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जानिए तिरुपति बालाजी मंदिर में क्यों करते हैं बालों का दान

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Published : Nov 8, 2020, 5:18 PM IST

तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में वेंकटाद्रि नामक सातवीं चोटी पर स्थित है, जो स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे स्थित है. इसी कारण यहां पर बालाजी को भगवान वेंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है. देश-विदेश के कई बड़े उद्योगपति, फिल्म सितारे और राजनेता यहां अपनी उपस्थिति देते हैं.

तिरुपति बालाजी मंदिर
तिरुपति बालाजी मंदिर

अमरावती : तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों के दान के बारे में कहा जाता है कि जो लोग यहां अपने बालों का दान करता है उसे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. हिन्दू धर्म में मुंडन के नाम पर अधिकतर पुरुष अपने बाल अर्पण करते हैं. हिंदुओं की धार्मिक मान्यता मुडंन इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है, लेकिन हमारे भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां महिलाएं भी अपनी मन्नत पूरी होने के बाद मुडंन करवाती हैं. चालिए जानते हैं आखिर श्रद्धालु यहां आकार अपने बाल क्यों मुंडवाते हैं. आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्व मंदिरों में से एक है. साथ ही यह मंदिर भारत का सबसे धनवान मंदिर भी है.

कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों का दान करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही सारी परेशानी खत्म हो जाती है, जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है उसके सभी दुख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं. इसलिए यहां सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं, ताकि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी उस पर प्रसन्न रहें. बता दें, तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन करीब 20 हजार भक्त यहां अपने बाल दान करने जाते हैं. वहीं इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए मंदिर परिसर में करीब छह सौ नाइयों को भी रखा गया है.

मुख्य मंदिर

श्री वेंकटेश्वर का यह पवित्र व प्राचीन मंदिर पर्वत की वेंकटाद्रि नामक सातवीं चोटी पर स्थित है, जो स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे स्थित है. इसी कारण यहां पर बालाजी को भगवान वेंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है. यह भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है, जिसके पट सभी धर्मानुयायियों के लिए खुले हुए हैं. पुराण व अल्वर के लेख जैसे प्राचीन साहित्य स्रोतों के अनुसार कल‍ियुग में भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात ही मुक्ति संभव है. पचास हजार से भी अधिक श्रद्धालु इस मंदिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए आते हैं.

श्री वेंकटेश्वर का यह प्राचीन मंदिर तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी (वैंकटचला) पर स्थित है. यह श्री स्वामी पुष्करिणी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है. माना जाता है कि वेंकट पहाड़ी का स्वामी होने के कारण ही इन्‍हें वेंकटेश्‍वर कहा जाने लगा. इन्‍हें सात पहाड़ों का भगवान भी कहा जाता है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर साक्षत विराजमान हैं. यह मुख्य मंदिर के प्रांगण में है. मंदिर परिसर में अति सुंदरता से बनाए गए अनेक द्वार, मंडपम और छोटे मंदिर हैं. मंदिर परिसर में मुख्य दर्शनीय स्थल हैं पडी कवली महाद्वार संपंग प्रदक्षिणम, कृष्ण देवर्या मंडपम, रंग मंडपम तिरुमला राय मंडपम, आईना महल, ध्वजस्तंभ मंडपम, नदिमी पडी कविली, विमान प्रदक्षिणम, श्री वरदराजस्वामी श्राइन पोटु आदि. कहा जाता है कि इस मंदिर की उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय से हुई है. यह संप्रदाय समानता और प्रेम के सिद्धांत को मानता है. इस मंदिर की महिमा का वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्‍वर का दर्शन करने वाले हरेक व्यक्ति को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में तिरुपति बालाजी मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है. देश-विदेश के कई बड़े उद्योगपति, फिल्म सितारे और राजनेता यहां अपनी उपस्थिति देते हैं.

भारत का सबसे धनी मंदिर है तिरुपति-बालाजी

इस मंदिर के इतिहास में इससे पहले एक दिन में सबसे ज्यादा दान आने का रिकॉर्ड 5.73 करोड़ रुपये का था, जो वर्ष 2012 में रामनवमी के मांगलिक आयोजन के मौके पर दर्ज किया गया था. इस पहाड़ी मंदिर में पूरे साल रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिनकी तरफ से रोजाना औसतन 2.5 करोड़ से 3.5 करोड़ रुपये तक का चढ़ावा दान के तौर पर चढ़ाया जाता है.

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