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SPECIAL: छत्तीसगढ़ का मैन मेड जंगल सफारी, यहीं हुई थी PM मोदी की टाइगर से 'यारी'

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Published : Jul 31, 2019, 10:33 PM IST

छत्तीसगढ़ के रायपुर में बसा मानव निर्मित जंगल बेहद ही खास है. यहां इस जंगल के अंदर अलग-अलग चार सफारी हैं. इस सफारी की खास बात यह है कि प्रधामनंत्री मोदी ने यहां आकर जंगल का भ्रमण किया था. साथ ही टाइगर की तस्वीरें भी ली थी, जो सोशल मीडिया पर काफी वासरल रही.

छत्तीसगढ़ का जंगल सफारी

रायपुर : प्रकृति छत्तीसगढ़ पर मेहरबान है. इस प्रदेश में आपको पेड़-पौधे, जंगल मिलेंगे, तो जंगल को सहेजने वाले भी. लेकिन हम जहां आपको लेकर चलने वाले हैं, जहां की खूबसूरत तस्वीरों से वाकिफ कराने वाले हैं वो है मानव निर्मित यानी कि मैन मेड जंगल. तो चलिए जंगल सफारी के खूबसूरत सफर पर नवा रायपुर. यहां आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसके फैन हो गए थे. पीएम की टाइगर की फोटो खींचती तस्वीरें भी वायरल हुई थीं.

छत्तीसगढ़ का मानव निर्मित जंगल सफारी

रेलवे स्टेशन से लगभग 35 किमी और स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर से 15 किमी दूर छत्तीसगढ़ की राजधानी नवा रायपुर में एक जंगल बसाया गया है. करीब 800 एकड़ में फैले इस जंगल में शेर-बाघ, भालू जैसे जानवर रहते हैं.

jungle safari
जंगल सफारी

यहां से होती है शुरुआत
800 एकड़ में फैले इस जंगल सफारी के मुख्यद्वार पर जब आप पहुंचते हैं तो लगता है कि किसी बड़े पार्क या गार्डन में पहुंच गए हैं. इस ग्रीन गार्डन में कुछ दूर चलते ही आपको जंगल सफारी प्रबंधन के लोग आपके स्वागत में नजर आ जाएंगे.

jungle safari
जंगल सफारी

पहले पहुंचिए वेटिंग हॉल फिर यहां से मिलती है बस
यहां के एयरकंडिशन वेटिंग हॉल में रिफ्रेशमेंट के लिए कई तरह के सामान उपलब्ध हैं. वहीं इस हॉल की दीवार में लगाई गए चित्रों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की वाइल्ड लाइफ को विजुलाइज करने की कोशिश की गई है. कुछ देर के इंतजार के बाद हमें बस मिल जाती है.

जंगल सफारी का लुत्फ उठाते  पर्यटक
जंगल सफारी का लुत्फ उठाते पर्यटक

हर तरफ हरियाली और खंडवा जलाशय के किनारे से हमारी बस जैसे ही आगे बढ़ती है वैसे जंगल सघन होते चला जाता है. गाइड ने बताया कि इस जंगल के एक हिस्से में जू भी डेवलप किया जा रहा है लेकिन फिलहाल उसे ओपन नहीं किया गया है. यहां से एक विशाल स्वागत द्वार नजर आने लगता है.

जंगल के अंदर अलग-अलग चार सफारी
यहां बताया गया कि इस जंगल के अंदर अलग-अलग चार सफारी हैं.

  • हर्बीवोर सफारी
  • बियर सफारी
  • टाइगर सफारी
  • लॉयन सफारी.

इन सभी सफारी में जाने के लिए मेन गेट है.
नया रायपुर में स्थित इस इलाके में पहले नर्सरी हुआ करती थी. इसे ही खंडवा जलाशय को वाटर बेस बनाकर एक जंगल का रूप दिया गया है. इसे घना और मृग प्रजाति के जानवरों के मुफीद बनाने के लिए खासतौर पर अंजन के पेड़ बड़ी संख्या में लगाए गए हैं. कुछ दूरी में हमें एक वॉच टावर नजर आता है. इस घने जंगल में दूर तक नजर रखने के लिए कुछ वॉच टॉवर भी बनाए गए हैं.

