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देहरादून से काठमांडू के बीच पिछले 500 सालों में नहीं आया बड़ा भूकंप, ALERT कर रहे वैज्ञानिक, जानिये क्या है वजह

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 27, 2023, 8:01 PM IST

Updated : Nov 28, 2023, 2:56 PM IST

Uttarakhand Earthquake
भूकंप ALERT

हिमालयी क्षेत्र में भूकंप को लेकर बड़ा अलर्ट आया है. वैज्ञानिकों का मनान है कि हिमालय में स्टोर एनर्जी प्रलयकारी है. जानकारों की मानें तो पिछले 500 सालों में देहरादून से काठमांडू के बीच कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. जिसके कारण हिमालय में काफी एनर्जी स्टोर हो गई है. जिसके कारण भविष्य में कोई बड़ा भूकंप आने की संभावना है.

हिमालयी क्षेत्र में बड़े भूकंप को लेकर अलर्ट.

देहरादून (उत्तराखंड): पिछले कुछ दिनों के भीतर नेपाल में कई बार भूकंप आ चुका है. जिसके चलते उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस किये गये. ऐसे में वैज्ञानिक देहरादून से नेपाल के काठमांडू के बीच बड़ा भूकंप आने की संभावना जाता रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र में पिछले 500 सालों के भीतर कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की संभावना है.

Uttarakhand Earthquake
अब तक बड़े भूकंप

देहरादून से काठमांडू के बीच और खासकर नेपाल क्षेत्र में आए दिन भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. कम मैग्नीट्यूड का भूकंप होने की वजह से इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है. जानकार बताते हैं कि पिछले 500 सालों से इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. जिसके कारण इस रीजन के भूगर्भ में काफी एनर्जी एकत्र हो गई है. यह हल्के हल्के भूकंप के जरिए रिलीज हो रही है. अब जानकार किसी बड़े भूकंप का आशंका जता रहे हैं.
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हिमालय की समस्याओं को समझने के लिए नहीं है इंस्ट्रूमेंट डाटा: वैज्ञानिक डॉ परमेश बनर्जी के अनुसार हिमालई राज्यों में आपदा दो तरह की होती है. जिसमें पहली आपदा भूकंप है. दूसरी आपदा ग्लोबल वार्मिंग जिसमें फ्लड, लैंडस्लाइड शामिल हैं. इन दोनों चीजों को समझने के लिए हमारे पास कैपेसिटी नहीं है. हमारे पास टेक्नोलॉजी, अनुभव है, पर हमारे पास हिमालय की समस्याओं को समझने के लिए इंस्ट्रूमेंट डाटा नहीं है.
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भूकंप और ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज से सबसे खतरनाक: उन्होंने कहा हिमालयी क्षेत्र दुनिया में भूकंप और ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज से सबसे खतरनाक माना जाता है. इस पर इंस्ट्रूमेंट डाटा से बहुत कम स्टडी की गई है. जब तक इंस्ट्रूमेंट नही लगाएंगे, तब तक डाटा नहीं मिलेगा. जब तक डाटा उपलब्ध नहीं होगी तब तक हिमालय की समस्याओं को नही समझा जाएगा. उन्होंने कहा हमें बेसिक जानकारी तो मिल जाएगी, मगर समस्या के समाधान के लिए पूरी जानकारी जरूरी है. लिहाजा जिस तरह से दुनिया में काम रही है उसी तरह एक ऑब्जरवेटरी बनानी चाहिए. जिसका काम सिर्फ डाटा जनरेट करना हो, ताकि वैज्ञानिक उस डाटा पर रिसर्च कर बेहतर रिजल्ट निकल सके.
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500 सालों में देहरादून से काठमांडू के बीच नहीं आया बड़ा भूकंप: देहरादून से काठमांडू तक के क्षेत्र में बड़ा भूपंक आने की संभावना है. पिछले 500 सालों के भीतर इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. जिसे गैप एरिया कहा जाता है. इस एरिया में बहुत ज्यादा एनर्जी एकत्र हो गई है. मौजूदा स्तिथि यही है कि इस क्षेत्र में कभी भी भूकंप आ सकता है. साल 2015 में काठमांडू में गोरखा अर्थक्विक आया था. इसके पांच साल बाद इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया. इसके बाद दो साल में 2 बार बड़े भूकंप आए. फिर साल 2022 में दो बार बड़े भूकंप आए. यही नहीं, साल 2023 में तीन बार बड़े भूकंप आ चुके हैं. भूकंप का टाइम पीरियड घट रहा है. बड़े भूकंप की संख्या बढ़ती जा रहा ही है जो चौंकाने वाली है.
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इंस्ट्रूमेंट के जरिए मिल सकती है भूकंप के संभावना की जानकारी: उन्होंने कहा ये सभी भूकंप नेपाल में आए, जो उत्तराखंड से जुड़ा हुआ है. संयोगवश उत्तराखंड में भूकंप का ज्यादा असर नहीं हुआ. उन्होंने कहा करीब 6 मैग्नीट्यूड भूकंप की संभावना है लेकिन इसके आने से उत्तराखंड हिमालय में नुकसान होगा. ये किसी बड़े भूकंप का हिस्सा नहीं है. इसके अलावा ये बता पाना संभव नहीं है कि किस दिन, किस समय और किस क्षेत्र में कितने मैग्नीट्यूड का भूकंप आने वाला है. इतना जरूर है कि इंस्ट्रूमेंट मेजरमेंट के जरिए बता सकते हैं कि किसी भी क्षेत्र में अगले 50 साल के भीतर बड़ा भूकंप आने की संभावना करीब 70 फीसदी है, लेकिन इसके लिए बहुत सारा डेटा चाहिए.
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भूकंप के साथ जीवन जीना सीखने की जरूरत: इंटरनेशनल साइंस काउंसिल (ISC) के फेलो (fellow) और एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (AERB) के मेंबर प्रोफेसर हर्ष गुप्ता ने बताया बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है, लेकिन कब आयेगा और कहां आयेगा इसका सही अनुमान नहीं है. इसके साथ ही वर्तमान समय में कोई फुलप्रूफ स्कीम नहीं है जिससे बता पाए कि बड़ा भूकंप इस समय कहां पर आएगा. अगर भूकंप की भविष्यवाणी कर दी जाए तो तत्काल उस जगह को छोड़कर नहीं जा सकते. ऐसे में जरूरी है कि इसके लिए तैयारी करें. भूकंप के साथ जीना सीखें.
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विकास कार्यों का भी भूकंप पर पड़ता है असर: पर्वतीय क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों से भूकंप के ट्रिगर होने के सवाल पर प्रो हर्ष गुप्ता ने बताया विकास कार्यों से भूकंप पर बहुत माइनर असर होता है. भूगर्भ में जो एनर्जी एकत्र हो रही है काफी समय से है. उन्होंने कहा जो भी विकासकार्य कर रहे हैं उसमें सावधानी बरतनी चाहि. उन्होंने कहा लाइफलाइन बिल्डिंग्स (हॉस्पिटल, फायर स्टेशन, स्कूल आदि) को बहुत ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए कि वो भूकंपरोधी हों.

