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ब्रिगेडियर खन्ना बोले-अमरनाथ हादसे को टाला जा सकता था अगर...

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Published : Jul 11, 2022, 2:30 PM IST

Updated : Jul 11, 2022, 4:45 PM IST

अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार को बादल फटने की घटना पर एनडीएमए में रहे विशेषज्ञ डॉ ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने अहम खुलासे किये हैं. उन्होंने ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता से कहा कि तीर्थयात्रा मार्ग को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने अनुरोध किया था लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया.

Amarnath accident could have been avoided if: Brigadier BK Khanna
अमरनाथ हादसे का टाला जा सकता था अगर:ब्रिगेडियर बीके खन्ना

नई दिल्ली: अमरनाथ तीर्थयात्रा सोमवार की सुबह फिर से शुरू होने के बाद आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने कहा कि त्रासदी से बचा जा सकता था अगर बेहतर व्यवस्था और सख्त नियमों का पालन किया गया होता. ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने कहा, '2005 से 2015 के बीच पवित्र गुफा के लिए तीर्थयात्रियों के मार्ग में हर साल लगभग 100 यात्री मर जाते थे.

डॉ ब्रिगेडियर बीके खन्ना बड़े योद्धा रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं. उन्होंने वर्ष 2005-2015 के बीच एनडीएमए का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा,'तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने हमसे इस मुद्दे पर गौर करने का आग्रह किया और हमने गहन विश्लेषण, मॉक ड्रिल किया और कई दिशानिर्देश जारी किये. मैं तब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में था.

शुक्रवार की घटना ने 16 लोगों की जान ले ली, बालटाल में आवास स्थल को नष्ट कर दिया. यह वही क्षेत्र है, जब मैं एनडीएमसी में था और हमने 2015 में जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार से शिविर स्थल को थोड़ा और नीचे स्थानांतरित करने का आग्रह किया था. लेकिन मेरे अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया था. साइट पर एक जलधारा है जो ऊपर से आता है और वहां नदी के साथ विलीन हो जाता है.'

ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, 'तब अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया था. मेरे अनुरोध के हिसाब से बालटाल में इस शिविर स्थल को नीचे (1KM) स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए था क्योंकि नीचे की ओर एक सेना का उच्च ऊंचाई वाला युद्ध विद्यालय था और आवास के लिए बहुत बड़ी जगह थी.अगर अनुरोध स्वीकार कर लिया गया होता तो हो हादसे को टाला जा सकता था.

2010 में जम्मू-कश्मीर श्राइन बोर्ड ने राज्य सरकार से आवास के लिए और नीचे झोपड़ियों का निर्माण करने का अनुरोध किया, लेकिन उस अनुरोध को भी नजरअंदाज कर दिया गया और ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. हर साल वहां पर प्राकृतिक रूप से हिम लिंग बनता है. लेकिन इस साल अभी तक लिंग नहीं बना है.

यह ऐसे उच्च शिखर क्षेत्रों में भी गर्मी में वृद्धि के नकारात्मक प्रभावों को प्रकट करता है. यह भी बात है कि पिछले 10 दिनों में लगभग एक लाख से अधिक लोग पवित्र स्थल के दर्शन कर चुके हैं. तो स्वाभाविक रूप से अधिक गर्मी होगी. मानव गर्मी के कारण एक स्थानीय गर्मी बादल आता है जो अत्यधिक गर्मी के कारण फटने पर बहुत कम समय में अत्यधिक बारिश होती है.

इसके अलावा कई लोग हैं जो वहां भंडारा का आयोजन करते हैं. इसलिए वे अधिक लोगों के साथ आते हैं और यह सेना और राज्य सरकार के कहने के अतिरिक्त है. बालटाल क्षेत्र से होते हुए अमरनाथ का रास्ता बहुत कठिन है. बालटाल दो पहाड़ों के बीच स्थित है और बीच में एक घाटी है जहां शिविर और आवास व्यवस्थाएं स्थित हैं. उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब उस घाटी के ऊपर से बादल फटता है.

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अत्यधिक बारिश अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को धो देती है. इसलिए सालाना आने वाले लोगों की संख्या की जांच करने की जरूरत है. इसे कम किया जाना चाहिए क्योंकि मानव गर्मी एक बड़ा कारक है जिसे आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है. शुक्रवार की दुखद घटना से पहले आईएमडी द्वारा बारिश की भविष्यवाणी पर ब्रिगेडियर ने कहा कि ऐसे पहाड़ी इलाकों में मौसम बहुत जल्दी बदल जाता है.

Last Updated :Jul 11, 2022, 4:45 PM IST
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