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Women Reservation Bill: कई पुरुष MP और MLA होंगे बेटिकट, सामान्य घरों या राजनीतिक परिवार की महिलाओं को मिलेगा मौका?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 20, 2023, 10:59 PM IST

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया है, जल्द ही राज्यसभा से पास होने के बाद यह विधेयक आने वाले समय में कानून का रूप ले लेगा. इसके साथ ही लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित हो जाएंगी. इससे आधी आबादी खुश हैं कि उनकी भागीदारी बढ़ेगी लेकिन कुछ सवाल अब भी मौजूद हैं कि क्या सच में आम घर की महिलाओं की राजनीति में हिस्सेदारी बढ़ जाएगी, क्योंकि अब तक ज्यादातर सियासी घराने की महिलाएं ही सांसद या विधायक हैं. बिहार के आंकड़े भी कुछ यही कहते हैं.

महिला आरक्षण का बिहार की सियासत पर असर
महिला आरक्षण का बिहार की सियासत पर असर

देखें रिपोर्ट

पटना: पिछले 27 साल से लंबित महिला आरक्षण बिल को लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है. नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है. बिहार की महिलाएं काफी उत्साहित हैं. खासतौर पर राजनीतिक परिवार से आने वाली महिलाएं मुखर हैं. उन्हें उम्मीद है कि जल्द महिलाओं को आरक्षण मिलेगा और विधानसभा के साथ लोकसभा में भी उनकी भागीदारी बढ़ेगी. हालांकि अभी तक महिलाओं की हिस्सेदारी नाम मात्र का रहा है लेकिन अब पुरुषों के सियासी साम्राज्य में आधी आबादी का दखल बढ़ेगा.

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महिला आरक्षण का बिहार की सियासत पर असर: बिहार विधानसभा में फिलहाल 28 महिलाएं हैं. आरक्षण लागू होने के बाद विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 81 हो जाएगी. लोकसभा चुनाव की अगर बात कर लें तो 40 सांसद बिहार से हैं, जिसमें सिर्फ तीन महिला है. आरक्षण लागू होने के बाद महिलाओ की संख्या 13 हो जाएगी. इस तरीके से 53 पुरुष विधायक बेटिकट होंगे और 10 पुरूष सांसद भी बेटिकट होंगे. वैसे में नेताओं की बहू-बेटी और पत्नी की लॉटरी निकलने वाली है.

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क्या कहती हैं अश्विनी चौबे की बहू?: केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे की बड़ी बहू भी सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी लेती हैं. विजेता राज ने डबल एमए की डिग्री ली है. वह फिलहाल रिसर्च कर रही हैं. महिला आरक्षण बिल को लेकर विजेता उत्साहित हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान विजेता ने कहा कि इस क्रांतिकारी कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धन्यवाद के पात्र हैं. वह कहती हैं कि मौका मिलेगा तो जरूर सियासत में आनी चाहेंगी.

"देश की महिलाएं पीएम मोदी का अभिनंदन करती हैं. हम उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के भागीदारी सुनिश्चित होगी. हां अगर मुझे मौका मिला तो मैं भी चुनावी राजनीति में भाग्य आजमा सकती हूं"- विजेता राज, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे की बहू

अशोक सिंह की पत्नी भी उत्साहित: जेडीयू नेता और पूर्व विधायक अशोक सिंह की पत्नी डॉक्टर निशा सिंह शिक्षाविद हैं. सामाजिक कार्यों में भी रुचि लेती हैं. नक्सलवाद पर पीएचडी की डिग्री हासिल की है. वह भी महिला आरक्षण से खुश हैं. कहती हैं कि अच्छा फैसला है, इसे पहले ही लागू हो जाना चाहिए था.

"महिला आरक्षण बिल महिलाओं के लिए क्रांतिकारी कदम है लेकिन प्रक्रिया में देरी के आसार दिख रहे हैं. सरकार को चाहिए कि जो बाधा हैं, उसे दूर करें और 2024 और 2025 के चुनाव में यह बिल लागू किया जाए"- डॉ निशा सिंह, पूर्व विधायक अशोक सिंह की पत्नी

अशोक चौधरी की बेटी क्या बोलीं?: उधर, बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी भी महिला आरक्षण से उत्साहित हैं. वह शिक्षा के क्षेत्र में रुचि लेती हैं और शोध छात्रा भी हैं. वह कहती हैं कि बिल स्वागत योग्य है लेकिन बिल को लागू करने में प्रक्रियात्मक देरी है.