हर्बीवोर सफारी का सफर
इस तरह करीब 2 किमी के सफर के बाद हम हर्बीवोर सफारी पहुंचते हैं. जैसे कि नाम से साफ है यहां उस तरह के जानवर वास करते हैं जो शाकाहारी हैं. यहां डियर फैमली के – चीतल, कोटरी, काला हिरण, सांभर और नील गाय को यहां रखा गया है. यहां करीब 300 हिरण प्रजाति के जानवर रहते हैं. इनके पानी के लिए छोटी-छोटी टंकियां बनाई गई हैं. साथ ही इन्हें यहां हरी घास के अलावा दाने भी दिए जाते हैं. बिलकुल नेचुरल माहौल में ये बेहद तेजी से ग्रोथ कर रहे हैं.

हर्बीवोर सफारी
हर्बीवोर सफारी
हर्बीवोर सफारी
हर्बीवोर सफारी

बियर सफारी, यहां रखे गए हैं 5 भालू
इस सफारी में डियर फैमली को इतने करीब से देखने देखना वाकई यादगार लम्हा है. कुछ समय बिताने के बाद हम यहां से आगे बढ़ते हैं. हमारा अगला पड़ाव है, भालुओं का इलाका. इस सफारी में घुसते ही हमारा गाइड एक बार फिर बस के दरवाजे को चेक करता है कि वो ठीक से बंद है या नहीं.

बियर सफारी
बियर सफारी

हर्बीवोर में जहां हम आसानी से बस से उतर कर हिरणों का जायजा लिया था लेकिन इस सफारी में ऐसा करना खतरे से खाली नहीं क्योंकि भालुओं के साथ खिलवाड़ महंगा पड़ सकता है. वैसे तो छत्तीसगढ़ के जंगलों में अच्छी खासी तादाद में भालू पाए जाते हैं. लेकिन इसे इतने करीब से देखना बेहद रोमांचकारी अनुभव है.

बियर सफारी के इस सफर को हम कभी नहीं भूल सकते. करीब 50 एकड़ में फैली इस सफारी का अनुभव यहां आकर ही महसूस किया जा सकता है. फिलहाल यहां 5 भालूओं को रखा गया है.

यहां से पहुंचते हैं टाइगर सफारी
बियर सफारी के बाद हम आगे बढ़ते हैं और घने जंगल की ओर. टाइगर सफारी का ये इलाका बेहद घना है. हो भी क्यों न जंगल के राजा जो यहां रहते हैं. हो सकता है आपने जू में पिंजरे में बंद बाघों को पहले भी देखा होगा लेकिन खुले जंगल में इन्हें देखना रोंगटे खड़े करने वाला अनुभव होता है. यहां हमने आराम फरमाते हुए बाघ का दीदार किया.

टाइगर सफारी
टाइगर सफारी

50 एकड़ में फैला है टाइगर सफारी का इलाका
टाइगर सफारी का ये इलाका 50 एकड़ में फैला हुआ है. यहां 4 बाघों को रखा गया है. यहां इनके लिए खास वाटर बॉडी डेवलप किया गया है. वहीं इनके भोजन के लिए एक क्रॉल भी बनाया गया है. वैसे तो ये यहां पूरी तरह उनमुक्त माहौल में रहते हैं. समय-समय पर इनका मेडिकल चेकअप भी किया जाता है. बाघों की शाही चाल और जल क्रीड़ा देखकर पर्यटकों के साथ हम भी रोमांचित हो गए.

टाइगर सफारी के बाद लॉयन सफारी का सफर
टाइगर सफारी के बाद हम आगे बढ़ते हैं लॉयन सफारी की ओर ये भी 50 एकड़ में फैली हुई सफारी है. बाघों के उलट लॉयन परिवार के साथ रहने वाले प्राणी हैं. ये फिलहाल क्रॉल के नजदीक अठखेली करते नजर आए. अपनी मां के साथ 3 शावकों को देखना बेहद रोमांचक है.

