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जूनियर रेजिडेंट के नहीं आने से थर्ड व फोर्थ ईयर के रेजिडेंट डॉक्टर्स पर बढ़ा काम का बाेझ

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Published : Nov 21, 2021, 12:31 PM IST

डॉक्टर
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डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अपील की है कि ऑल इंडिया कोटा के तहत ईडब्ल्यूएस ओबीसी आरक्षण (EWS OBC Reservation) मामले पर शीघ्र जजमेंट दे ताकि 2021- 22 सेशन के लिए पीजी स्टूडेंट्स का दाखिला सुनिश्चित हो सके. उन्होंने पीजी के एडमिशन (Admission in PG) प्रोसेस 31 दिसंबर 2021 तक पूरी कर लेने की अपील की है ताकि नए डॉक्टर नए वर्ष की शुरुआत में ही काम करना शुरू कर दें.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल पीजी कोर्स में दाखिले में आरक्षण को लेकर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा आरक्षण (EWS OBC Reservation) मामलें में चल रही सुनवाई में देरी होने की वजह से नीट पीजी काउंसलिंग प्रोसेस (NEET PG counseling process) में विलंब हो रहा है. परिणाम स्वरूप अस्पतालों में पीजी कोर्स (PG course) में समय पर दाखिला नहीं हो पा रहा है. इसके कारण अस्पतालों में जूनियर रेजिडेंट के नहीं आने की वजह से थर्ड ईयर एवं फोर्थ ईयर के रेजिडेंट डॉक्टर्स पर अस्पताल का भार बढ़ गया है.

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Supreme Court) को एक लेटर लिख कर इस मामले में चल रही सुनवाई जल्दी खत्म कर फैसला देने की अपील की है. ताकि पीजी काउंसलिंग की प्रक्रिया जल्दी पूरी की जा सके और छात्रों का दाखिला संभव हो पाये।

डॉक्टर की फाइल फाेटाे
डॉक्टर की फाइल फाेटाे
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फेमा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ तेजस ने बताया कि फेमा की तरफ से लिखे लेटर के माध्यम से कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान जूनियर डॉक्टर्स ने कोरोना मरीजों के इलाज में बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन नए बैच का दाखिला मेडिकल कॉलेज में नहीं होने की वजह से अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर की कमी हो गई है. नीट पीजी परीक्षा की तारीख में भी बदलाव हो गए. जो परीक्षा अप्रैल 2021 में होनी थी वह सितंबर 2021 में हुई. परीक्षा में हुई देरी की वजह से नीट पीजी के छात्रों का ना सिर्फ एक साल बर्बाद हुआ, बल्कि जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स पर भी काम का काफी दबाव बढ़ गया है.

क्या कह रहे हैं डॉक्टर
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डॉ तेजस ने बताया कि थर्ड ईयर और फोर्थ ईयर के स्टूडेंट्स पर वर्क लोड काफी बढ़ गया है, क्योंकि मरीजों की देखभाल में कोई कमी नहीं रखने के लिए रेजिडेंट डॉक्टर्स दिन- रात काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स एमएस और एम डी की परीक्षा में शामिल होंगे. उसके बाद डॉक्टरों की संख्या और कम हो जायेगी. डॉक्टर तेजस ने बताया कि इस लापरवाही की वजह से ज्यादातर पीजी के स्टूडेंट्स डिप्रेशन में आ रहे हैं. फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स पर पॉलिसी मेकर्स को प्राथमिकता देनी चाहिए.

डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अपील की है कि ऑल इंडिया कोटा के तहत ईडब्ल्यूएस ओबीसी आरक्षण (EWS OBC Reservation) मामले पर फास्टट्रैक जजमेंट दे ताकि 2021- 22 सेशन के लिए पीजी स्टूडेंट्स का दाखिला सुनिश्चित हो सके. फेमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रोहन कृष्णन ने बताया कि नीट पीजी एडमिशन प्रक्रिया में देरी होने की वजह से पहले ही 8 से 9 महीने का समय बर्बाद हो चुका है. नए बैच के स्टूडेंट्स को एकेडमिक ट्रेनिंग में परेशानी होगी.

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