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HARTALIKA TEEJ 2021 : सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत है हरतालिका तीज, जानिये महाशिवरात्रि और हरतालिका तीज में क्या है अंतर

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Published : Sep 8, 2021, 9:00 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

हरतालिका तीज (Hartalika Teej ) सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत है. पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सुहागिनें (honeymooners) यह व्रत करती हैं. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है.

The hardest fast of Sanatan Dharma
सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत

सरगुजा : हरतालिका तीज (Hartalika Teej ) सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत है. पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सुहागिनें (married women) यह व्रत करती हैं. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है. भगवान शिव और पार्वती से जुड़े दो महत्वपूर्ण पर्व महाशिवरात्रि और हरतालिका तीज को लेकर कुछ लोगों में असमंजस की स्थिति देखी जाती है. इन दोनों ही दिनों को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में माना जाता है, लेकिन ऐसा नही है. भगवान शिव और भोलेनाथ का विवाह किस दिन हुआ था, इस सवाल का जवाब हमने जाना ज्योतिष और कर्मकांड के जानकार पंडित संजय तिवारी से.

सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत


हरतालिका तीज-महाशिवरात्रि दोनों के हैं अलग-अलग महत्व

पंडित संजय तिवारी ने बताया कि हरतालिका तीज और महाशिवरात्रि दोनों के ही अलग-अलग महत्व हैं. हरतालिका तीज इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि राजा हिमांचल की पुत्री पार्वती थी. पार्वती ने शिव से विवाह करने का प्रस्ताव अपने पिता के समक्ष रख दिया था. जबकि शमसान और हिमालय में रहने वाले भूत, भभूत और सर्प लपेटने वाले शिव से ज्यादा सुंदर भगवान विष्णु को माना गया. पिता हिमाचल पार्वती का विवाह शिव से नहीं कराना चाहते थे. पार्वती ने अपने मन की बात अपनी सखियों से बताई और सखियां माता पार्वती को जंगल में ले गईं, जहां उन्होंने भगवान शिव की रेत की प्रतिमा बनाकर कठिन व्रत किया.

वसंत ऋतु की महाशिवरात्रि के मुहुर्त में हुआ था शिव-पार्वती विवाह

माता पार्वती के व्रत से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिये और माता पार्वती को अर्धांगिनी बनाने का वर दिया. इसी दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा. क्योंकि माता पार्वती को सखियां हर के जंगल ले गई थी, इसलिए भगवान शिव ने इस दिन को हरतालिका तीज का नाम दिया. माना जाता है कि जो भी सुहागिनें इस दिन निर्जला व्रत कर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करते हैं, भगवान उनके पति को लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन प्रदान करते हैं. जबकि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह बसंत ऋतु में पड़ने वाले महाशिवरात्रि के मुहूर्त में हुआ था. इसी दिन शिव अपनी बारात लेकर राजा हिमाचल के घर पहुंचे थे. फिर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था.

Last Updated :Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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