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एमसीबी का चाटी जलाशय अनदेखी का शिकार, ग्रामीणों को नहीं मिला योजना का लाभ

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Published : Jan 3, 2023, 7:46 PM IST

एमसीबी के भरतपुर विकासखंड में लाखों रुपयों की लागत से बनाया गया चाटी जलाशय जिम्मदारों की अनदेखी (MCB chati reservoir is victim of neglect) के कारण उपयोगहीन साबित हो रहा है. Villagers did not get benefit of scheme पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी नहरों में एक बूंद पानी नहीं है. mcb latest news जिसके कारण आज भी सैकड़ों किसान बारिश के पानी के भरोसे खेती करने के लिए मजबूर हैं.

MCB chati reservoir is victim of neglect
चाटी जलाशय की प्रशासन कर रहा अनदेखी

चाटी जलाशय की प्रशासन कर रहा अनदेखी

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: एमसीबी में ग्रामीणों के लिये बनी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. MCB chati reservoir is victim of neglect छोटे और कमजोर किसानों को राहत देने के उद्देश्य से शासन प्रशासन द्वारा लगभग 10 साल पहले करोड़ों रुपये खर्च करके चाटी जलाशय का निर्माण कराया गया था. Villagers did not get benefit of scheme लेकिन जलाशय का पानी आज भी कई गांवों तक नहीं पहुंच पाया है. mcb latest news जिसकी योजना कागजों में सिंचाई विभाग ने बना रखी थी.

जलाशय और पाइप का नहीं मिल पा रहा लाभ: प्रभावित किसानों ने बताया कि "चाटी जलाशय का निर्माण तो सिंचाई विभाग के द्वारा कराया गया. लेकिन किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. विभाग के द्वारा बनाये गये नहर और पाइपलाइन में आज तक पानी नहीं पहुंच पाया है. अब यह नहर और पाइपलाइन मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं, जबकि सिंचाई विभाग द्वारा बेतहाशा पैसा खर्चा किया गया रहा है. आज भी यहां के किसान भगवान भरोसे खेती कर रहे हैं."

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परेशानियों का सामना कर रहे ग्रामीण: प्रभावित ग्रामीणों ने बताया कि "जब से विभाग द्वारा चाटी जलाशय का निर्माण कराया गया है, तब से लेकर आज तक किसानों को पानी की एक बूंद तक नहीं मिल पाई है. यहां के किसान बरसात के पानी के सहारे खेती करते हैं. आज तक नहर में पानी नहीं आया है, जिससे ग्रामीणों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है."

क्या कहते हैं अधिकारी: इस संबंध में ईटीवी भारत ने कोरिया के जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता एटोप्पो से बात की, तो उनका कहना है कि "चाटी जलाशय बहुत पुराना होने के कारण निश्चित रूप से उसमें सुधार और मरम्मत की आवश्यकता है. नहर और पाइप का काम भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है. कोशिश क जा रही है कि किसानों की दिक्कतों को जल्द से जल्द दूर किया जाए."

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