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क्लाइमेट चेंज के कारण बदला मौसम का पैटर्न, उत्तराखंड में 50 फीसदी कम हुई बारिश, सूखी सर्दी का खेती पर असर

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 23, 2023, 11:48 AM IST

Updated : Dec 23, 2023, 12:30 PM IST

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क्लाइमेट चेंज के कारण बदला मौसम का पैटर्न

Weather pattern changed due to climate change क्लाइमेट चेंज के कारण मौसम का पैटर्न बदल रहा है. इसका सीधा असर बारिश पर पड़ा रहा है. इस बार उत्तराखंड में 50 फीसदी तक कम बारिश हुई है. इसके कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.

क्लाइमेट चेंज के कारण बदला मौसम का पैटर्न

देहरादून: उत्तराखंड में ग्लोबल वार्मिंग और तमाम दूसरी वजहों के चलते बदले मौसमी पैटर्न ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. स्थिति यह है कि दिसंबर महीने में 50% तक बारिश कम रिकॉर्ड की गई है. उधर यह हालात आम लोगों से लेकर किसानों तक के लिए भी मुसीबत बन गए हैं. इसके साथ ही प्रदेश में बारिश और बर्फबारी भी कम हो रही है. हवा में कम नमी वाली सूखी ठंड बढ़ रही है, जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं.

वैज्ञानिक मानते हैं कि दुनिया आइस एज की तरफ बढ़ रही है. पृथ्वी का तापमान भी पिछले सैकड़ों सालों के रिकॉर्ड के लिहाज से महज 14 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है. इन हालातों के बीच कम बर्फबारी मौसम में एक नए बदलाव के संकेत दे रही है. उत्तराखंड के लिहाज से देखें तो दिसंबर महीने में बारिश और बर्फबारी दोनों ही काफी कम हुई हैं. ऐसी स्थिति में लोगों को सूखी ठंड का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल हवा में नमी की मात्रा कम हो रही है, जिससे सूखी ठंड का प्रकोप बढ़ रहा है. दिसंबर महीने में बारिश की मात्रा 50 फ़ीसदी तक कम रही है. हालांकि, 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई है. बाकी क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी का असर काफी कम ही देखने को मिला है. ऐसी स्थिति का सबसे ज्यादा असर आम लोगों के साथ ही किसानों पर भी हो रहा है.

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मौजूदा तापमान के रिकॉर्ड को ही देख लें तो पिछले 24 घंटे में प्रदेश के चार शहरों का तापमान काफी कुछ संकेत दे रहा है. देहरादून में अधिकतम 21.4 तो न्यूनतम 6.02 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया है. पंतनगर में अधिकतम 22.8 और न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रिकॉर्ड किया गया. मुक्तेश्वर में 17 डिग्री अधिकतम और 5.8 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड हुआ. नई टिहरी में 17.8 अधिकतम और 4.8 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड हुआ. उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह कहते हैं फिलहाल तापमान अधिकतम में दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक अधिक चल रहे हैं. न्यूनतम में इतना ही तापमान कम चल रहा है.

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उत्तराखंड में कम बारिश और बर्फबारी का असर पर्यटक स्थलों पर भी दिखना स्वाभाविक है. राज्य में सर्दियों के मौसम में पर्यटक बर्फबारी का आनंद लेने भी पहुंचते हैं. इस बार पिछले सालों की तुलना में बर्फबारी कम देखने को मिल रही है. लिहाजा इसका सीधा असर पर्यटकों पर भी पड़ना तय है. यही नहीं आम लोग भी बारिश बराबरी ना होने के कारण सूखी ठंड के चलते तमाम दिक्कतों से दो-चार हो रहे हैं.

ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मौसमी चक्र पर पड़ रहा है. न केवल वातावरण गर्म हो रहा है बल्कि मौसम में भी समय का अंतर दिखाई देने लगा है. इसके कारण गर्मियां देरी से आ रही हैं. सर्दी भी लेट हो रही हैं. इसी तरह बारिश का मौसम भी देरी से आ रहा है. यानी मौसम के समय चक्र में काफी बड़ा अंतर अब दिखाई देने लगा है.

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किसान भी मौसम के बदलते रुख के कारण काफी परेशान हैं. खासतौर पर दिसंबर महीने में जिस तरह बारिश और बर्फबारी में कमी आई है, उससे खेती पर भी इसका असर पड़ रहा है. किसान कहते हैं पिछले साल भी गेहूं की खेती पर मौसम का असर पड़ा था. ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में बदलाव के चलते गेहूं की खेती खराब हो गई थी. इस साल भी गेहूं की खेती पर इसका असर पड़ना तय है. इससे पहले मटर की खेती भी इससे प्रभावित हो चुकी है.

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उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में खेती मौसम आधारित है. राज्य की भौगोलिक स्थिति के लिहाज से करीब 60% से ज्यादा किसान मौसम पर भी डिपेंडेंट हैं. कम क्षेत्र ही हैं जहां सिंचाई के जरिये बारिश की कमी को दूर किया जा सकता है. ऐसे में मौसम की बदलते चक्र का सबसे ज्यादा असर ऐसी खेती पर हो रहा है. इतना ही नहीं जिस तरह मौसम में बदलाव हो रहा है उससे इंसानों के स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

Last Updated :Dec 23, 2023, 12:30 PM IST
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