ETV Bharat / bharat

माफिया से बाहुबली और फिर माननीय बना मुख्तार अंसारी, पूर्वांचल की धरती को किया रक्तरंजित

author img

By

Published : Apr 22, 2023, 4:21 PM IST

बाहुबली मुख्तार अंसारी माफिया से बाहुबली और फिर माननीय बन गया. उसने पूर्वांचल की धरती को रक्तरंजित किया. चलिए जानते हैं मुख्तार के अपराधिक इतिहास से जुड़े कुछ खास किस्सों के बारे में.

Etv Bharat
Etv Bharat

लखनऊ: पूर्वांचल उत्तर प्रदेश की धरती का वो हिस्सा जहां अपराध की ढेरों कहानियां हैं. ये धरती माफिया और खलनायकों का वह अंडरवर्ल्ड है जिसके बारे में जानना बहुत जरूरी है क्योंकि इसी जमीन में पैदा हुआ था बांदा जेल में बंद पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन मुख्तार अंसारी जिसने पूर्वांचल धरती को कुरुक्षेत्र बना दिया था. वर्ष 1988 में पहली बार मुख्तार का नाम सच्चिदानंद राय हत्याकांड में सामने आया था. ये हत्या जमीन के लिए की गई थी. हालांकि मुख्तार इस केस में पैसा और पावर का इस्तेमाल कर बच गया लेकिन इसके बाद जमीन पर कब्जा, शराब के ठेके और सरकारी ठेकों पर खुल कर कब्जा करना उसका शगल बन गया और मुख्तार पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन बन गया.

Etv bharat
बेटे के साथ मुख्तार अंसारी. (फाइल फोटो)
मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बेहद सम्मानित परिवार में हुआ था. मुख्तार अंसारी के दादा कांग्रेस अध्यक्ष, नाना परमवीर चक्र विजेता, चाचा उपराष्ट्रपति लेकिन मुख्तार अपराधी निकला. बांदा जेल की बैरक नंबर 16 बंद मुख्तार अंसारी पर 59 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या लूट अपहरण और जमीनों पर कब्जा करने के मामले दर्ज हैं लेकिन कम ही लोगों को पता है की जुर्म की दुनिया का यह माफिया एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता है जिसका कभी गौरवशाली इतिहास रहा है.
Etv bharat
मुख्तार अंसारी के दोनों बेटे. (फाइल फोटो)

मुख्तार के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी फ्रीडम फाइटर थे. वर्ष 1927 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. यही नहीं दिल्ली की एक सड़क का नाम भी उनके नाम पर हैं. मुख्तार के नाना भी एक नामचीन हस्ती थे, महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान ने वर्ष 1948 में भारतीय सेना की तरफ से नवशेरा की लड़ाई लड़ी थी. लड़ाई में ब्रिगेडियर उस्मान शहीद होने वाले सेना के सर्वोच्च अधिकारी थे. मरणोपरांत ब्रिगेडियर उस्मान को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया इतना ही नहीं पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार रिश्ते में चाचा लगते हैं लेकिन एक ऐसा व्यक्ति जिस को राजनीति विरासत में मिली जिसके दादा व नाना देश के सम्मानित लोग रहे हैं वह इस देश में सबसे बड़ा अपराधी बन गया.

Etv bharat
परिवार के साथ मुख्तार अंसारी. (फाइल फोटो)

कहते हैं कि मुख्तार अपने कॉलेज के दिनों में क्रिकेट खेलता था लेकिन देखते देखते वह बंदूक से खेलने लगा. लोग मजबूरी में जुर्म का रास्ता चुनते है, लेकिन मुख्तार ने सोची-समझी रणनीति के तहत अपराध की दुनिया में कदम रखा.

Etv bharat
पुलिस अभिरक्षा में मुख्तार अंसारी. (फाइल फोटो)
अफशा से ऐसे हुई मुख्तार की थी शादीजिस अफशा अंसारी पर यूपी पुलिस ने पचास हजार का इनाम घोषित किया है, जिसको लेकर लुकआउट नोटिस जारी किया गया है उन अफशा अंसारी ने मुख्तार की शादी कैसे हुई ये भी जानना जरूरी है. दरअसल, मुख्तार अंसारी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई युसुफपुर गांव मे की. उसके बाद गाजीपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया. स्कूल और कॉलेज के दौरान मुख्तार अक्सर क्रिकेट और फुटबाल खेलता था. वर्ष 1989 में अफशा अंसारी से मुख्तार की शादी हुई, जिनसे दो बेटे हुए एक अब्बास अंसारी जो मौजूदा समय विधायक है और कासगंज जेल में बंद है. दूसरा बेटा उमर अंसारी फिलहाल दिल्ली में है.
Etv bharat
रोड शो में मुख्तार अंसारी. (फाइल फोटो)
ब्रजेश से शुरू हुई मुख्तार की अदावत90 के दशक में पूरे पूर्वांचल में मुख्तार के नाम की तूती बोलती थी. एक तरह से मुख्तार का आतंक अपने चरम पर था लेकिन तभी पूर्वांचल की जमीन पर बृजेश सिंह का नाम सुनाई देने लगा. जैसे एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती ठीक वैसे ही पूर्वांचल में दो डॉन भी नहीं हो सकते थे. ऐसे में शुरू हुआ पूर्वांचल की जमीन पर गैंगवार. गाजीपुर और मऊ के जिन सरकारी ठेकों पर मुख्तार अंसारी का एक क्षेत्राधिकार था उनको बृजेश सिंह ने कब्जाना शुरू कर दिया लेकिन वर्चस्व की लड़ाई का अंजाम क्या होगा अब तक इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था.

