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कोर्ट ने एक साथ 39 आरोपियों को सुनाई 7 साल की सजा, फूट-फूट कर रोए आरोपी, जानें क्या है मामला

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Published : Dec 22, 2022, 5:36 PM IST

Updated : Dec 22, 2022, 6:08 PM IST

accused pelted stones on khandwa police
खंडवा कोर्ट ने 39 आरोपियों को सुनाई सजा

खंडवा में कर्फ्यू के दौरान पुलिसकर्मियों पर पथराव कर हत्या के प्रयास के मामले में आठ साल बाद फैसला आया है. जहां कोर्ट ने दो आरोपियों को बरी किया है, जबकि 38 आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई गई. वहीं जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो एक आरोपी इस दौरान फूट फूट कर रोने लगा.

खंडवा कोर्ट ने 39 आरोपियों को सुनाई सजा
सुनिए मामले पर जमीयत उलेमा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष ने क्या कहा

खंडवा। सुशील कुमार पुंडगे हत्याकांड के बाद कर्फ्यू का पालन कराने पर पुलिसकर्मियों पर पत्थराव कर हत्या का प्रयास करने के मामले में आठ साल बाद बड़ा फैसला आया. मंगलवार को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश प्राची पटेल ने 39 आरोपियों को सात साल की सजा दी. सजा सुनते ही कोर्ट में एक आरोपी फूट-फूट कर रो पड़े. न्यायालय परिसर में खड़े परिवार के लोग भी उन्हें देख रोने लगे. इस मामले में दो आरोपी को गवाह और साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया. मामले की पैरवी लोक अभियोजक अभय दुबे ने की.

दो को किया गया बरी: मंगलवार को जिला न्यायालय में दोपहर करीब दो बजे से भीड़ लगना शुरु हो गई थी. करीब 3:30 बजे तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय के सामने जमावड़ा लग गया. दरअसल यहां वर्ष 2014 में कर्फ्यू का पालन करने के दौरान पुलिसकर्मियों की हत्या करने की नीयत से किए गए पथराव और हमले को लेकर कोतवाली थाने में दर्ज मामले में फैसले आना था. मामले से जुड़े 42 में से 41 आरोपित कोर्ट में मौजूद रहे. एक आरोपी फारुख पेश नहीं हुआ था. दो आरोपी को बरी करने के साथ ही 39 आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई गई. इस मामले में 73 वर्षीय शेख जाकिर की मौत हो गई. साथ ही फिरोज उर्फ मोहम्मद शफीक और सद्दाम उर्फ डबल को बरी किया गया.

जनता कर्फ्यू के चलते शहर से लेकर गांव तक पसरा रहा सन्नाटा

यह था मामला: शहर के मोघट थाना क्षेत्र में 30 जुलाई 2014 को इमलीपुरा मार्ग में सुशील कुमार पुंडगे की हत्या की गई थी. इससे शहर में साम्प्रदायिक तनाव फैलने के साथ ही जगह-जगह पथराव की घटनाएं हुई थी. इसको लेकर धारा 144 लगाने के साथ ही शहर में कर्फ्यू लगाया दिया गया था. कर्फ्यू ड्यूटी के दौरान एसआई रमेशचंद पवार, आरक्षक राधेश्याम, विपेन्द्रसिंह और आरक्षक राजवीरसिंह के साथ घासपूरा क्षेत्र में तैनात थे. एक अगस्त 2014 को दोपहर करीब एक बजे पुलिसकर्मी बांग्लादेश घासपुरा पहुंचे तो पाया कि लोग घरों से बाहर घूम रहे थे. समझाने पर भी जब लोग नहीं माने तब अभियोगी द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित किया गया. मोहल्ले में रहने वाले लोगों ने पुलिसकर्मियों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि हम लोगों का जीना हराम कर रखा है, घर से निकलने नहीं दे रहे है. कोई पुलिस वाला मोहल्ले में नहीं घुसेगा. अगर घुसा तो जान से खत्म कर देंगे. इतने में लोग लाठी, डंडे, कुल्हाडी एवं पत्थर लेकर निकल आए. उन्होने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया.

पुलिस के कई जवानों को आई थी चोट: पथराव के बारे में पता चलते ही कोतवाली टीआई अनिल शर्मा, सहायक उप निरीक्षक विजय सिंह, टीकाराम कुरमी और गीता जाटव अलग-अलग रास्ते से पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उपद्रवियों में फारूख ने थाना प्रभारी अनिल शर्मा को जान से मारने की नीयत से एक बड़ा पत्थर मारा जो उनके हेलमेट पर लगा, जिससे हेलमेट को क्षति हुई. पत्थर मारकर फारूख भाग गया. उपद्रवियों के पथराव से एसआई पवार, टीकाराम कुरमी, विजयसिंह परस्ते, गीता जाटव, आरक्षक राजवीरसिंह राणा, विपेन्द्रसिंह, नरेन्द्र सोनी, दयाशंकर, नरेंद्र, महिला आरक्षक रोहिणी, प्रीति और नीलम को चोटे आई थीं. इन लोगों ने पुलिस अधिकारियों के वाहनों में भी तोड़फोड़ की थी. इसके बाद मौके पर मौजूद अधिकारियों ने आवश्यक बल प्रयोग कर घेराबंदी कर 39 व्यक्तियों का नाम पता पूछने पर सभी आरोपियों को पकड़ा था. पकड़े गए आरोपित जहूर के पास एक कुल्हाडी और इरफान के पास एक डंडा मिला था, जिसे पुलिस ने जब्त किया था. एक आरोपी मोहम्मद अजहर पुलिस की वर्दी पहने हुए मिला था. इस मामले में इनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया था.

मामले पर जमीयत उलेमा मध्य प्रदेश के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून ने फैसले पर दुख जताया. पुलिस के अलावा किसी की गवाही नहीं हुई. हम मामले का पता कर हाई कोर्ट जाने की कोशिश करेंगे और वहां से सभी लोग बरी होंगे.

Last Updated :Dec 22, 2022, 6:08 PM IST
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