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आंध्र का पूंजीगत व्यय अनुमान अवास्तविक, लक्ष्य हासिल करना मुश्किल : इंडिया रेटिंग्स

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Published : Apr 7, 2022, 7:00 PM IST

इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) का कहना है कि आंध्र प्रदेश के बजट में अनुमानित पूंजीगत व्यय वृद्धि अवास्तविक है इसे हासिल करना मुश्किल है. एजेंसी के अनुसार चालू वित्त वर्ष में आंध्र प्रदेश का राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के लगभग 3% पर आने की उम्मीद है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

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आंध्र का पूंजीगत व्यय अनुमान अवास्तविक

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछले महीने 2.56 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित व्यय और 17,036 करोड़ रुपये के अनुमानित राजस्व घाटे के साथ वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश किया था. इसे लेकर सॉवरेन रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि आंध्र प्रदेश के बजट में अनुमानित पूंजीगत व्यय वृद्धि अवास्तविक है इसे हासिल करना मुश्किल है.

इंडिया रेटिंग्स ने 'ईटीवी भारत' को भेजे एक नोट में कहा, 'कोविड महामारी की वजह से वित्त वर्ष 2021-222 में अन्य राज्यों की तरह आंध्र प्रदेश में भी अर्थव्यवस्था में व्यवधान आय़ा है.' पूंजीगत व्यय वे व्यय होते हैं जिनसे संपत्ति निर्माण होता है, जैसे सड़क, स्कूलों, अस्पताल बनवाना, वेतन और मजदूरी का भुगतान, सब्सिडी भुगतान आदि. तेजी से जीडीपी वृद्धि और रोजगार सृजन के लिए बढ़ा हुआ पूंजीगत व्यय महत्वपूर्ण माना जाता है.

इंडिया रेटिंग्स, सॉवरेन रेटिंग एजेंसी फिच ग्रुप का हिस्सा है. इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि संशोधित बजट अनुमान के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2021- मार्च 2022 की अवधि) में आंध्र प्रदेश का पूंजीगत व्यय 197.30 बिलियन रुपये था, जो कि बजट से 38.5% कम है. एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में पूंजीगत व्यय बढ़कर 317.25 बिलियन रुपये हो गया है, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में साल-दर-साल 60.80 प्रतिशत की वृद्धि है.

एजेंसी ने कहा, हालांकि वार्षिक वृद्धि बहुत तेज दिखती है पर वित्त वर्ष 23 के बजटीय पूंजीगत व्यय की वृद्धि केवल 4.15% है. इंडिया रेटिंग्स का मानना ​​​​है कि वित्त वर्ष 2017-21 के दौरान आंध्र प्रदेश की कैपेक्स वृद्धि केवल 6.8% होने के मद्देनजर 2023 बजट अनुमान अवास्तविक है और इसे हासिल करना मुश्किल है. वहीं, एजेंसी के अनुसार चालू वित्त वर्ष में आंध्र प्रदेश का राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के लगभग 3% पर आने की उम्मीद है, जो इसमें जीएसडीपी के अनुमानित 3.6% (487.24 बिलियन रुपये) से कम है.

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