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वैज्ञानिक का दावाः हिमालय में स्टोर है प्रलयकारी एनर्जी, छोटे भूकंप नहीं रोक सकते बड़ा भूकंप

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Published : Nov 10, 2022, 2:26 PM IST

Updated : Nov 12, 2022, 8:34 PM IST

उत्तराखंड में पिछले 10 साल में 700 भूकंप आ चुके हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि राज्य वासियों को भूकंप की आदत डाल लेनी चाहिए. डॉ. अजय पॉल का कहना है कि यह जो छोटे-छोटे भूकंप आते हैं. उनसे ऊर्जा का रिसाव बेहद कम होता है. यदि यह कहा जाता है कि 2 या 5 डिग्री वाले भूकंप से बड़े भूकंप का खतरा खत्म हो जाता है, तो यह कहना गलत है.

earthquake in uttarakhand
हिमालय में भूकंप

देहरादूनः हिमालय क्षेत्र के भूगर्भ में एक ऐसी एनर्जी तैयार हो रही है, जो इस पूरे क्षेत्र के लिए तबाही की वजह बन सकती है. बुधवार रात आया नेपाल का भूकंप भी इसी ऊर्जा का नतीजा है. चिंता की बात यह है कि अब वैज्ञानिकों ने इस भूगर्भीय हलचल पर ऐसा दावा किया है, जो किसी की भी घबराहट बढ़ा सकता है. क्या है यह दावा और क्यों हिमाचल से लेकर नेपाल तक का यह क्षेत्र एक बड़े खतरे की जद में बना हुआ है, जानिए.

उत्तराखंड समेत उत्तर पूर्व के ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां भूकंप हमेशा एक बड़े खतरे के रूप में देखा जाता रहा है. इसके पीछे की वजह हिमालय के अस्तित्व से जुड़ा वो इतिहास है, जिसके कारण इस पूरे क्षेत्र में बड़े भूकंप का खतरा बना रहता है. दरअसल हिमालय की उत्पत्ति इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराने से हुई है. भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धस रही है. इस दौरान इन दोनों प्लेटों के टकराने से एक ऊर्जा उत्पन्न हो रही है, जो बड़ा भूकंप ना आने के कारण स्टोर हो जाती है. उत्तराखंड में पिछले 10 सालों के भीतर 12 ऐसे भूकंप आए हैं, जिनका रिक्टर पैमाने पर 4 डिग्री से अधिक तीव्रता रही है.

हिमालय में कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप.

सबसे बड़ी बात यह है कि वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों में जो छोटे भूकंप आ रहे हैं, उनसे किसी भी तरह की इस क्षेत्र को राहत नहीं मिलने वाली है. माना जाता है कि छोटे भूकंप के आने से भूगर्भ में मौजूद एनर्जी रिलीज होती है. इस कारण बड़े भूकंप को लेकर खतरा कम हो जाता है. लेकिन वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. अजय पॉल (Dr Ajay Paul Scientist at Wadia Institute) ने इस थ्योरी को पूरी तरह से गलत बता दिया है.
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डॉ. अजय पॉल का कहना है कि यह जो छोटे-छोटे भूकंप आते हैं. उनसे ऊर्जा का रिसाव बेहद कम होता है. यदि यह कहा जाता है कि 2 या 5 डिग्री वाले भूकंप से बड़े भूकंप का खतरा खत्म हो जाता है, तो यह कहना गलत है. यहां पर जो भूगर्भ में प्लेट की मूवमेंट है जिसे हम जीपीएस से स्टडी करते हैं, वह यह बताती है कि हिमालय क्षेत्र के भूगर्भ में काफी ज्यादा ऊर्जा एकत्रित है और इसीलिए हम यह कहते हैं कि कभी भी 07 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप इस क्षेत्र में आ सकता है.

भूकंप को लेकर ऐसी कई चेतावनी और सुझाव है जो वैज्ञानिक देते हुए नजर आते हैं. क्या है वह चेतावनी और सुझाव बिंदुवार समझिए.

  1. छोटे भूकंप से बड़े भूकंप का खतरा कम नहीं होता है.
  2. 4 या 5 डिग्री की तीव्रता वाले भूकंप भूगर्भीय ऊर्जा को बहुत ज्यादा रिलीज नहीं कर पाते हैं.
  3. हिमालयी क्षेत्रों में कभी भी 7 से 8 डिग्री तीव्रता वाला बड़ा भूकंप आ सकता है.
  4. भूकंप को लेकर जागरूकता की बेहद आवश्यकता है.
  5. भूकंप से जुड़े ऐप मदद कर सकते हैं. लेकिन बेहद ज्यादा असरदार ऐसे एप्लीकेशन नहीं हैं.
  6. बड़े भूकंप से बचने का जागरूकता के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
  7. भूकंप के लिए भविष्यवाणी को लेकर अब तक वैज्ञानिक कोई उपकरण ईजाद नहीं कर पाए हैं.
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वैज्ञानिक यूरेशिया और इंडियन प्लेट की मूवमेंट पर लगातार नजर रखते हैं. जीपीएस के माध्यम से इसका अध्ययन भी किया जाता है. इसी स्टडी के आधार पर वैज्ञानिक मानते हैं कि भूगर्भ में अभी इतनी एनर्जी स्टोर है, जो बड़े भूकंप को दावत दे रही है. जो भूकंप आ रहे हैं उनसे इतनी एनर्जी रिलीज नहीं हो पा रही. जिससे बड़े भूकंप का खतरा कम हो सके. यह स्थिति तब है जब अकेले उत्तराखंड में ही पिछले 10 सालों में करीब 700 भूकंप आ चुके हैं. जबकि वैज्ञानिक कहते हैं कि नेपाल और हिमाचल के कांगड़ा के भूकंप के बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इस तरह पिछले 200 साल से बहुत बड़े भूकंप को नहीं देखा गया. लिहाजा, अब भूगर्भ में इतनी एनर्जी इकट्ठी हो चुकी है जो 7 या 8 तीव्रता के भूकंप की संभावना को बढ़ा रही है.

वैज्ञानिक सीधे तौर पर कहते हैं कि दुनिया में अभी भूकंप की भविष्यवाणी का कोई उपकरण ईजाद नहीं हुआ है. लिहाजा, ना तो इसे आने से रोका जा सकता है और ना ही घबराने से इसका खतरा कम होगा. लिहाजा जागरूकता ही एकमात्र ऐसा रास्ता है जिसके जरिए भूकंप के खतरे को कम किया जा सकता है.

Last Updated :Nov 12, 2022, 8:34 PM IST
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