कहानी मुख्तार अंसारी के पक्ष में तब झुक गई जब वर्ष 1996 में बसपा के टिकट पर मऊ से चुनाव जीतकर मुख्तार अंसारी विधानसभा पहुंच गया. मुख्तार माफिया था लेकिन राजनीति में आने के बाद वह बाहुबली बन गया इसके बाद मुख्तार ने अपने विरोधियों को रास्ते से हटाने का फैसला शुरू कर दिया. इसी बीच वर्ष 2001 में उसर चट्टी कांड हुआ, जिसमें ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग करवाई. बाद में इस मामले ब्रजेश सिंह को 12 साल तक जेल में रहना पड़ा. इस मामले में बीते साल ब्रजेश को जेल से सशर्त जमानत देकर रिहा किया गया है.

माफिया से बाहुबली और फिर माननीय बना मुख्तार
मुख्तार अंसारी पूर्वांचल की धरती को कुरुक्षेत्र बना चुका था. जमीन कब्जा, शराब के ठेके, रेलवे ठेकेदारी, खनन जैसे कई अवैध कामों में उसका कब्जा बढ़ रहा तो वहीं दूसरी तरफ वो आम जनता की मदद करके अपनी छवि सुधारने का भी काम कर रहा था. ऐसे में मुख्तार अंसारी ने राजनीति में आने का मन बना लिया. मुख्तार अंसारी हर बार मऊ सीट से ही चुनाव लड़ता रहा और लगातार पांच बार विधायक भी चुना गया. 2002 और 2007 में मुख्तार अंसारी ने मऊ से ही निर्दलयी चुनाव लड़ा और उसमें भी जीत हासिल की. वर्ष 2009 में बीएसपी से मुख्तार ने लोकसभा वाराणसी सीट चुनाव लडा, लेकिन किस्मत ने साथ नही दिया और वो अपना पहला लोकसभा चुनाव हार गया. 2012 में मुख्तार अंसारी ने कौमी एकता दल के नाम से एक नई पार्टी बनाई और इसी पार्टी से उसने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. 2017 में एक बार फिर मुख्तार अंसारी ने बीएसपी का रुख किया और मऊ से फिर विधायक चुना गया. साल 2022 के विधान सभा चुनाव में उसने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी.



बीजेपी MLA कृष्णानंद राय की हत्या का लगा आरोप
वर्ष 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद की हत्या के आरोप जब मुख्तार अंसारी पर लगे तो ये मामला काफी ज्यादा सुर्खियों में रहा. दरअसल ये किस्सा शुरू होता है मुहम्मदाबाद सीट से, जो वर्ष 1985 से अंसारी परिवार के पास ही रही है और उस वक्त मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजल अंसारी यहां से चुनाव लड़ रहे थे। वर्ष 2002 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय ने अफजल अंसारी को यहां से चुनाव में हरा दिया। ये हार मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी और कृष्णानंद राय, मुख्तार अंसारी के निशाने पर आए गए। 29 नवंबर 2005 को बीजेपी विधायक कृष्णानंद अपने काफिले के साथ गाजीपुर से एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनके काफिले पर एके 47 से हमला कर दिया गया. कृष्णानंद समेत पांच लोगों को गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा. कहा जाता है कि जेल में रहकर मुख्तार अंसारी ने अपने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद से कृष्णानंद की हत्या करवाई. यहां तक मुन्ना बजरंगी को मुख्तार ने निर्देश दिए थे कि कृष्णानंद राय की हत्या कर उसकी चोटी भी काट कर ले आए.


मुख्तार अंसारी ने जम कर खेली खून की होली
मुख्तार अंसारी पर 24 थानों पर 59 मुकदमे दर्ज हैं. मुख्तार पर करीब 18 हत्या के केस दर्ज है. एमपी एमएलए कोर्ट मुख्तार पर 10 केस चल रहे हैं. 10 मुकदमों में से अकेले 4 गैंगस्टर के हैं. गैंगस्टर के 3 मुकदमे गाजीपुर और एक मऊ का है. करीब 4 मामलों में मुख्तार को सजा हो चुकी है. मुख्तार का अंत क्या होगा यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है, लेकिन एक राजनीतिक परिवार का यह लड़का कैसे बैड बॉय बन गया और कैसे सलाखों के पीछे इसलिए खून की होली खेली यह भी जानना जरूरी है. पूर्वांचल समेत कई हिस्सों में हुई 14 हत्याकांड है जिस पर मुख्तार गैंग शामिल था.

