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सीमापार आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए सीमा पर संपर्क की कमी दूर हो : संसदीय समिति

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Published : Jul 26, 2023, 5:32 PM IST

संसद की एक समिति ने भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के विषय पर लोकसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह एक गतिशील नीति है जो क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार विकसित होते हुए क्षेत्र में हमारे नवीनीकृत हितों को समायोजित करती है. रिपोर्ट में कहा गया है, "चीन के बेल्ट एंड रोड विजन और अमेरिका के इंडो-पैसिफिक विजन से अवगत होने के कारण समिति का विचार है कि छोटे पड़ोसियों के साथ व्यापक जुड़ाव और संबंधों को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित करना भारत के रणनीतिक हितों और विदेश नीति की आवश्यकताओं में शामिल है."

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नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने देश के समक्ष उत्पन्न सीमापार आतंकवाद, अवैध प्रवास, जाली मुद्रा और प्रतिबंधित पदार्थों और हथियारों की तस्करी जैसे खतरों को रेखांकित करते हुए सरकार से सीमा सुरक्षा उपकरणों के उन्नयन और सीमाओं पर संपर्क की कमी को दूर करने के व्यापक उपाय करने को कहा है. संसद के दोनों सदनों में पेश 'भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति' विषय पर विदेश मामलों संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. भारतीय जनता पार्टी के सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई.

रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस तथ्य से अवगत है कि भारत सीमापार आतंकवाद, अवैध प्रवास, जाली मुद्रा और प्रतिबंधित पदार्थों, मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी आदि के खतरों का लगातार सामना कर रहा है. समिति का यह मानना है कि सीमा पर सुरक्षा आधारभूत ढांचे को बढ़ाना अनिवार्य है और उसने विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ अपनी बैठकों, अध्ययन दौरे के समय सीमा संरक्षा और सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा की थी. समिति ने सरकार से आग्रह किया कि वह 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत सीमा सुरक्षा उपकरणों के उन्नयन और सीमाओं पर संपर्क की कमी को दूर करने के लिए व्यापक उपाय करे.

रिपोर्ट के अनुसार, समिति यह भी चाहती है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध प्रवास के माध्यम से जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की भी सतर्कता से निगरानी की जाए और समिति को इस संबंध में जानकारी से अवगत कराया जाए.समिति ने संज्ञान लिया कि 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के फायदों ने संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल, दक्षेस और विम्सटेक जैसे विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर भारत के लिए सशक्त समर्थन का काम किया है. समिति ने सरकार को सचेत किया कि सरकार को आत्म संतुष्ट नहीं होना चाहिए बल्कि आने वाले वर्षों में विभिन्न बहुपक्षीय मंचों में सभी देशों के समर्थन और सहयोग का लाभ उठाने के लिए पड़ोस एवं क्षेत्र के नए घटनाक्रम के प्रति हमेशा सजग रहना चाहिए.

समिति ने मंत्रालय से आग्रह किया कि वह अपने छोटे पड़ोसियों की बढ़ती आकांक्षाओं का समर्थन करते हुए एक मजबूत क्षेत्रीय ताकत के रूप में इनके साथ संबंधों पर ध्यान दे. समिति ने इस बात का संज्ञान लिया कि 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत अपने पड़ोसियों के साथ भारत की भागीदारी आर्थिक, ऊर्जा, डिजिटल कनेक्टिविटी सहित विभिन्न संपर्क परियोजनाओं को लेकर है. इसके साथ सांस्कृतिक परियोजना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल, विकासात्मक और तकनीकी सहयोग, समुद्री सुरक्षा को लेकर मानवीय और आपदा राहत सहयोग भी एक महत्वपूर्ण आयाम है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, आधारभूत ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश से पड़ोस में वास्तविक संपर्क में सुधार होते हुए देखा गया है. ऊर्जा सम्पर्क के क्षेत्र में भारत पूरे क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन की आवाजाही को बढ़ावा दे रहा है. भारत बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन सहित सीमापार पाइपलाइनों का निर्माण किया गया है. विद्युत क्षेत्र में पड़ोसी देशों के साथ ग्रिड को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके अनुसार, पड़ोसी देशों के साथ पवन ऊर्जा परियोजना, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना और सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर भी काम किया जा रहा है. समिति ने कहा कि भारत के प्रयासों से पड़ोसी देशों की सुरक्षा क्षमताओं को भी उन्नत किया गया. समिति ने मंत्रालय से आग्रह किया कि उपमहाद्वीप में अपने पड़ोसियों के प्रति प्रतिस्पर्धी नीति और इसकी तत्काल क्षमता निर्माण, सूचना और डिजिटल प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा आदि क्षेत्रों में सहयोग बनाए रखा जाए.

(पीटीआई-भाषा)

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