यहां पर लीजिए बोटिंग का मजा
इस तरह हम चारों सफारी की सैर के बाद इस जंगल की लाइफ लाइन खंडवा जलाशय के पास पहुंचते हैं. यहां पर्यटकों के लिए वोटिंग का भी इंतजाम किया गया है.

मैन मेड जंगल सफारी
मैन मेड जंगल सफारी

प्रवासी पक्षियों को देखकर खुश हो जाता है मन

  • 130 एकड़ में फैले इस जलाशय में घूमना मन को आनंदित करने वाला होता है. इस जलाशय में कई विदेशी मेहमान यानी प्रवासी पक्षियों का भी आगमन होता है. यहां इनके रुकने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं.
  • इस मानव निर्मित जंगल में सफारी करने में बॉटेनिकल गार्डन और जू भी डेवलप किया जा रहा है. यहां आसपास के 200 ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है. इसके साथ ही पर्यावरण को बेहतर बनाया जा रहा है.

रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से कितनी दूरी-

  • रेलवे स्टेशन से लगभग 35 किमी और स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर.
  • एक बात का खास ध्यान रखें. अगर आप कहीं बाहर से आए हैं तो अंदर और आसपास रहने के लिए आपको कुछ नहीं मिलेगा. कहीं रुकने के लिए आपको रायपुर मुख्य शहर का रुख करना पड़ेगा.

कितना टिकट और कितना बस का किराया-

  • 12 साल या उससे ज्यादा उम्र के लिए एसी बस का किराया 300 रुपए और नॉन एसी बस का किराया 200 रुपए.
  • 6 से 12 साल तक की उम्र के लिए एसी बस का किराया 100 रुपए और नॉन एसी बस का किराया 50 रुपए.
  • 0 से 6 साल की उम्र के लिए कोई चार्ज नहीं है.
  • छात्रों और स्कूल स्टाफ के लिए एसी बस का किराया 100 रुपए और नॉन एसी बस का किराया 50 रुपए.
  • विदेश से आने वाले लोगों के लिए अगर 18 साल की उम्र से ज्यादा हैं को एसी बस का किराया 1000 रुपए और नॉन एसी बस का किराया 500 रुपए.
  • विदेश से आने वाले लोगों के लिए अगर 18 साल की उम्र से कम हैं को एसी बस का किराया 800 रुपए और नॉन एसी बस का किराया 400 रुपए.
Intro:छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों के लिए मतदान संपन्न हो चुका है, अब 23 मई का इंतजार है, जब ईवीएम में कैद प्रत्याशियों के भाग्य खुलेंगे. लेकिन उससे पहले चर्चा तीन चरणों में हुए मतदान की, जिसमें नक्सल प्रभावित बस्तर के मतदाताओं ने तमाम बाधाओं को दरकिनार करते रिकार्ड मतदान कर अन्य क्षेत्र के मतदाताओं के लिए मिसाल कायम किया है.
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने पत्रकार वार्ता में प्रदेश में तीन चरणों में हुए लोकसभा चुनाव की जानकारी दी. आंकड़ों के हिसाब से छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों के लिए तीन चरणों में हुए मतदान में इस बार 71.48 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो 2014 के लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 2.09 प्रतिशत ज्यादा है. इसमें पहले चरण में बस्तर की एकमात्र सीट पर हुए मतदान में रिकार्ड 66.04 प्रतिशत हुआ, जो 2014 की अपेक्षा 6.72 प्रतिशत अधिक है. वहीं दूसरे चरण में तीन सीटों में 74.95 प्रतिशत मतदान हुआ जो 2014 की अपेक्षा 1.93 प्रतिशत अधिक है. वहीं तीसरे चरण में सात सीटों के लिए 70.73 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2014 की अपेक्षा 1.64 प्रतिशत अधिक है.Body:NoConclusion:
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