नई दिल्लीः देश के बंटवारे के बाद अस्तित्व में आया वक्फ बोर्ड का काम ही मुख्य रूप से विवादों के निपटारे का रहा है. लेकिन दिल्ली में केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में बीते छह साल से अधिक समय से दिल्ली वक्फ बोर्ड घपले, अनियमिताओं को लेकर सुर्खियों में है. शुक्रवार को दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने वक्फ बोर्ड से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में ओखला से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान (AAP MLA Amanatullah Khan) को गिरफ्तार कर लिया है.
दरअसल, नवंबर 2016 में राजस्व विभाग के एसडीएम (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में स्थायी और अस्थायी पदों पर अमानतुल्लाह खान की तरफ से मनमानी और अवैध नियुक्तियों का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की गई थी. मामले की शिकायत सीबीआई से भी गयी. जांच में पाया गया कि आरोप सही है, जिसके बाद उपराज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी.
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उपराज्यपाल सचिवालय को इस संबंध में एसीबी की ओर से पत्र प्राप्त हुआ था. बताया जाता है कि गवाहों को डरा-धमका कर उनके खिलाफ एक मामले की जांच को कथित रूप से प्रभावित करने के चलते एसीबी ने अमानतुल्लाह खान को दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने का अनुरोध किया था. अमानतुल्लाह के खिलाफ मामला वक्फ बोर्ड के बैंक खातों में 'वित्तीय गड़बड़ी', वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में किरायेदारी का निर्माण, वाहनों की खरीद में 'भ्रष्टाचार' और दिल्ली वक्फ बोर्ड में सेवा नियमों में उल्लंघन करते हुए 33 लोगों की 'अवैध नियुक्ति' से संबंधित है. इस संबंध में ACB ने जनवरी 2020 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया था.
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वक्फ बोर्ड का गठन क्योंः वर्ष 1947 में देश जब आजाद हुआ और बंटवारे से पाकिस्तान नया देश बना, तब जो मुसलमान भारत से पाकिस्तान चले गए, उनकी जमीनों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दी गयी. वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं कि 1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते में तय हुआ था कि विस्थापित होने वालों का भारत और पाकिस्तान में अपनी-अपनी संपत्तियों पर अधिकार बना रहेगा. वो अपनी संपत्तियां बेच सकेंगे. पाकिस्तान में हिंदुओं की छोड़ी उनकी जमीन, मकानों तथा अन्य संपत्तियों पर वहां की सरकार या स्थानीय लोगों का कब्जा हो गया. लेकिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि यहां से पाकिस्तान गए मुसलमानों की संपत्तियों को कोई हाथ नहीं लगाएगा. जो मालिकों द्वारा साथ ले जाने, बेच दिए जाने के बाद जो संपत्तियां बच गई हैं, उन्हें वक्फ की सपत्ति घोषित कर दिया गया. वर्ष 1954 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ. दुनिया के किसी इस्लामी देश में वक्फ बोर्ड नाम की कोई संस्था नहीं है. यह सिर्फ भारत में है. वर्ष 1995 में वक्फ एक्ट 1954 में संशोधन किया गया और नए प्रावधान जोड़कर बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दीं. कोई संपत्ति, किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पवित्र मजहबी या चेरिटेबल मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी.