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World Aids Day 2021: इस कारण फैलता है एड्स, अगर दिखे ये लक्षण तो पहले कराएं जांच

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Published : Nov 30, 2021, 5:32 PM IST

पूरे विश्व में 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day on 1st December) मनाया जाता है. ये एक ऐसी बीमारी है, जिसकी जानकारी मिलने के बाद लोगों का मनोबल टूट सा जाता है. एड्स का मतलब Acquired immunodeficiency syndrome होता है. ऐसे लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड एड्स डे (World Aids Day) मनाया जाता है. इस वीषय में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने प्रोफेसर और एचआईवी एक्सपर्ट डॉ. आर.एल.खरे (Professor and HIV Expert Dr R L Khare) से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

World AIDS Day
वर्ल्ड एड्स डे

रायपुरः एचआईवी (World Aids Day) के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए पूरे विश्व में 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day on 1st December) मनाया जाता है.पिछले एक दशक में एचआईवी को लेकर लोगों में काफी जागरूकता नजर आ रही है. धीरे-धीरे लोग एचआईवी की गंभीरता को समझ रहे हैं और इसका इलाज करा रहे हैं. हालांकि जिस तरह की यह बीमारी है, इसके वायरस को शरीर में दवाइयों के माध्यम से कम तो किया जा सकता है. लेकिन इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता. इसलिए इसकी दवाइयां उम्र भर तक लेनी पड़ती है. एचआईवी के बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने प्रोफेसर और एचआईवी एक्सपर्ट डॉ. आर.एल.खरे (Professor and HIV Expert Dr R L Khare) से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

इस कारण फैलता है एड्स

प्रोफेसर और एचआईवी प्रोफेसर और एचआईवी एक्सपर्ट डॉ. आर.एल.खरे ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि पिछले एक दशक में लोगों में एचआईवी को लेकर काफी जागरुकता देखने को मिली है. एचआईवी के मरीजों में दूसरे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बहुत कम हो जाती है. एड्स एचआईवी का आखरी स्टेज होता है. एचआईवी वो है जो शुरुआती स्टेज से अंतिम स्टेज तक के लिए रहता है. अंतिम स्टेज को सिर्फ एड्स कहा जाता है. क्योंकि एड्स गंभीर बीमारी को शो (Symptoms of Aids ) करता है. इसलिए हम एचआईवी शब्द का इस्तेमाल करते हैं. साल 2007 के बाद से लोगों में जागरूकता और दवाइयों की उपलब्धता काफी अच्छी है. हमारे पास लोगों का इलाज करने की सुविधा काफी अच्छी आ गई है. इस वजह से एड्स की वजह से मृत्यु दर लगातार गिरावट की तरफ है.

इन तीन कारणों से फैलता है एचआईवी

पहले हमें यह समझना पड़ेगा कि एचआईवी किन माध्यमों से फैलता है. अगर कोई व्यक्ति इंजेक्शन के माध्यम से नशा करता है और वो इंजेक्शन दूसरे मरीज को लग जाता है, तो उससे एचआईवी फैलने का चांस है. अगर कोई स्त्री एचआईवी पॉजिटिव है, तो चांस है कि बच्चा भी एचआईवी पॉजिटिव हो. तीसरा अगर कोई भी स्त्री या पुरुष व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव है. कोई भी व्यक्ति उनके साथ अनप्रोटेक्टेड संबंध बनाता है, उससे भी एचआईवी हो सकता है. यह 3 मुख्य कारण होता है. जिससे किसी भी व्यक्ति को एचआईवी हो सकता है. अगर इस तरह का कोई एक्स्पोजर या इस तरह की कोई स्थिति से अगर आप गुजरे हो तो आपको हमेशा टेस्ट कराना चाहिए. अगर एचआईवी पॉजिटिव आप होते हैं तो शुरुआती छह से आठ हफ्तों में आपको फ्लू जैसे सिम्टम्स देखने को मिलेंगे. जैसे बुखार आना, गले मे खरास होना, हाथ पैर में दर्द होना. यह लक्षण देखने को मिलेंगे. उसके बाद लंबे लक्षण आते हैं. लंबे समय तक भूख ना लगना, दस्त, लूज मोशन, लगातार वजन कम होना, टीवी , क्योंकि एचआईवी और टीवी एक साथ होना बहुत ही रिस्क फैक्चर है. अगर किसी व्यक्ति को टीवी है तो हम उनमें एचआईवी टेस्ट करते ही हैं. वही कोई एचआईवी का पेशेंट मिला तो हम उसका टीबी का टेस्ट कराते हैं कि कहीं उनको टीवी तो नहीं है यह दोनों बीमारियां अक्सर एक साथ आते हैं और दोनों एकसाथ आना में बहुत खतरनाक माना जाता है.

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राज्य में लगभग 35000 एचआईवी मरीज

एचआईवी के बारे में जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम देश में चलाए जाते हैं. भारत सरकार द्वारा नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के अंडर में यह पूरा कार्यक्रम चलाया जाता है. राज्य में हमारे आंकड़ों के हिसाब(AIDS patients in Chhattisgarh) से लगभग 35000 एचआईवी मरीज है. वहीं राजधानी में सबसे ज्यादा लगभग 8000 एचआईवी मरीज है. हर साल 1 दिसंबर को एचआईवी के बारे में जागरूक करने के लिए वर्ल्ड ऐड्स डे मनाया जाता है. इस कड़ी में हम पोस्टर प्रतियोगिता या अन्य माध्यमों से लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करते हैं.हर जिला स्तर पर ART सेंटर्स बनाने का काम चल रहा है. अभी छह मेडिकल कॉलेज में ART सेंटर है. रायपुर ART सबसे बड़ा सेंटर है, जिसको हम ART प्लस सेंटर बोलते हैं. हर स्तर की जो मेडिसिन है. वह राज्य सरकार और नेशनल ऐड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (National AIDS Control Organization) के माध्यम से हमारे सेंटर में उपलब्ध है. जो दवाइयां आज विश्व स्तर पर अमेरिका, यूरोप जैसे देशों में जो दवाइयां एचआईवी के लिए उपलब्ध है. वह आज हमारे पास उपलब्ध है.

राज्य में 6 मेडिकल कॉलेज में ART सेंटर मौजूद

मौजूदा समय में लोगों की सोच आज ऐसी हो गई है कि अगर किसी को एचआईवी हो जाएगा, तो लोग उसे किस नजर से देखेंगे. इस बार 1 दिसंबर का थीम भी यही है कि लोगों को इसके बारे में जागरूक करें यह भी एक मानसिक बीमारी है. बहुत सारे ऐसे बच्चे होते हैं जो बचपन से ही एचआईवी पॉजिटिव होते हैं. बच्चों का इसमें कोई दोष नहीं रहता, लेकिन दूसरों के डर से वह किसी को बता नहीं सकते. इस स्टिग्मा को एक कलंक की तरह देखा जाता है. इसको हटाने की जरूरत है. कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है कि पेशेंट जो शुरुआती जांच है वह करवा कर एचआईवी की दवाइयां चालू करें, ताकि बेहतर इलाज हो सके.

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