एक नजर
1. वर्ष 1988 में मंडी परिषद के ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या
2. वर्ष 1991 में वाराणसी के कांग्रेसी नेता अवधेश राय की हत्या
3. वर्ष 1997 में कोयला व्यापारी और विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष नंद किशोर रूंगटा का अपहरण और फिर हत्या
4. वर्ष 1999 में लखनऊ में राजभवन के सामने लखनऊ के जेल अधीक्षक आरके तिवारी की शूटरों ने गोलियों से भून दिया।

5. साल 2005 की शुरुआत में मुख्तार के विधानसभा क्षेत्र मऊ में दंगा भड़क गया, पुलिस ने इस मामले में मुख्तार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसी बीच मोहम्मदाबाद से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की मुख्तार के खास शूटर मुन्ना बजरंगी ने अपने साथियों के साथ कृष्णानंद राय की हत्या कर दी। हालांकि 2019 में मुख्तार और अफजाल इस मामले में बरी हो जाते हैं।


7. गाजीपुर जिले में झींकु गिहर की लोक सभा चुनाव के दौरान मुख्तार गैंग के लोगों ने हत्या कर दी.

8. राधुवारगंज में बीजेपी कार्यकर्ता टुनटुन राय की मुख्तार गैंग ने हत्या कर दी थी.


9. गाजीपुर में ही लोक सभा चुनाव के दौरान मुख्तार गैंग ने सोमानाथ राय की भी हत्या कर दी.

10. 8 जून 2005 को मुख्तार गैंग ने बीजेपी कार्यकर्ता रामेंद्र राय की हत्या कर दी थी.

11. बीजेपी के कार्यकर्ता कल्लू राय की हत्या गोली मारकर कर दी गई थी.

12. मोहम्मदाबाद पुलिस चौकी के पास अखिलेश राय की हत्या की गई थी.

13. जुलाई 2005 को कृष्णानंद राय के करीबी रहे ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र राय की हत्या कर दी गई थी.

14. हरिहरपुर के ग्राम प्रधान रहे राजेश राय समेत तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी.



मुख्तार के काले साम्राज्य को किया गया ध्वस्त

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के साम्राज्य को ढहा दिया गया. साल 2005 से देश की अलग अलग जेलों में बंद मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में 59 मुकदमें दर्ज हैं जिसमें 20 ऐसे केस है जो कोर्ट में विचाराधीन है. अब तक 4 मामलों में माफिया को सजा सुनाई जा चुकी है. माफिया के सहयोगियों व उसके गुर्गों पर हुई कार्रवाई की बात करें तो अब तक 282 गुर्गों पर यूपी पुलिस कार्रवाई कर चुकी है जिसमें कुल 143 मुकदमें भी दर्ज किए गए हैं. 176 मुख्तार के गुर्गों और उसके गैंग ISI191 के सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है. योगी सरकार की कार्रवाई से दहशत आकर 15 गुर्गों ने सरेंडर भी किया है. 167 असलहों के लाइसेंस रद्द किए गए है तो 66 के खिलाफ गुंडा एक्ट व 126 के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है। यही नहीं योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान मुख्तार के 6 गुर्गों पर एन एस ए लगाया गया। 70 की हिस्ट्रीशीट खोली गई है तो 40 को जिलाबदर किया गया है. मुख्तार के 5 गुर्गों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है. योगी सरकार ने मुख्तार और उसके कुनबे की लगभग 5 अरब 72 करोड़ की संपत्ति की को या तो जब्त किया ही या फिर बुल्डोजर चला दिया. यही नही मुख्तार एंड कंपनी पर हुई कार्रवाई से बंद पड़े उसके अवैध धंधों से कमाए जाने वाले 2 अरब 12 करोड़ का भी नुकसान हुआ है.


बेटा-बहू जेल में बंद, पत्नी पर इनाम घोषित
मुख्तार अंसारी के किए गए अपराधों की सजा उसका परिवार भी भुगत रहा है. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने 2022 के विधान सभा चुनाव में यह सोच कर अपने बड़े बेटे अब्बास को राजनीतिक विरासत सौंपी कि वह राजनीति के साथ साथ उसके काले साम्राज्य को भी आगे बढ़ाएगा लेकिन विधायक बनने के बाद से ही उसके दुर्दिन शुरू हो गए. अब्बास अब कासगंज जेल में बंद है, उसकी पत्नी निखत बानो चित्रकूट जेल में हैं. इसके अलावा मुख्तार की पत्नी आफशा अंसारी पर पुलिस ने पचास हजार का इनाम घोषित कर रखा है. यही नहीं उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है,

ये भी पढ़ेंः अलकायदा के नाम से अतीक-अशरफ की हत्या का बदला लेने की धमकी, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.