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झीरम कांड की बरसी: नौ साल बाद भी नहीं भरे झीरम घाटी नरसंहार के जख्म !

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Published : May 25, 2022, 12:04 AM IST

झीरम घाटी कांड छत्तीसगढ़ के लिए एक अंतहीन दर्द की तरह है. इस नरसंहार के 9 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन अब भी झीरम के जख्म हरे हैं. आंसुओं और दर्द में आज भी झीरम के पीड़ित डूबे हैं. उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. दूसरी ओर इस घटना पर राजनीति लगातार जारी है. यही वजह है कि 9 साल बाद भी हम झीरम के गुनहगार तक नहीं पहुंच पाए हैं.

Nine years of Jhiram Valley Naxalite attack
झीरम कांड की बरसी

रायपुर : छत्तीसगढ़ में बुधवार 25 मई को 'झीरम श्रद्धांजलि दिवस' मनाया जाएगा. इस बार इस दिन सीएम भूपेश बघेल बस्तर के चित्रकोट में झीरम शहीद स्मारक का लोकार्पण कर झीरम के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे. बस्तर की झीरम घाटी में 9 साल पहले आज ही के दिन 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था. झीरम नक्सली कांड में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पूरी लीडरशिप खत्म हो गई. 25 मई 2013 को कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा निकाली थी. कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इस परिवर्तन यात्रा में हिस्सा लेते हुए दरभा घाटी के झीरम पहुंचे थे कि तभी नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया.

खून से लाल हो गई थी झीरम घाटी: जैसे ही कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का काफिला झीरम घाटी में पहुंचा. घात लगाए नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में कांग्रेस नेताओं और उनके सुरक्षा गार्ड को संभलने का मौका तक नहीं मिला. नक्सलियों ने कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा को ढूंढकर गोली मारी. उसके बाद नक्सलियों ने एक एक कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं को मौत के घाट उतार दिया.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टॉप लीडरशिप हुई खत्म: इस हमले में महेंद्र कर्मा के अलावा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार समेत कांग्रेस के 29 नेताओं की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी. इलाज के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की भी जान चली गई. कुल मिलाकर इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पूरी लीडरशिप तबाह हो गई.

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9 साल बाद भी झीरम पर जारी है सियासत: झीरम नक्सली हमले पर साल 2013 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआईए को जांच सौंपी थी. उसके बाद एनआईए ने इसकी जांच की. 24 सितंबर 2014 को एनआईए ने झीरम नक्सली हमले में चार्जशीट दाखिल की थी. जिसमें करीब 88 नक्सलियों के कैडर को संलिप्त पाया गया था. उसके बाद राज्य सरकार ने झीरम घाटी कांड पर जांच आयोग बनाया. इसकी जांच के लिए 28 मई 2013 को जांच आयोग का गठन किया गया. इस आयोग का गठन न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में हुआ. प्रशांत मिश्रा ने झीरम पर अपनी जांच रिपोर्ट 6 अक्टूबर 2021 को राज्यपाल अनुसुईया उईके को सौंप दी थी. लेकिन बघेल सरकार ने इस रिपोर्ट को नहीं माना और इसे सदन में पेश नहीं करते हुए इसमें तीन नए बिंदुओं को जोड़कर नए जांच आयोग का गठन किया है.

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राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने के बाद हुआ था हंगामा: न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने पर छत्तीसगढ़ में खूब सियासत हुई थी. राज्यपाल ने इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंप दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट को अपूर्ण बताते हुए नए आयोग का गठन किया था. इस मुद्दे पर बीजेपी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि इस रिपोर्ट में राज्य सरकार के प्रभावी व्यक्तियों के खिलाफ टिप्पणी और निष्कर्ष है. इसलिए सरकार ने नए आयोग का गठन किया.

नए जांच आयोग का मामला पहुंचा हाईकोर्ट: नए झीरम आयोग के मामले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका के जरिए कौशिक ने न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग के साथ साथ नए आयोग के गठन को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय में यह याचिका सबसे पहले 13 अप्रैल 2022 को पेश हुई. . जिसके बाद 11 मई 2022 बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका को सुनवाई के लिए कोर्ट ने स्वीकार किया और नए न्यायिक जांच आयोग पर कोर्ट ने रोक लगा दी.

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