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हिमाचल नतीजों से पहले कांग्रेस में सरगर्मी तेज, सीएम पद के लिए अभी से लॉबिंग!

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Published : Nov 26, 2022, 7:53 PM IST

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का एलान 8 दिसंबर को होगा, लेकिन राज्य के कांग्रेस नेताओं की राजधानी दिल्ली में सरगर्मी बढ़ी हुई है. सूत्रों की मानें तो पार्टी के आंतरिक सर्वे के बाद सीएम पद की दौड़ के लिए अभी से लॉबिंग शुरू हो गई है (Himachal CM hopefuls doing the rounds in Delhi ). ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

positive Congress feedback
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव

नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. यहां कांग्रेस के आंतरिक सर्वे (internal survey) में सकारात्मक नतीजे आने की उम्मीद जताई गई है, जिसके बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कई दावेदार एआईसीसी के साथ अभी से लॉबिंग कर रहे हैं (Himachal CM hopefuls doing the rounds in Delhi). लेकिन हाईकमान नतीजे आने तक 'वेट एंड वॉच' का रुख अपना रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, राज्य इकाई की प्रमुख प्रतिभा सिंह, सीएलपी नेता मुकेश अग्निहोत्री और अभियान समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्य सरकार के शीर्ष पद के लिए अपना दावा पेश करने के लिए पिछले कुछ दिनों में कई वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं.

23 नवंबर को प्रतिभा सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्य के चुनावों के बारे में जानकारी दी थी. 25 नवंबर को उन्होंने दिल्ली में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ चुनावों पर चर्चा की थी. भूपेश बघेल हिमाचल चुनावों के लिए एआईसीसी के पर्यवेक्षक हैं. बघेल शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुख्यमंत्रियों और राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्री-बजट बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली में थे.

4 दिसंबर को संचालन समिति की बैठक होनी है जिसमें कांग्रेस प्रमुख गुजरात और हिमाचल चुनाव के साथ अन्य दबाव वाले मुद्दों की समीक्षा करेंगे. इस बैठक से पहले शनिवार को बघेल और खड़गे ने पहाड़ी राज्य में पार्टी की संभावनाओं पर चर्चा की.

सूत्रों के अनुसार राज्य के नेता एक आंतरिक सर्वेक्षण के कारण पैरवी कर रहे हैं. सर्वे में हिमाचल में कांग्रेस को 40-45 सीटों के बीच मिलने की उम्मीद जताई गई है. 2017 के हिमाचल प्रदेश चुनावों में भाजपा ने कुल 68 सीटों में से 44 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं.

इस सकारात्मक फीडबैक से एआईसीसी के पदाधिकारी खुश हैं लेकिन वह पार्टी के उत्साह को सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'प्रतिक्रिया सकारात्मक है लेकिन हमें आधिकारिक परिणामों की प्रतीक्षा करनी चाहिए. एक आंतरिक सर्वेक्षण ने राज्य के नेताओं को उत्साहित किया है जो दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के साथ पैरवी कर रहे हैं.'

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार सबसे पुरानी पार्टी में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला करना हमेशा एक कठिन अभ्यास होता है. उन्होंने कहा कि हालांकि पार्टी हलकों के भीतर विभिन्न क्रमपरिवर्तन और घात पर चर्चा की जा रही है, निर्णय लेने की प्रक्रिया वास्तविक संख्या पर बहुत अधिक निर्भर करेगी.

एआईसीसी के रणनीतिकार ने कहा, 'ऐसे कई फैक्टर हैं जिनका निर्णय पर असर पड़ता है. यदि हमारे पास आधे से ज्यादा सीटें होती हैं तो मुख्यमंत्री तय करना अपेक्षाकृत आसान है. लेकिन अगर सीटों की संख्या आधे से कम हैं तो हमें सभी को एकजुट करने के साथ प्रभावशाली व्यक्ति की जरूरत है.' सूत्रों का कहना है कि अगर संख्या कम है, तो निर्णय लेने से पहले नवनिर्वाचित विधायकों की भी राय ली जाती है.

जातिगत समीकरण का भी रखा जाएगा ध्यान : सूत्रों ने कहा कि संख्या के अलावा, मुख्यमंत्री का चेहरा तय करते समय जाति कारक को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. पिछले दशकों में अधिकांश समय में एक ठाकुर (राजपूत) नेता ने पहाड़ी राज्य का नेतृत्व किया है. वास्तव में कांग्रेस ने अपने 2022 के चुनाव अभियान में 9-टर्म विधायक और 6-टर्म पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विरासत पर भारी भरोसा किया. मुख्य रूप से यही कारण था कि वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह को राज्य इकाई प्रमुख के रूप में नामित किया गया था.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा हालांकि पूर्व राज्य इकाई प्रमुख व चुनाव अभियान प्रभारी सुखविंदर सुक्खू और कई बार की विधायक आशा कुमारी ठाकुर समुदाय से हैं. वहीं हिमाचल में पार्टी का ब्राह्मण चेहरा मुकेश अग्निहोत्री भी कोशिश कर सकते हैं. कई उम्मीदवारों की समस्या से निपटने के लिए ही सबसे पुरानी पार्टी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के चेहरे का एलान करने से परहेज किया था.

इसके बजाय, एआईसीसी प्रभारी राजीव शुक्ला ने प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री को त्रिमूर्ति के रूप में प्रस्तुत किया था. इन तीनों को पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने पहाड़ी राज्य में सत्ता वापस दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी थी.

यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में अभियान के दौरान कांग्रेस प्रबंधकों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका का भी जिक्र किया. 1971 में पहाड़ी राज्य को तराशने में उनकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला.

वास्तव में, प्रियंका के अभियान में यह भी शामिल था कि भाजपा ने स्थानीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कांग्रेस द्वारा बनाए गए पहाड़ी राज्य की उपेक्षा की थी. कांग्रेस का अभियान पहाड़ी राज्य में पैर जमाने की कोशिश करने वाली सत्तारूढ़ भाजपा और आप का मुकाबला करने के प्रयास में पार्टी द्वारा जारी की गई विभिन्न गारंटियों पर बहुत अधिक निर्भर था.

हालांकि, नई पार्टी को हिमाचल में वांछित प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद AAP ने बाद में अपना पूरा ध्यान गुजरात पर फोकस किया. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, हिमाचल के मतदाताओं ने उनकी पार्टी के सकारात्मक एजेंडे पर ध्यान दिया है. उन्होंने राज्य सरकार के खराब ट्रैक रिकॉर्ड और भगवा पार्टी को उबारने के लिए पीएम मोदी पर भारी निर्भरता को देखते हुए भाजपा पर ध्यान नहीं दिया है.

68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए मतदान 12 नवंबर को हुआ था, लेकिन लोगों को नतीजों के लिए 8 दिसंबर तक इंतजार करना होगा. चुनाव आयोग उस दिन हिमाचल और गुजरात दोनों राज्यों के नतीजों का एलान करेगा. गुजरात में एक दिसंबर और पांच दिसंबर को मतदान होगा.

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