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क्या रूस और ईरान की वजह से हूती विद्रोहियों के निशाने से बच पाएगा भारत ?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 29, 2023, 7:27 PM IST

Updated : Jan 16, 2024, 5:49 PM IST

India and Red Sea Crisis : लाल सागर यानी रेड सी संकट गहराता जा रहा है. हाल के दिनों में यमन स्थित हूती विद्रोहियों ने यहां से गुजरने वाले कमर्शियल जहाजों को निशाना बनाया है. इसकी वजह से पूरी दुनिया का व्यापार प्रभावित हुआ है. अगर इस रूट को छोड़कर दूसरे रूट से गुड्स की आवाजाही हो, तो इसकी लागत एक तिहाई तक बढ़ सकती है. हालांकि, एक राय यह भी है कि रूस और ईरान से भारत के संबंध अच्छे हैं, लिहाजा हूती विद्रोही भारतीय जहाज पर निशाना नहीं साधेंगे. हूती को ईरान का बड़ा समर्थन प्राप्त है. पढ़ें डॉ. रवेल्ला भानु कृष्ण किरण का लेख.

houthi
हूती विद्रोही

हैदराबाद : रेड सी में हूती के हमलों ने बड़ा खतरा उत्पन्न कर दिया है. उन्हें ईरान का साथ मिल रहा है. उनके पास हथियारों से लैस हेलिकॉप्टर, ड्रोन और एंट्री शिप मिसाइल हैं. वे यमन से ऑपरेट करते हैं. अदन की खाड़ी को लाल सागर से जोड़ने वाले बाब अल मंदेब जलसंधि के पास यमन है. यहां से गुजरने वाली शिप सुएज नहर से गुजरती है. यह यूरोप और एशिया के बीच की दूरी को कम करता है.

इजराइल और हमास युद्ध के बीच हिजबुल्लाह और हूती का बार-बार जिक्र होता है. उन्हें इजराइल के खिलाफ 'एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस' भी कहा जाता है. इनका खुला स्टैंड इजराइल के खिलाफ है, यह सर्वविदित है. दूसरी ओर यमन में सिविल विद्रोह जारी है. हूती का विरोध सऊदी अरब और पश्चिमी ताकतें कर रहीं हैं. क्षेत्रीय परिस्थितियों की वजह से हूती ने फिलिस्तीन का साथ देने का फैसला किया. ऐसा कहा जा रहा है कि इजराइल पर दबाव बनाने के लिए हूती लाल सागर में व्यावसायिक जहाजों पर हमले कर रहा है.

अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक हूती विद्रोहियों ने 100 से अधिक एक तरफा हवाई हमले किए हैं, जिस दौरान 35 से अधिक देशों के कमर्शियल जहाजों को निशाना बनाया गया. पिछले एक महीने में हूती विद्रोहियों ने 13 से अधिक कमर्शियल वेसल पर या तो हमले किए या फिर उसे अपने कब्जे में कर लिया. एमवी गैलेक्सी लीडर के 25 सदस्यों को उन्होंने अभी भी बंधक बनाकर रखा हुआ है.

हूती विद्रोहियों का कहना है कि ये जहाज इजराइल को फायदा पहुंचाने के लिए सामान ला रहे हैं, लिहाजा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. लेकिन 11 दिसंबर को हूती विद्रोहियों ने नॉर्वे के कार्गो शिप द स्ट्रिंडा पर मिसाइल से हमला किया था, जबकि यह कार्गो इटली जा रहा था. इसी तरह से 15 दिसंबर को हूती विद्रोहियों ने एंटी शिप मिसाइल का प्रयोग किया. इन्होंने एमएससी प्लैटिनम-3 पर निशाना साधा. यह लाइबेरिया का जहाज था.

अंतरराष्ट्रीय मैरीटाइम ट्रेड के लिए हूती का आक्रमण चिंता का कारण है. रेड सी के जरिए सुएज नहर का प्रयोग किया जाता है. बड़े-बड़े जहाज सुएज नहर का इस्तेमाल समय बचाने के लिए करते हैं. इसलिए यह दुनिया का सबसे व्यस्ततम ट्रेड रूट है. किसी भी समय पर इस रूट से एक समय में 400 से अधिक वेसल गुजरते हैं. अगर इसमें किसी भी प्रकार की बाधा आएगी, तो 12 प्रतिशत से अधिक वैश्विक ट्रेड प्रभावित होगा और एक तिहाई मूवमेंट प्रभावित हो सकती है. अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार इस साल कुल तेल प्रवाह में से स्वेज नहर का हिस्सा 9.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन रह चुका है.