साल 2000 के बाद से देश दुनिया में आए बड़े भूकंप

  • साल 2001 में गुजरात 7.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप
  • इस भूकंप के कारण करीब 20 हजार लोगों की मौत हुई
  • साल 2003 में बैम, ईरान में 6. मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • इसमें करीब 27 हजार लोगों की मौत हुई
  • साल 2004 में सुमात्रा अंडमान, इंडोनेशिया में 9.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया
  • इसमें करीब दो लाख 40 हज़ार लोगों की मौत हुई
  • साल 2005 में मुजफ्फराबाद, पकिस्तान में 7.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • इसमें 87 हज़ार लोगो की मौत हुई
  • साल 2008 में सिचुआन, चीन में 8.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • जिसके कारण करीब 80 हज़ार लोगो की मौत हुई
  • साल 2010 में कैरीबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • इसमें करीब 3 लाख 16 हज़ार लोगों की मौत हुई
  • साल 2011 में तोहोकू, जापान में 9.1 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • जिसमें करीब 18 हज़ार लोगों की मौत हुई
  • साल 2011 में सिक्किम में 6.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • जिसकी वजह से करीब 120 लोगों की मौत हुई
  • साल 2015 में नेपाल में 7.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • जिसकी वजह से करीब 10 हज़ार लोगों की मौत हुई
  • साल 2018 में अलास्का, यूएसए में 7.9 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • साल 2021 में कैरीबियन द्वीप हैती में सुनामी के साथ 7.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया.
  • इसमें करीब 3 हज़ार लोगो की मौत हुई.
Last Updated :Nov 28, 2023, 2:56 PM IST
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