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Lantern Era : लालटेन युग में जी रहे ग्रामीण, बरपदर गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी

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Published : Jun 26, 2023, 2:01 PM IST

Updated : Jun 26, 2023, 11:12 PM IST

Dhamtari News
बरपदर गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी

Lantern Era छत्तीसगढ़ तेजी से विकसित हो रहा है. राज्य बनने के बाद से ही प्रदेश के कई हिस्सों में तेजी से विकास हुआ.कई गांवों का कायाकल्प हुआ.यहां तक के सांसद और विधायकों ने भी एक-एक गांव को गोद लेकर लोगों की सुध ली. लेकिन फिर भी कुछ तस्वीरें ऐसी हैं, जो ये सोचने को मजबूर करती है कि क्या वाकई लोग विकसित हो गए हैं. बरपदर गांव में आज भी लोग लालटेन युग में जीने को मजबूर है.

बरपदर गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी

धमतरी : बरपदर गांव में आज भी लालटेन युग खत्म नहीं हुआ है. यहां के लोगों को लिए बिजली किसी कहानी जैसी है. धमतरी जिला मुख्यालय से इस गांव की दूरी 150 किलोमीटर है. यह बेलरबाहरा का आश्रित गांव है. इस गांव में 21 परिवार रहते हैं. लेकिन इस गांव में आज तक ना सड़क बन सकी है, ना ही बिजली है और ना ही कोई स्वास्थ्य व्यवस्था.आज भी इस गांव तक पहुंचने के लिए जंगली रास्तों को पार करना पड़ता है.


बरपदर गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी : गांव के लोग आज भी लालटेन युग में जी रहे हैं.बिजली और सड़क जैसी समस्या तो है ही.लेकिन इस गांव में पहुंचने के लिए पुल-पुलिया का भी अभाव देखने को मिलता है. गांव में कहने के लिए तो स्कूल है लेकिन पिछले 4 साल से भवन में ताला लटक रहा है. पीने के पानी के इंतजाम के लिए ग्रामीणों को मीलों पैदल चलना पड़ता है. सरकार एक तरफ नए बालवाड़ी केंद्र खोल रही है.लेकिन आज तक ये सुविधा इस गांव तक नहीं पहुंची.बिना आंगनबाड़ी के इस गांव में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार के लिए भी भटकना पड़ता है. वहीं यदि कोई इन हालातों में बीमार पड़ गया तो मानिए उसे अस्पताल पहुंचाना किसी पहाड़ को तोड़ने जैसा है.


स्वच्छ भारत मिशन को पंचायत दिखा रही ठेंगा : देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए हर गांव में पक्के शौचालय बनने का दावा किया गया.लेकिन बरपदर गांव में आज भी लोग लोटा लेकर जंगल में भटक रहे हैं.यहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत जो शौचालय बने वो सिर्फ भ्रष्टाचार की निशानी बनकर रह गए हैं.इन शौचालयों में सिर्फ ईंटों का ढेर बचा है.

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सरकारी योजनाओं ने तोड़ा दम :गांव में बिजली पहुंचाने के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया गया.लेकिन मेंटनेंस और देखरेख के आभाव में सोलर सिस्टम भी दम तोड़ गया. लिहाजा अब बिजली क्या होती है इस गांव को नहीं पता. सरकारी योजनाएं किसके लिए बनीं,कब आई और कब गई इन सभी बातों से इस गांव को कोई मतलब नहीं है. इसलिए आज भी ये गांव सामाजिक सुविधाओं को तरस रहा है. अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में बरपदर गांव की किस्मत कौन बदलता है और इस गांव को लालटेन युग से आधुनिक युग में लेकर आता है.

Last Updated :Jun 26, 2023, 11:12 PM IST
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