नई दिल्ली: शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है. नवरात्र के साथ ही हिन्दू नववर्ष की शुरुआत भी होगी. इस वर्ष नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है. 9 अप्रैल को अष्टमी तिथि होगी. 10 अप्रैल को दुर्गानवमी या महानवमी है. इसी दिन नवरात्रि का समापन होगा.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू होगी जो 10 तारीख को खत्म होगी. इस साल देवी आराधना पूरे नौ दिन की जाएगी क्योंकि नवरात्रि में किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है. ये अपने आप में शुभ संयोग है. चैत्र नवरात्रि में खरीदारी के कई मुहूर्त मिलेंगे. साथ ही इन दिनों में मंगल और बुध का राशि परिवर्तन होना भी शुभ संयोग है. मौसम परिवर्तन के समय इन नौ दिनों में व्रत-उपवास करना सेहत के लिए अच्छा रहेगा. साथ ही इन दिनों में देवी आराधना से शक्ति बढ़ती है. नवरात्रि के समय ग्रहों का संयोग मध्यम ही कहा जाएगा. सभी ग्रहों का युग्म बना रहेगा. मंगल और शनि मकर राशि में, शुक्र और गुरु कुंभ राशि में, सूर्य, बुध और चन्द्रमा सूर्योदय के समय मीन राशि में हैं. राहु मेष राशि में रहेंगे लेकिन सूर्योदय के कुछ देर बाद ही चन्द्रमा और राहु एक साथ हो जाएंगे.
9 दिन का देवी पर्व होना शुभ : नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होगी. इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने से पूरे नौ दिन आराधना होगी. नवरात्रि में तिथि क्षय नहीं होना शुभ संयोग है. इन नौ दिनों में देवी आराधना से सुख और समृद्धि बढ़ती है. मां दुर्गा को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी कहा गया है. इसलिए नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. जो हर मनोकामना पूरी करने वाले और हर तरह के दोष खत्म होने वाले होते हैं.
दुर्गाष्टमी 9 और महानवमी 10 को : हर नवरात्र में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त भी वाहन अलग होता है. इस बार देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी और भैंसे पर सवार होकर जाएंगी. देवी के दोनों वाहन देश में विवाद, तनाव, दुर्घटनाएं और प्राकृतिक आपदाओं की ओर संकेत कर रहे हैं. इसलिए देवी आराधना से अशुभ फल में कमी आ सकती है. इस बार महाअष्टमी 9 अप्रैल और महानवमी 10 तारीख को मनाई जाएगी.
घोड़े पर सवार होकर आयेगी : देवी भागवत पुराण में जिक्र किया गया है कि "शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥" इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है. अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी. शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं. बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं.
अबकी चैत्र नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है. इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा. इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है। इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है. सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है. किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी. इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की आराधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें.
ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना शुभ : नवरात्र के पहले दिन वैधृति योग होता है. ग्रंथों में बताया गया है इस योग में घट स्थापना नहीं करनी चाहिए. इस बार दोपहर में ये अशुभ योग शुरू होगा. इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना करना शुभ रहेगा. कुछ विद्वानों का कहना है कि अगर ब्रह्म मुहूर्त में घट स्थापना न कर सकें तो अभिजित मुहूर्त में कर सकते हैं.
कलश स्थापना से प्रसन्न होती हैं मां : नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाती है. कलश स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने, हवन और कन्या पूजन से मां प्रसन्न होती हैं. इसमें शक्ति और शक्तिधर दोनों की पूजा होती है. एक तरफ मां दुर्गा की, वहीं दूसरी ओर भगवान राम की भी आराधना की जाती है. मान्यता है कि भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी के दिन हुआ था, इसलिए लोक में यह दुर्गानवमी और राम नवमी दोनों के नाम से विख्यात है.
व्रत की परंपरा : नवरात्र में नौ दिन, सात दिन, पांच दिन, तीन दिन, दो दिन या केवल एक दिन भी व्रत करतें हैं. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है.
घटस्थापना शुभ मुहूर्त : चैत्र नवरात्रि के लिए शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल सुबह 06:20 मिनट से सुबह 08:29 मिनट तक रहेगा. कुल अवधि 02 घंटे 09 मिनट की रहेगी. इसके अलावा घटस्थापना को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:06 मिनट से दोपहर 12:54 मिनट तक रहेगा.
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