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भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत और गहरा करना ही 2+2 बैठक का उद्देश्य

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By PTI

Published : Nov 8, 2023, 7:17 AM IST

विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच इस टू प्लस टू वार्ता में दोनों देशों के बीच इस आपसी मुद्दों के अलावा वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है. पढ़ें पूरी खबर... 2 plus 2 Ministerial Dialogue, the US State Department, Indo Pacific, S Jaishankar, Rajnath Singh

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वाशिंगटन : इस सप्ताह नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता होनी है. एक विशेषज्ञ के अनुसार इस बातचीत में दोनों देश विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत और गहरा करने पर बातचीत होगी. भारत और अमेरिका के बीच इस मंत्रीस्तरीय वर्ता पर दुनिया भर के नेताओं की नजर होगी. खासतौर से हाल के दिनों में लगातार विकसित हो रहे जटिल वैश्विक हालातों में इस बैठक का महत्व और अधिक बढ़ गया है.

  • Tomorrow at 8 am EST/6:30 pm IST, CSIS will host a press briefing with @CSISIndiaChair experts to preview the upcoming U.S.-India 2+2 Ministerial Dialogue between the foreign and defense ministries of the United States and India.

    Credentialed press, RSVP: https://t.co/If3cXDrO60

    — CSIS (@CSIS) November 7, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें कि इस मंच का काम अमेरिका और भारत के बीच वैश्विक साझेदारी और एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर साझा दृष्टि के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा.

एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में दक्षिण एशिया पहल के निदेशक फरवा आमेर ने कहा कि आगामी पांचवीं अमेरिका-भारत 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता रक्षा सहयोग के क्षेत्र में दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है. अमेरिकी विदेश विभाग ने पहले कहा था कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ '2+2' बैठक के लिए अगले सप्ताह नई दिल्ली जाएंगे.

आमेर ने कहा कि बातचीत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. यूक्रेन में संकट और इजराइल-हमास संघर्ष के बीच इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि हालांकि ये संघर्ष सीधे तौर पर अमेरिका-भारत संबंधों से जुड़े नहीं हैं लेकिन वे एक ऐसी पृष्ठभूमि बनाते हैं जो दोनों देशों की रणनीतिक गतिशीलता और वैश्विक परिप्रेक्ष्य को प्रभावित करती है. उन्होंने कहा कि चर्चाओं में इन संकटों पर चर्चा होने की संभावना है. माना जा रहा है कि दोनों मामलों में कुछ मतभेदों के साथ भारत और अमेरिका एक दूसरे से असहमत होने पर सहमत हैं.

उन्होंने कहा कि इजरायल-हमास संघर्ष पर, भारत क्वाड देशों के साथ कहीं अधिक जुड़ा हुआ है, जो गंभीर अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ भारत के गहरे जुड़ाव का संकेत है. इसके अतिरिक्त, अमेरिका अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का पालन करने के महत्व पर जोर देते हुए कनाडाई जांच में भारत के सहयोग के लिए अपना आह्वान दोहरा सकता है. यह कूटनीतिक उलझन एक चुनौती पैदा कर सकती है.

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आमेर ने कहा कि इन चुनौतियों से परे, संवाद का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के दायरे का विस्तार करना है. निश्चित रूप से यह केवल रक्षा के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद विरोधी, शिक्षा और लोगों से लोगों के बीच संबंध शामिल हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में रक्षा क्षेत्र में ध्यान प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-उत्पादन पर है, जो सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देने में नवाचार के महत्व को रेखांकित करता है.

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