देहरादून (उत्तराखंड): दिल्ली एनसीआर, उत्तराखंड और नेपाल में पिछले कुछ दिनों पहले महसूस हुए भूकंप के झटकों के बाद से वैज्ञानिक पुराने भूकंप के रिकॉर्ड को एनालिसिस कर रहे हैं. साथ ही इस बात को लेकर भी आगाह कर रहे हैं कि भविष्य में बड़े भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं. क्योंकि इस बेल्ट में काफी अधिक एनर्जी एकत्र हो चुकी है. ये एनर्जी धीरे-धीरे कम मैग्नीट्यूड वाले भूकंप के माध्यम से रिलीज हो रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार अगर इस क्षेत्र में कभी कोई बड़ा भूकंप आता है तो न सिर्फ नेपाल, उत्तराखंड बल्कि दिल्ली तक भारी तबाही मचेगी.
वैज्ञानिकों ने बड़े भूकंप की आशंका जताई: नेपाल और उत्तराखंड में आए दिन भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं. यही वजह है कि इन क्षेत्रों में आ रहे भूकंप के झटकों से न सिर्फ लोगों में डर का माहौल है, बल्कि वैज्ञानिक भी चिंतित हैं. लंबे समय से इस क्षेत्र में बड़े भूकंप आने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, यह भूकंप कब आयेगा और कितने मैग्नीट्यूड का होगा, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. लेकिन इतना जरूर है कि इस क्षेत्र के भूगर्भ में काफी अधिक एनर्जी एकत्र है और ये ऊर्जा कभी भी एक बड़े भूकंप के साथ धरती को हिला सकती है.
छोटे भूकंप दे रहे सतर्क रहने का मौका! वैज्ञानिकों की मानें तो अगर किसी क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका है और उस क्षेत्र में पांच या फिर 6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आ जाता है, तो वह कहीं ना कहीं भविष्य में आने वाले बड़े भूकंप की आशंकाओं को थोड़ा और आगे खिसका देता है. कुल मिलाकर यह छोटे-छोटे भूकंप भविष्य की बड़ी चुनौतियां से निपटने के लिए और समय दे देते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो जिस मात्रा में एनर्जी, भूगर्भ में एकत्र हो रही है, अगर वह एनर्जी रिलीज होती है तो एक बड़े भूकंप को ट्रिगर करेगी. ये बड़ा भूकंप न सिर्फ नेपाल और उत्तराखंड के क्षेत्रों में भारी तबाही मचाएगा, बल्कि दिल्ली में भी इसका एक बड़ा असर देखने को मिलेगा.
ये भी पढ़ें: Earthquake in Uttarakhand: चंद घंटों में उत्तराखंड में 2 बार आया भूकंप, उत्तरकाशी और चमोली में हिली धरती
क्या कहते हैं वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साई ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों में वेस्टर्न नेपाल और ईस्टर्न उत्तराखंड के क्षेत्रों में 5.5 मैग्नीट्यूट से अधिक के भूकंप आये हैं. लेकिन इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच घर्षण होने की वजह से इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा एनर्जी एकत्र हुई है. समय समय पर वो एनर्जी, थ्रस्ट फॉल्ट के जरिए निकल जाती है. साथ ही वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक ने कहा कि ये क्षेत्र घर्षण की वजह से काफी स्ट्रेस्ड है. ये क्षेत्र सीस्मिक जोन, 4 और 5 में आता है, जिसके चलते काफी मात्रा में एनर्जी एकत्र है.
जमीन के अंदर बहुत एनर्जी स्टोर है: साथ ही कहा कि जीपीएस और सिस्मोलॉजी की स्टडी से पता चला है कि बड़ी एनर्जी स्टोर है. लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ समय से एनर्जी भूकंप के माध्यम से रिलीज हो रही है, उससे बड़े भूकंप का खतरा कुछ समय के लिए आगे खिसक जाता है. अगर ये एनर्जी एक साथ निकल जाती है, तो एक बड़े भूकंप के आने की आशंता को नकारा नहीं जा सकता है. साथ ही कहा कि अभी ऐसी कोई तकनीक मौजूद नहीं है, जिसके जरिए यह बता सकें कि स्टोर एनर्जी में से कितनी एनर्जी रिलीज होगी और कब होगी.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में 7 घंटे में दो बार डोली धरती, बागेश्वर के बाद उत्तरकाशी में आया भूकंप
दिल्ली तक बड़ी तबाही मचा सकता है भूकंप: हालांकि, बड़े भूकंप के आने की संभावना किस क्षेत्र में हो सकती है, यह क्षेत्र चिन्हित किया जा चुका है. लेकिन जितनी एनर्जी इस क्षेत्र में स्टोर है, वह पूरी एनर्जी एक साथ रिलीज होती है, तो यह एक बड़ी तबाही मचाएगी. यह तबाही न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि दिल्ली तक दिखाई देगी. अगर 5.5 से 6.0 मैग्नीट्यूट का भूकंप आता रहता है तो बड़े भूकंप को आगे खिसकाया जा सकता है. हालांकि, छोटे-छोटे भूकंप आने से सरफेस में वीक पॉइंट जनरेट हो रहे हैं. लिहाजा इस क्षेत्र में भूकंप के लिहाज से स्टडी करने की जरूरत है.
ये भी पढ़ें: Earthquake Alert: उत्तरकाशी में बड़े भूकंप की आशंका! पिछले 6 महीने में आ चुके 7 झटके, अलर्ट हुए वैज्ञानिक