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छत्तीसगढ़ में छोटे पुरी के नाम से विख्यात है दादर खुर्द, 120 साल से नहीं टूटी ये परंपरा

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Published : Jun 29, 2022, 11:39 AM IST

Updated : Jun 29, 2022, 12:49 PM IST

कोरबा शहर से लगे हुए गांव दादर खुर्द में रथयात्रा की परंपरा 120 साल से नहीं टूटी है. अब शहर के लोग इसे छोटे पुरी के नाम से जानने लगे हैं. इस साल यह 121वां आयोजन होगा, जब लगातार यहां से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. रथ यात्रा की तैयारियां अंतिम चरण में है.

दादर खुर्द
दादर खुर्द

कोरबा:आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष द्वितीया को रथजुतिया के नाम से कोरबा जिले के विभिन्न गांवों में रथ यात्रा निकाली जाती है. शहर के निकट स्थित ग्राम दादरखुर्द का रथयात्रा उत्सव जिले भर में प्रसिद्ध है. गांव के मंदिर में बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ स्वामी की प्रतिमा स्थापित है.

छत्तीसगढ़ में छोटे पुरी के नाम से विख्यात है दादर खुर्द

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रथ यात्रा में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़: आषाढ़ कृष्ण पक्ष की पहली तिथि से मंदिर का पट महाप्रभु के बीमार होने की वजह से बंद हो चुका है. ब्रह्ममुहुर्त में रथजुतिया के दिन 1 जुलाई को मंदिर का पट खुलेगा. ग्रामीणों ने पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को सुसज्जित कर रथ में बिठाया जाता है. हर साल होने वाले इस आयोजन को लेकर ग्रामीण उत्साहित हैं. रथयात्रा के दिन हर साल यहां हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं. गांव में मेले का भी आयोजन किया जाता है.

पुजारी से जानिए पौराणिक मान्यता: मंदिर के पुजारी रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी ने बताया ''यह आयोजन समस्त ग्राम वासियों के सहयोग से होता है. जनश्रुति के अनुसार भगवान जगन्नाथ स्वामी इस दिन अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर जाते हैं. गांव के मंदिर से भगवान जगन्नाथ स्वामी को रथ में बिठाकर गांव भर में भ्रमण कराया जाता है. इस आयोजन में रथ खींचने की उत्सुकता के साथ श्रद्धालु पुण्य लाभ लेने गांव पहुंचते हैं.''

बेहतर व्यवस्था की मांग: ग्राम विकास अध्यक्ष कष्णा द्विवेदी का कहना है कि रथयात्रा के दिन गांव के लिए सिटी बस का संचालन किया जाना चाहिए. द्विवेदी का मानना है कि निजी वाहनों में गांव तक आने मे पार्किंग की समस्या होती है. वाहन चलाए जाने से न केवल ज्यादा दर्शनार्थियों को दर्शन लाभ मिलेगा बल्कि व्यवस्था भी सुधरेगी. गांव में सरकारी शराब दुकान संचालन की वजह से अव्यवस्था की स्थिति बनती है. जिला प्रशासन से शराब दुकान को बंद करने की मांग भी की जाएगी.

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान बीमार होकर अपनी मौसी के घर चले जाते हैं. जब वह लौटते हैं तो यात्रा के माध्यम से उनका भव्य स्वागत होता है. उसी दिन से मंदिरों के द्वार श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोले जाते हैं. गांव दादर में रथ खींचने के लिए आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां की मंदिर समिति ने स्थानीय प्रशासन से रथ यात्रा वाले दिन को शुष्क दिवस घोषित करने की मांग भी की है.

ब्याहता बेटियां भी लौट आती हैं हफ्ते भर पहले: गांव दादर में लंबे समय से रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है. स्थानीय निवासी गोप लाल राठिया का कहना है ''दादर को अब लोग छोटा पुरी के नाम से भी जानने लगे हैं. इसकी तैयारी महीने भर पहले से ही शुरू हो जाती है. दादर से जिन बेटियों का विवाह राज्य के बाहर भी हुआ है, वह लगभग हफ्ते भर पहले ही दादर लौटकर यात्रा की तैयारियों में जुट जाती हैं.'' दादर के साथ ही जिले भर से लोग यहां पहुंचते हैं और रथ यात्रा में शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि रथयात्रा में शामिल होकर जो भी श्रद्धालु रथ को खींचता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.

Last Updated :Jun 29, 2022, 12:49 PM IST
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