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NDMC के पूर्व अफसर का बंगले पर कब्जा, गृह विभाग से बनवाया जा रहा है दबाव

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Published : Jan 22, 2022, 4:03 PM IST

NDMC के कार्मिक विभाग के डायरेक्टर विरेंद्र कुमार सिंह का गृह मंत्रालय में ट्रांसफर हुए दो साल बीत चुके हैं, लेकिन वह अब तक NDMC के बंगले को खाली नहीं कर रहे हैं. विरेंद्र कुमार सिंह गृह विभाग से चिट्ठी भेजकर NDMC पर बंगला खाली न कराने का दबाव बना रहे हैं. जिससे कर्मचारियों में खासा आक्रोश है.

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नई दिल्ली : गृह मंत्रालय से प्रतिनियुक्ति पर NDMC में आए अधिकारी विरेंद्र कुमार सिंह का कार्यकाल 2 साल पहले ही समाप्त हो चुका है, लेकिन उन्हें रहने के लिए NDMC की तरफ से जो बंगला दिया गया था. उसे वह अभी तक खाली नहीं कर रहे हैं. NDMC के बंगले पर जबरदस्ती कब्जा जमाए रखने की नीयत से गलत तरीके से अंडर सेक्रेटरी से चेयरमैन को लेटर लिखवाकर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है. अफसर के खिलाफ पालिका कर्मचारी संघ में काफी आक्रोश है. कर्मचारियों ने विरेंद्र कुमार सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.





NDMC के कार्मिक विभाग के डायरेक्टर का गृह मंत्रालय में ट्रांसफर हुए दो साल बीच चुके हैं, लेकिन वह अब तक NDMC से मिला आवास खाली करने का नाम नहीं ले रहे हैं. आवास पर कब्जा जमाए रखने के लिए वह तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. जिसको लेकर कर्मचारियों में खासा आक्रोश है. उन्हें आवास खाली करने का बार-बार अल्टीमेटम दिया जा चुका है, लेकिन वह आवास छोड़ने को तैयार नहीं हैं.

NDMC के पूर्व अफसर का बंगले पर कब्जा, गृह विभाग से बनवाया जा रहा है दबाव



नई दिल्ली नगर पालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधाकर कुमार ने बताया कि दो साल पहले NDMC के कार्मिक विभाग के डायरेक्टर पद पर प्रतिनियुक्ति पर विरेंद्र कुमार सिंह आए थे. दो साल पहले उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है. उन्हें गृह मंत्रालय बेज दिया गया है. फिर भी वह NDMC के बंगले पर कब्जा जमाए हुए हैं. नियमानुसार विभाग से जाने के बाद 8 महीने के भीतर आवास खाली करना जरूरी है. लेकिन दो साल के बाद भी वह बंगला खाली नहीं कर रहे हैं. उन्हें आवास खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया तो गृह विभाग के एक अंडर सेक्रेटरी से लेटर लिखवाकर भेज दिया. जिसके मुताबिक उनके मामले में एनडीएमसी कोई निर्णय नहीं ले सकता है. जब तक गृह विभाग चाहेगा तब तक विरेंद्र कुमार सिंह एनडीएमसी द्वारा आवंटित आवास में ही रहेंगे, जबकि यह संपत्ति तो NDMC की है.

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NDMC के पूर्व अफसर का बंगले पर कब्जा, गृह विभाग से बनवाया जा रहा है दबाव



सुधाकर ने बताया कि 3 जनवरी 2022 को गृह विभाग के अंडर सेक्रेट्री ने NDMC के चेयरमैन धर्मेंद्र को एक चिट्ठी लिखी. चिट्ठी में कहा गया है कि विरेंद्र कुमार को NDMC की तरफ से उनकी प्रतिनियुक्ति के दौरान आवास की सुविधा दी गई थी. उसे तब तक कायम रखा जाय जब तक कि उनकी ओर से इस संबंध में कोई निर्णय न ले लिया जाए. सुधाकर ने बताया कि 10 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक निर्णय दिया है. जो NDMC की स्वायत्त अधिकार की पुष्टि करता है. सुधाकर बताते हैं कि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार के तहत स्वायत्त निकाय पर कोई भी राज्य सरकार या केंद्र सरकार किसी भी मामले में अपना निर्णय थोपने के लिए उस पर दबाव नहीं बना सकती है. लेकिन गृह मंत्रालय की तरफ से एक अंडर सेक्रेट्री ने जिस तरीके से NDMC के अध्यक्ष पर आवास मामले में दबाव बनाने की कोशिश की है. वह सरासर संविधान के विरुद्ध और नियमों का उल्लंघन है.

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सुधाकर कुमार ने बताया कि इस संबंध में उचित कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय के गृह सचिव को एक लेटर लिखा है. उनसे मांग की है कि जिस अधिकारी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए NDMC चेयरमैन पर किसी के व्यक्तिगत मामले में उन्हें लाभ पहुंचाने की नीयत से दबाव बनाने की कोशिश की. उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए. गृह मंत्रालय को NDMC के किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. जो भी अधिकारी ऐसा करने का काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए गृह मंत्रालय कार्रवाई से अवगत कराए. अगर गृह मंत्रालय ऐसा नहीं करता है तो वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएंगे.

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