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महंगी दवाई का मुद्दा संसद में गूंजा, सदस्यों ने कहा- महंगाई के दर्द की दवा करे सरकार

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Published : Apr 1, 2022, 1:57 PM IST

राज्य सभा में कुछ सदस्यों ने 800 से अधिक आवश्यक दवाओं की कीमतों में हुई वृद्धि (medicine price hike) का मुद्दा उठाया और कहा कि पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त आम जनता पर इससे भारी बोझ पड़ेगा. सदस्यों ने इस मूल्यवृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए कहा, 'महंगाई के दर्द की दवा जरूरी हो गयी है.'

rajya sabha
राज्य सभा की कार्यवाही

नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र में 13वें दिन (दूसरे चरण में) महंगाई का मुद्दा उठाया गया. शुक्रवार को उच्च सदन में शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के जॉन ब्रिटास ने कहा कि प्रति दिन पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ रही (fuel price hike) हैं और इसकी वजह से जनता महंगाई से त्रस्त है. उन्होंने कहा कि आम आदमी का जीवन कष्टकर हो गया है और आज से 800 से अधिक दवाओं की कीमतों में 'अप्रत्याशित वृद्धि' लागू हो जाएगी. उन्होंने कहा, 'दवाओं की कीमतों में एक साथ इतनी बड़ी वृद्धि कभी नहीं की गई. सरकार को इन कीमतों को वापस लेना चाहिए.'

ब्रिटास ने कहा कि कोई भी संवेदनशील सरकार होती तो इस स्थिति से बचती लेकिन यह सरकार आम जनता के प्रति असंवेदनशीलता बरत रही है क्योंकि जरूरी दवाओं की कीमतों में सीधे 11 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई है. शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पेट्रोल, डीजल से लेकर खाना तथा भोजन पकाना भी महंगा हो गया है. उन्होंने कहा, 'अब तो महंगाई के दर्द की दवा जरूरी हो गई है. क्योंकि प्रतिदिन महंगाई बढ़ रही है.'उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन का अधिकार हर किसी को है और दवाएं इसका अभिन्न हिस्सा है लेकिन अब लोगों के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है. उन्होंने कहा, 'मैं आपसे आग्रह करती हूं कि असंवेदनशील सरकार जो हर दिन महंगाई बढ़ा रही है, कम से कम जरूरी दवाओं की कीमतों से जनता को राहत दे.'

कोरोना के खिलाफ लड़ाई : इससे पहले भाजपा के दीपक प्रकाश ने योग को केंद्र सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम में शामिल करने की मांग की और कहा कि इससे बड़ी संख्या में योग शिक्षकों को रोजगार मिल सकता है.उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की वजह से योग की अंतरराष्ट्रीय पहचान मजबूत हुई है और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भी योग की बहुत बड़ी भूमिका रही. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में देश व दुनिया के विभिन्न हिस्सों में योग शिक्षकों का मांग भी बढ़ी है. प्रकाश ने सरकार से योग को और अधिक प्रचारित और प्रसारित करने की मांग की.

स्कूली बच्चों को राष्ट्रीय कर्तव्य का बोध : राष्ट्रीय जनता दल के ए डी सिंह ने खेती में यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल पर चिंता जताई और सरकार से अनुरोध किया कि वह किसानों के बीच इस बारे में जागरूकता फैलाए. उन्होंने कहा कि यूरिया का 30 प्रतिशत हिस्सा उपयोगी होता है और शेष हिस्सा मिट्टी और पर्यावरण के प्रतिकूल होता है. उन्होंने कहा कि यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल से देश की भावी पीढ़ी पर असर होगा. भाजपा के ही डी पी वत्स ने बच्चों को आरंभिक शिक्षा के दौरान ही राष्ट्रीय कर्तव्य का बोध कराने के लिए तैयार करने की मांग की. उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक तत्वों से पहले स्कूली बच्चों को राष्ट्रीय कर्तव्य का बोध कराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे बच्चों में राष्ट्र प्रथम की भावना विकसित होगी.

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सामाजिक-आर्थिक विकास का सवाल : कांग्रेस के नीरज डांगी ने भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्व ऑडिट प्रणाली को बहाल करने की मांग की वहीं बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ओड़िसा के इलाकों में रहने वाले लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए रेल संपर्क स्थापित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि ओड़िसा सरकार ने मलकानगिरी से भद्राचलम और नवरंगपुर से जूनागढ़ के बीच रेललाइन बिछाने का प्रस्ताव दिया है, जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए क्षेत्र के लोगों को सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके.

(पीटीआई-भाषा)

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