"महिला आरक्षण का फैसला तो सही है लेकिन लागू होने में अभी बहुत देर होने वाला है. इसे जल्द से जल्द अमल में लाना चाहिए. मुझे लगता है कि आरक्षण के अंदर आरक्षण की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए ताकि सभी वर्गों की महिलाओं को हक मिल सके"- शांभवी चौधरी, मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री

अरुण सिंह की बहू ने जताई खुशी: बीजेपी विधायक अरुण सिंह की बहू भी महिला आरक्षण से काफी उत्साहित हैं. डॉ. अपराजिता जो पेशे से दंत चिकित्सक हैं, उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को साधुवाद दिया है. साथ ही कहा है कि आने वाले दिनों में अगर हमें मौका मिला तो हम भी जनता की सेवा करेंगे.

"मोदी जी और एनडीए सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद. 27 साल बाद महिलाओं को उसका अधिकार मिलने जा रहा है. मैं भी जरूर राजनीति में आना चाहूंगी. राजनीति में आकर जनसेवा करने का मौका मिलेगा तो क्यों नहीं राजनीति में आऊंगी"- डॉ. अपराजिता, बीजेपी विधायक अरुण सिंह की बहू

क्या कहते हैं जानकार?: वहीं, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि महिला आरक्षण बिल को लेकर महिलाओं में उत्साह है, यह बड़े बदलाव के संकेत हैं. इसका साइड इफेक्ट भी बिहार की सियासत पर देखने को मिलेगा.

"वाकई लोकतंत्र के लिहाज से यह महिलाओं के लिए क्रांतिकारी फैसला होगा.एक ओर जहां पुरुषों की भागीदारी कम होगी तो दूसरी तरफ विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

सामान्य परिवार या सियासी घराने की महिलाओं को मौका?: हालांकि महिला आरक्षण का दूसरा पक्ष ये भी है कि क्या सामान्य तौर पर जिस तरह से पुरुषों को टिकट दिया जाता है, उसी तरह से महिलाओं को टिकट मिलेगा या फिर जो पुरुष विधायक या ताकतवर राजनेता हैं, उनकी पत्नी, बहू-बेटियां की चांदी हो जाएगी. पंचायती राज में ऐसा अब तक देखा गया है. जानकार कहते हैं कि अगर पढ़ी-लिखी महिलाओं को मौका मिलेगा तो वह राजनीति में आएंगी और चुनाव जीतकर सांसद या विधायक बनेंगी. इससे उनकी भागीदारी बढ़ेगी.

बिहार में 3 महिला सांसद, तीनों नेताओं की पत्नी: बिहार से 3 महिला सांसद हैं, लेकिन तीनों राजनेता की पत्नी हैं. शिवहर लोकसभा सीट से रमा देवी की राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है. रमा देवी के पति बृज बिहारी प्रसाद लालू सरकार में मंत्री थे. वहीं सिवान लोकसभा सीट से सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह की गिनती भी दिग्गज राजनेताओं में होती है. इसी तरह वैशाली लोकसभा सीट से रालोजपा सांसद वीणा सिंह के पति दिनेश सिंह भी राजनीति में माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं और वह जेडीयू के विधान पार्षद हैं.

लोकसभा में 78, राज्यसभा में 24 महिला सांसद: चुनाव संबंधी जानकारी का विश्लेषण करने वाली एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 4300 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से महिला विधायकों की संख्या करीब 340 है. वहीं आपको बता दें कि 2019 के लोकसभआ चुनाव में 78 महिलाएं लोकसभा पहुंचीं, जिसमें से 32 की राजनीतिक पृष्ठभूमि हैं. वहीं, राज्यसभा में महिला विधायकों की संख्या 24 है.

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