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नेपाल लिपुलेख में भारतीय सेना की गतिविधि पर करीब से रख रहा नजर

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Published : Sep 2, 2020, 6:34 PM IST

Updated : Sep 2, 2020, 7:17 PM IST

Nepal
के पी शर्मा ओली

एनपीएफ की 44 बटालियन को लिपुलेख में तैनात किया गया था. इसने भारत और चीन के बीच आगे बढ़ने की आशंका को देखते हुए क्षेत्रों में लंबी दूरी की गश्त के लिए अनुरोध किया है. भारत ने भी चीन की सैन्य प्रगति के मद्देनजर एलएसी पर तैनाती बढ़ा दी है.

नई दिल्ली : नेपाल सरकार ने भारत-चीन के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए लिपुलेख क्षेत्र में अपनी सेना को भारतीय सेना की गतिविधियों पर करीब से निगरानी रखने का निर्देश दिया है. लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच उत्तराखंड के कालापानी घाटी की ऊंचाई पर स्थित एक ट्राइ-जंक्शन है. बीते सप्ताह के.पी. शर्मा ओली सरकार के गृह मंत्रालय ने नेपाली सशस्त्र पुलिस बल (एनएपीएफ) को ट्राइ-जंक्शन की निगरानी शुरू करने का निर्देश जारी किया था.

लिपुलेख में एनएपीएफ के 44 बटालियन को तैनात किया गया. भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ने की आशंका पर वहां बटालियन को अग्रिम क्षेत्रों में लंबी दूरी तक पट्रोलिंग करने का आग्रह किया गया है. चीन ने भी लिपुलेख में अपने जवानों की संख्या को बढ़ाना शुरू कर दिया है. ट्राई-जंक्शन के पास 150 लाइट कंबाइन्ड आर्मी ब्रिगेड को तैनात किया गया है. ब्रिगेड को यहां बीते महीने तैनात किया गया था. चीन ने सीमा से 10 किलोमीटर दूर पाला में भी अपने जवानों को तैनात किया है.

2000 से ज्यादा अतिरिक्त जवानों की तैनाती
जुलाई में चीन ने पाला के पास 1,000 जवानों को तैनात किया और वहां एक स्थायी पोस्ट का निर्माण भी किया था. सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पहले चीन की ओर से पोस्ट पर 2000 से ज्यादा अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई थी.

भारत और नेपाल के बीच कूटनीतिक तनाव
भारत ने वहां 17,000 फीट की ऊंचाई पर सड़क निर्माण किया था, जिससे भारत और नेपाल के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो गया था. काठमांडू ने इस क्षेत्र पर अपना दावा किया था. इस सड़क का निर्माण कैलाश मानसरोवर के श्रद्धालुओं के समय की बचत के लिए किया गया है.

नेपाल और भारत के बीच तनाव
नेपाल और भारत के बीच तनाव तब काफी बढ़ गया, जब नेपाल ने नए राजनीतिक नक्शे में इस क्षेत्र को अपना बताया. दूसरी तरफ भारत और चीन सीमा के पास कई जगहों पर एक-दूसरे के आमने-सामने रहे हैं. चीन ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर एलएसी के पास कई जगहों पर यथास्थिति को बदल दिया था, लेकिन भारत ने इसका विरोध किया और सभी स्तर पर चीन के समक्ष यह मामला उठा रहा है.

विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता
बीते सप्ताह भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग त्सो में यथास्थिति बदलने के चीन की भड़काऊ सैन्य गतिविधि को विफल कर दिया था. चीन ये दुस्साहस तब कर रहा है, जब दोनों देश पहले से ही सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता कर रहे हैं.

स्थिति को मजबूत करने के लिए उपाय
अपने बयान में भारतीय सेना ने कहा कि '29 अगस्त और 30 अगस्त 2020 की रात को चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(पीएलए) ने सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद भी अतिक्रमण किया और भड़काने वाली सैन्य गतिविधि से यथास्थिति बदलने की कोशिश की.' सेना ने कहा कि 'भारतीय क्षेत्र ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी क्षेत्र को पीएलए की इस गतिविधि से मुक्त करा लिया. इसके अलावा स्थिति को मजबूत करने के लिए उपाय किए गए हैं और चीन की तरफ से एकतरफा यथास्थिति बदलने के प्रयास को विफल कर दिया गया.'

पढ़ें: भारत-चीन तनाव के बीच एलएसी पर कैमरा 'वॉर'

चीन ने फिर से 31 अगस्त को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश की, जिसे भारतीय सेना ने रोक दिया. चीन ने एलएसी के पास तीन सेक्टरों-पूर्वी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल), पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) में सेना को तैनात किया है.

गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प
भारत ने भी चीन की सैन्य गतिविधि का जवाब देने के लिए एलएसी के पास अपनी ताकत बढ़ाई है. जून में गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. चीन की तरफ से भी अज्ञात संख्या में जवानों की मौत हुई थी.

Last Updated :Sep 2, 2020, 7:17 PM IST
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