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10 अप्रैल को रवि पुष्य और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी रामनवमी

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Published : Apr 8, 2022, 1:49 PM IST

10 अप्रैल को रामनवमी मनाया जाएगा. इस साल रामनवमी के दिन नौ साल बाद ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है. यह संयोग इस दिन की शुभता में वृद्धिकारक होगा. रामनवमी के शुभ संयोग के विषय में बताएंगे ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास.

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नई दिल्ली: चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन नौ वर्ष बाद ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है. यह संयोग इस दिन की शुभता में वृद्धिकारक होगा. भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में मध्यान्ह 12 बजे हुआ था. संयोगवश इस दिन अश्लेषा नक्षत्र, लग्न में स्वग्रही चंद्रमा, सप्तम भाव में स्वग्रही शनि, नवम भाव में सूर्य, दशम में बुध, कुम्भ का गुरु, शुक्र, मंगल हैं और दिन रविवार रहेगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि राम नवमी इस साल 10 अप्रैल 2022 को मनाई जाएगी. नवमी तिथि की शुरुआत 10 अप्रैल को देर सुबह 01:32 मिनट से होगी और 11 अप्रैल को तड़के 03:15 मिनट पर समाप्त होगी. भगवान श्रीराम की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अप्रैल 2022 को सुबह 11:10 मिनट से 01: 32 मिनट तक रहेगा. रवि योग के दौरान अगर सूर्य उपासना की जाए व आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने के साथ ही सूर्य मंत्रों का जाप किया जाए, तो विशेष लाभ मिलता है. रवि पुष्य योग को महायोग भी कहा जाता है. ये रविवार के संयोग से मिलकर बनता है. 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन ये विशेष योग बनेगा.

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि 10 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी. इस दिन पूरे देश में धूमधाम से राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ के घर पर हुआ था. इस दिन प्रभु श्रीराम की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. इस वर्ष रामनवमी पर 10 अप्रैल को मंगलकारी त्रिवेणी संयोग में भगवान राम का जन्म होगा. इस अवसर पर खरीदी का महामुहूर्त रवि पुष्य, कार्य में सफलता देने वाला सर्वार्थ सिद्धि और सूर्य का अभीष्ट प्राप्त होने से अनिष्ट की आशंका दूर करने वाला रवि योग भी रहेगा. इस अवसर पर मध्यान्ह काल में भगवान राम का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाएगा. नवमी पूजन के साथ ही चैत्र नवरात्र का समापन होगा. इस दिन स्वामी नारायण और महातारा जयंती भी मनाई जाएगी.

पूरे दिन रहेंगे तीनों संयोग : रामनवमी पर बन रहे तीनों संयोग खास हैं. नवमी तिथि के साथ सभी संयोग दिवस पर्यंत रहेंगे. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र हैं. इसमें आठवें स्थान पर पुष्य नक्षत्र है. इसे नक्षत्रों का राजा कहा जाता है. यह नक्षत्र रविवार को जब आता है तो रवि पुष्य का संयोग बनता है. इस योग में सभी बुरी दशाएं अनुकूल हो जाती हैं. इसमें विवाह के अतिरिक्त सोने के आभूषण, भूमि, भवन, वाहन की खरीदारी को स्थायी फल प्रदान करने वाला बताया गया है.

सर्वार्थसिद्धि योग : सर्वार्थसिद्धि योग को शुभ योग माना जाता है. इस योग को कार्य में सिद्धि देकर सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है. इसी तरह रवि योग को सूर्य का अभिष्ट प्राप्त होने के कारण इसे प्रभावशील योग माना गया है. सूर्य की पवित्र सकारात्मक ऊर्जा इसमें होने के कारण इस योग में कार्य में अनिष्ट होने की आशंका समाप्त होती है.

रवि योग : नवरात्रि पर्व के दौरान रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग का संबंध मां लक्ष्मी से है. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य शुभ परिणाम देते हैं. कार्यों में सफलता भी मिलती है. रवि योग में सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है.

अनुष्ठान : सर्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी जाप, अनुष्ठान कई गुना अधिक फल प्रदान करता है. विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए यह अहम है. मकान, वाहन, सोने चांदी के जेवरात की खरीदारी, मुंडन, गृहप्रवेश आदि विशेष मांगलिक कार्य किए जाते हैं. चैत्र नवरात्रि में ग्रह नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस नवरात्रि रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि पुष्य नक्षत्र शुभ संयोग बन रहे हैं. विधि-विधान से माता रानी की पूजा करने से सभी मनोरथ पूरे होंगे.

पूजा विधि : इस पावन दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें. अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. घर के मंदिर में देवी-देवताओं को स्नान कराने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाएं. भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें. भगवान को फल भी अर्पित करें. अगर आप व्रत कर सकते हैं, तो इस दिन व्रत भी रखें. भगवान को अपनी इच्छानुसार सात्विक चीजों का भोग लगाएं. इस पावन दिन भगवान राम की आरती भी अवश्य करें. आप रामचरितमानस, रामायण, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं. भगवान के नाम का जप करने का बहुत अधिक महत्व होता है. आप 'श्री राम जय राम जय जय राम' या 'सिया राम जय राम जय जय राम' का जप भी कर सकते हैं. राम नाम के जप में कोई विशेष नियम नहीं होता है, आप कहीं भी कभी भी राम नाम का जप कर सकते हैं.

हवन सामग्री : आम की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलैठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, जटाधारी नारियल, गोला और जौ आदि हवन में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री जुटाएं.

हवन विधि : हवन पर बैठने वाले व्यक्ति को राम नवमी के दिन प्रात: जल्दी उठना चाहिए. नित्यकृया से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करने चाहिए. वैदिक शास्त्रों में ऐसा लिखा है कि यदि हवन पति-पत्नी साथ में करें तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है. सबसे पहले किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें. हवन कुंड में आम लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें. इसके बाद हवन कुंड में 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः' का जाप करते हुए घी से माता के नाम की आहुति दें. इसी के साथ अन्य देवी-देवताओं के नाम की आहुति दें. इसके बाद संपूर्ण हवन सामग्री से 108 बार हवन सामग्री को आहुति दें.

हवन के बाद करें यह कार्य : हवन के बाद माता जी की आरती करें. इसके बाद माता को खीर, हलवा, पूड़ी और चने का भोग लगाएं. कन्याओं को भी भोजन कराएं. प्रसाद बांटें. उन्हें दक्षिणा भी दें.

राम नवमी का महत्व : राम नवमी का दिन भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विष्णु जी के अवतार प्रभु श्री राम की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. भक्तों के जीवन से सभी कष्ट कट जाते हैं. इसके अलावा इस दिन नवरात्रि का समापन भी होता है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन को महानवमी कहते हैं. इस दिन पूजा अर्चना करने से राम जी के साथ आदिशक्ति मां जगदम्बा की कृपा भी प्राप्त होती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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