की परंपरा : शीतला माता का ही व्रत ऐसा है जिसमें शीतल यानी ठंडा भोजन करते हैं. इस व्रत पर एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन करने की परंपरा है. इसलिए इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं. माना जाता है कि ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव करना चाहिए है. इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है. धर्म ग्रंथों के मुताबिक शीतला माता की पूजा और इस व्रत में ठंडा खाने से संक्रमण और अन्य बीमारियां नहीं होती. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान व मध्य प्रदेश के कुछ समुदाय के लोग इस त्योहार को बासौड़ा कहते हैं. जो कि बासी भोजन के नाम से लिया गया है. इस त्योहार को मनाने के लिए लोग सप्तमी की रात को बासी भोजन तैयार कर लेते हैं और अगले दिन देवी को भोग लगाने के बाद ही स्वयं ग्रहण करते हैं. कहीं पर हलवा पूरी का भोग तैयार किया जाता है तो कुछ स्थानों पर गुलगुले बनाए जाते हैं. कुछ स्थानों पर गन्ने के रस की बनी खीर का भोग भी शीतला माता को लगाया जाता है. इस खीर को भी सप्तमी की रात को ही बना लिया जाता है.

बीमारियों से बचने के लिए व्रत : माना जाता है कि देवी शीतला चेचक और खसरा जैसी बीमारियों को नियंत्रित करती हैं और लोग उन बीमारियों को दूर करने के लिए उनकी पूजा करते हैं.

सुख-समृद्धि के लिए व्रत : हिन्दू धर्म के अनुसार सप्तमी और अष्टमी तिथि पर महिलाएं अपने परिवार और बच्चों की सलामती के लिए और घर में सुख, शांति के लिए बासौड़ा बनाकर माता शीतला को पूजती हैं. माता शीतला को बासौड़ा में कढ़ी-चावल, चने की दाल, हलवा, बिना नमक की पूड़ी चढ़ावे के एक दिन पहले ही रात में बना लेते हैं. अगले दिन ये बासी प्रसाद देवी को चढ़ाया जाता है. पूजा के बाद महिलाएं अपने परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करती हैं.

पौराणिक कथा : एक बार की बात है, प्रताप नगर में गांववासी शीतला माता की पूजा-अर्चना कर रहे थे और पूजा के दौरान गांव वालों ने गर्म नैवेद्य माता शीतला को चढ़ाया. जिससे देवी का मुंह जल गया. जिससे गांव में आग लग गई. लेकिन एक बुढ़िया का घर बचा गया था. गांव वालों ने बुढ़िया से घर न जलने की वजह पूछी तो बताया कि उसने माता शीतला को ठंडा प्रसाद खिलाया था और कहा कि मैंने रात को ही प्रसाद बनाकर ठंडा बासी प्रसाद माता को खिलाया. जिससे देवी ने प्रसन्न होकर मेरे घर को जलने से बचा लिया. बुढ़िया की बात सुनकर गांव वालों ने अगले पक्ष में सप्तमी/अष्टमी के दिन उन्हें बासी प्रसाद खिलाकर माता शीतला का बसौड़ा पूजन किया.

शुभ मुहूर्त : चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि 24 मार्च को मध्यरात्रि 12:10 मिनट पर शुरू होगी, जो 25 मार्च को रात 10:04 मिनट तक रहेगी.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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Last Updated :Mar 25, 2022, 1:24 PM IST
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