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इस वजह से नारायण मूर्ति ने सुधा मूर्ति को इंफोसिस में नहीं होने दिया शामिल, अब हो रहा अफसोस

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 5, 2024, 10:31 AM IST

Narayana Murthy (File Photo)
नारायण मूर्ति (फाइल फोटो)

Narayana Murthy- सॉफ्टवेयर आइकन एनआर नारायण मूर्ति ने पत्नी सुधा मूर्ति को इंफोसिस में शामिल नहीं होने देने के अपने फैसले पर दुख व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने अब अपनी स्थिति बदल दी है. उन्होंने कहा कि मैं गलत था. आगे क्या कुछ कहते है नारायण मूर्ति, पढ़ें पूरी खबर में...

नई दिल्ली: नारायण मूर्ति ने हाल ही कहा कि उनको एक फैसले पर अफसोस होता है. एनआर नारायण मूर्ति ने पत्नी सुधा मूर्ति को इंफोसिस में शामिल नहीं होने देने के अपने फैसले पर खेद व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने अब अपनी स्थिति बदल दी है. उन्होंने कहा कि मैं गलत था. अब मुझे इस पर विश्वास नहीं है. मुझे लगता है कि मैं उन दिनों जो कर रहा था वह गलत था. नारायण मूर्ति ने मीडिया चैनल को एक इंटरव्यू में कहा कि मैं गलत तरीके से आदर्शवादी था और कुछ मायनों में, मुझे लगता है, मैं उन दिनों के माहौल से बहुत प्रभावित था.

नारायण मूर्ति को 28 साल के उम्र में हुआ था प्यार
बता दें कि 28 साल की उम्र में नारायण मूर्ति को एक इंजीनियर सुधा कुलकर्णी से प्यार हो गया था. सुधा कुलकर्णी औपचारिक रूप से टेल्को, जो अब टाटा मोटर्स है, में अपनी जगह बना चुकी थी. कंपनी के शॉप फ्लोर पर काम करने वाली पहली महिला बन गई थी. 1981 में, यह सुधा मूर्ति ही थीं जिन्होंने अपने पति को इंफोसिस की स्थापना के लिए शुरुआती पैसे के रूप में 10,000 रुपये दिए थे. यह पैसा उसके निजी इमरजेंसी फंड से आया था. जब उन्होंने औपचारिक रूप से इंफोसिस में शामिल होने के लिए कहा, तो नारायण मूर्ति ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि परिवार के सदस्यों को कंपनी में शामिल नहीं होना चाहिए.

सुधा मुर्ति को इंफोसिस में शामिल होने से किया था मना
77 वर्षीय मूर्ति ने आगे कहा कि मुझे यह महसूस हुआ कि अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन का मतलब इसमें परिवार को लाना नहीं है क्योंकि उन दिनों यह केवल परिवार था जहां सभी प्रकार के बच्चे आते थे और कंपनी चलाते थे. यह स्वीकार करते हुए कि उनकी पत्नी इंफोसिस के अन्य सभी संस्थापकों की तुलना में अधिक योग्य थीं. सॉफ्टवेयर आइकन ने कहा कि दुनिया के दो शीर्ष विश्वविद्यालयों के फिलॉसफी के कुछ प्रोफेसरों के साथ चर्चा के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें इसमें शामिल नहीं होने देना गलत था.

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