दुनिया की प्रमुख शिपिंग कंपनी एमएससी, सीएमए, सीजीएम, हपाग लैलॉड, एपी मोलर मैर्स्क वैश्विक मैरीटाइम ट्रेड के 53 प्रतिशत हिस्से पर कमांड रखती हैं. लेकिन अब ये बाब अल मंदेब खाड़ी से व्यापार को निलंबित रखने के लिए बाध्य हैं. अब कंपनियां केप ऑफ गुड होप के जरिए कार्गो को ले जाने के लिए बाध्य हैं. पर, इस रास्ते से जाने का मतलब है कि जहाज को 19 से 30 दिनों तक का अधिक समय लगेगा. साथ ही खर्चे भी बढ़ेंगे. बीमा कंपनियां या तो 5200 डॉलर तक अधिक चार्ज कर रहीं हैं, या फिर वे कवर देने के लिए तैयार नहीं हैं.

इस संकट की वजह से भारत में ऊर्जा संकट उत्पन्न हो सकता है. भारत के 200 बिलि. डॉलर का मैरीटाइम ट्रेड बाब अल मंदेब के रास्ते होता है, खासकर क्रूड ऑयल और एलएनजी का. साथ ही भारत इस रास्ते खाद्यान, इलेक्ट्रॉनिक्स और कीमती धातुओं को अफ्रीका, यूरोप और प. एशिया निर्यात भी करता है. अगर यह रूट प्रभावित रहा, तो भारत के लिए मुश्किल हो सकती है. भारत रूस से सस्ता तेल आयात कर रहा है और उसमें मासिक रूप से नौ प्रतिशत का इजाफा हो रहा था. प्रतिदिन भारत 1.73 मि. बैरल प्रति दिन आयात कर रहा था. अब इसमें 30 फीसदी तक लागत बढ़ सकती है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञ ये भी कह रहे हैं कि क्योंकि भारत का ईरान और रूस से अच्छा संबंध है, लिहाजा हूती विद्रोही भारत के जहाज पर आक्रमण नहीं कर सकते हैं.

अप्रैल 2022 से संयुक्त मैरीटाइम फोर्स का रेड सी, बाब अल मंदेब और अदन की खाड़ी में उपयोग किया जा रहा है. अमेरिकी और फ्रांसीसी वॉरशिप पेट्रोलिंग यूनिट ने रेड सी में हूती के ड्रोन और मिसाइलों पर हमले किए हैं. अमेरिका ने नया बहुराष्ट्रीय टास्क फोर्स गठन करने का फैसला किया है. इसका नाम ऑपरेशन प्रोस्परिटी गार्डियन रखा गया है. इनमें बहरीन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, सिशेल्स, स्पेन और यूके को भी शामिल किया गया है. इनमें से कुछ देशों की नौसेना संयुक्त रूप से पेट्रोलिंग करेंगे, और कुछ देश इंटेलिजेंस के तौर पर सहयोग करेंगे. हालांकि, अभी सारे देशों ने इस समझौते पर सहमति नहीं दी है. इजिप्ट ने अभी तक अपना स्टैंड साफ नहीं किया है. इजिप्ट को प्रतिदिन 30 मि. डॉलर के ट्रांजिट फीस का नुकसान हो रहा है, क्योंकि सुएज नहर से गुजरने वाली जहाजों को फीस देना पड़ता है. सऊदी अरब का निर्यात प्रभावित हो रहा है. और चीन अपना माल यूरोप नहीं भेज पा रहा है. तीनों देशों ने अभी तक इस मसले पर स्टैंड साफ नहीं किया है.

जाहिर है, ऐसे में यह बहुत बड़ा सवाल है कि रेड सी जल्द से जल्द सुरक्षित किया जाए ताकि वैश्विक व्यापार प्रभावित न हो और पूरी दुनिया में मैरीटाइम को लेकर कोई भी अनिश्चितता ना रहे.

Last Updated :Jan 16, 2024, 5:49 PM IST
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