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नक्सलगढ़ चांदामेटा में खुला नया आंगनबाड़ी केंद्र, बहने लगी बदलाव की बयार

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 10, 2024, 5:25 PM IST

New Anganwadi center
नक्सलगढ़ चांदामेटा में खुला नया आंगनबाड़ी केंद्र

New Anganwadi center छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र चांदमेटा में अब बदलाव की बयार बहने लगी है. आजादी के 75 साल बाद यहां जिला प्रशासन ने स्कूल खोला था.फिर विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान केंद्र बना. Naxalgarh Chandametta

बस्तर : बस्तर जिले के अंतिम छोर में बसे नक्सलगढ़ इलाके के नाम से मशहूर रहे चांदामेटा की तस्वीर अब बदलने लगी है. पुलिस और फोर्स की सक्रियता के कारण नक्सलियों ने अपने पांव पीछे खींच लिए हैं. जिसके बाद अंदरूनी इलाके में धीरे-धीरे मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों तक पहुंचने लगी. आपको बता दें कि आजादी के 75 साल बाद चांदमेटा में पहली बार स्कूल की घंटी बजी थी.वहीं पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में चांदमेटा में मतदान केंद्र बनाया गया था.जिसमें ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

चुनाव के बाद बढ़ रही सुविधाएं : चुनाव सम्पन्न होने के बाद चांदमेटा में अब और भी सुविधाएं पहुंच रही है. अब इस गांव में आंगनबाड़ी केंद्र की सौगात भी स्थानीय बच्चों को मिली है. बच्चों ने फीता काटकर नए आंगनबाड़ी केंद्र का शुभारंभ किया. बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम अपने आप को भाग्यशाली मानते हुए कहा कि जब उन्होंने बस्तर जिले की जिम्मेदारी संभाली थी. तब पहली बार चांदामेटा के दौरे पर गए थे.

दौरे के दौरान ग्रामीणों ने की थी मांग : कलेक्टर के दौरे के दौरान ग्रामीणों ने उनसे मूलभूत सुविधाओं की मांग की थी. क्योंकि स्कूल, आंगनबाड़ी, बिजली, पानी और सड़क की असुविधाओं के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिसके बाद से जिला प्रशासन लगातार काम करता रहा. अब लगभग सभी पारा में बिजली पहुंच गई है.

''सड़क सभी पारा में लगभग पहुंच गया है. एक पारा बचा हुआ है. जिसे जल्द पूरा किया जायेगा. इससे पहले स्कूल का शुभारंभ बच्चों से करवाया गया था. और अब आंगनबाड़ी की शुरुआत भी बच्चों से कराई गई है. साथ ही सोलर पंप के माध्यम से सभी क्षेत्रों में पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.'' विजय दयाराम, कलेक्टर

पानी की सुविधा मिलने से ग्रामीण खुश : आपको बता दें कि पानी की सुविधा मिलने से ग्रामीणों की बड़ी मुसीबत दूर हुई है.क्योंकि कई किलोमीटर पैदल चलकर ग्रामीण प्राकृतिक स्त्रोतों से पानी इकट्ठा करते थे.लेकिन अब ऐसा नहीं है.गांव में साफ पानी ने ग्रामीणों की परेशानी दूर की है.ग्रामीणों की माने तो वोट डालने के बाद उन्हें वोटिंग की ताकत का पता चला है.

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