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लापता जवान की तस्वीर जारी, नक्सलियों ने कहा- वह हमारे कब्जे में है

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Published : Apr 8, 2021, 6:41 AM IST

Updated : Apr 8, 2021, 12:25 PM IST

photo of missing jawan released naxalites
लापता जवान की तस्वीर जारी

सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में शनिवार को नक्सलियों से मुठभेड़ के बाद से लापता सीआरपीएफ के 210 कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मनहास की तस्वीर आज क्षेत्र के स्थानीय संवाददाताओं को मिली है. तस्वीर में जवान एक झोपड़ी में बैठा हुआ दिख रहा है. वहीं परिवार सरकार से गुहार लगा रहा है कि किसी भी तरह से राकेश्वर की सकुशल और जल्दी वापसी कराई जाए. हमारी नजर इस खबर पर बनी हुई है. अभी तक का पूरा अपडेट यहां जानें....

बीजापुर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में पिछले दिनों हुए नक्सली हमले के बाद लापता एक जवान की तस्वीर बुधवार को कुछ स्थानीय पत्रकारों को मिली है. नक्सलियों द्वारा इसे पत्रकारों तक भेजे जाने का दावा किया जा रहा है. मंगलवार को नक्सलियों ने इस जवान के अपने कब्जे में होने का दावा किया था.

राज्य के सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में शनिवार को नक्सलियों से मुठभेड़ के बाद से लापता सीआरपीएफ के 210 कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मनहास की तस्वीर आज क्षेत्र के स्थानीय संवाददाताओं को मिली है. तस्वीर में जवान एक झोपड़ी में बैठा हुआ दिख रहा है. तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई है. सुकमा और बीजापुर जिले के स्थानीय संवाददाताओं ने बताया कि बुधवार की (07-04-2020) सुबह यह तस्वीर उन्हें मिली है, हालांकि तस्वीर में किसी भी माओवादी का चेहरा नहीं दिख रहा है.

इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और जवान की सुरक्षित वापसी चाहते हैं. मंगलवार को माओवादियों ने जवान राकेश्वर सिंह के अपने कब्जे में होने का दावा किया था. नक्सलियों के कथित बयान में कहा गया था कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे, इसके बाद बंदी जवान को सौंप दिया जाएगा और तब तक वह सुरक्षित रहेगा.

इस बयान में माओवादियों ने अपने चार साथियों के मारे जाने की भी पुष्टि की थी. माओवादियों के बयान जारी होने के बाद राज्य के पुलिस अधिकारियों ने कहा था कि पुलिस जारी प्रेस विज्ञप्ति की वास्तविकता की जांच कर रही है. लापता जवान की तस्वीर जारी होने को लेकर बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा है कि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. उन्होंने पुष्टि की कि तस्वीर लापता जवान राकेश्वर सिंह की है.

सुंदरराज ने मंगलवार को कहा था कि तीन अप्रैल को सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र के जंगल में हुई मुठभेड़ के बाद से अब तक कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मनहास के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. सुंदरराज ने बताया कि लापता जवान की खोज में अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही क्षेत्र के ग्रामीण, सामाजिक संगठन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा पत्रकारों के माध्यम से भी आरक्षक राकेश्वर सिंह के संबंध में जानकारी ली जा रही है.

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इधर बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने माओवादियों से अपील की है कि वह अपहृत जवान को रिहा कर दें. सोरी ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि जवान को सुरक्षित रिहा कराने के लिए सरकार को अब तक कुछ कदम उठाने चाहिए थे. राज्य के सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान में शुक्रवार को सुरक्षा बलों को रवाना किया गया था। इस अभियान में जवान राकेश्वर सिंह भी शामिल थे.

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शनिवार को टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा गांव के करीब सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 22 जवान शहीद हो गए थे तथा 31 अन्य जवान घायल हो गए. वहीं, आरक्षक राकेश्वर सिंह लापता हैं. शहीद जवानों में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के सात जवान, सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन का एक जवान, डीआरजी के आठ जवान और एसटीएफ के छह जवान शामिल थे.

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राज्य में इस बड़े नक्सली हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को छत्तीसगढ़ का दौरा किया था. इस दौरान शाह ने बस्तर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने रायपुर के अस्पतालों में भर्ती घायल जवानों से भी मुलाकात की थी.

छत्तीसगढ़ में मारे गए सुरक्षाकर्मियों के संबंध में पोस्ट को लेकर असम की लेखिका गिरफ्तार

वहीं, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हमले में मारे गए सुरक्षा कर्मियों को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी कथित टिप्पणी के लिए असम की लेखिका शिखा शर्मा को राजद्रोह के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

शर्मा ने सुरक्षाकर्मियों पर हमले के दो दिन बाद पांच अप्रैल को फेसबुक पर पोस्ट में कथित तौर पर लिखा था कि वेतनभोगी लोगों की ड्यूटी पर जान जाती है तो उन्हें शहीद नहीं कहा जा सकता। ऐसी स्थिति में बिजली का करंट लगने से बिजली विभाग के कर्मचारी की मौत होने पर उन्हें भी शहीद मानना चाहिए.

Last Updated :Apr 8, 2021, 12:25 PM IST
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