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गांधी @ 150: जब बापू ने बिलासपुर में रखे थे कदम, जानिए क्यों महिलाओं ने न्योछावर कर दिए थे जेवर

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Published : Oct 1, 2019, 11:59 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 12:19 PM IST

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

छत्तीसगढ़ की धरती पर केवल दो बार ही गांधी जी के कदम पड़े. 1933 में दूसरे दौरे के दौरान वे बिलासपुर भी गए थे, इस दौरे की कुछ रोचक जानकारियों के बारे में जानकर आप भी उन दिनों गांधी के प्रति लोगों की दीवानगी को महसूस कर पाएंगे.

बिलासपुर: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कभी महात्मा गांधी के लिए कहा था कि, 'आनेवाली पीढ़ियां बहुत मुश्किल से ये विश्वास करेंगी कि इस धरती पर हाड़-मांस का एक ऐसा पुतला भी हुआ है.' 2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जी की 150 वीं जयंती मना रहा है. छत्तीसगढ़ की धरती पर केवल दो बार ही गांधी जी के कदम पड़े. 1933 में दूसरे दौरे के दौरान वे बिलासपुर भी गए थे, इस दौरे की कुछ रोचक जानकारियों के बारे में जानकर आप भी उन दिनों गांधी के प्रति लोगों की दीवानगी को महसूस कर पाएंगे.

बापू ने बिलासपुर में रखे थे कदम

25 नवंबर 1933 को बिलासपुर आए गांधी जी
महात्मा गांधी 25 नवंबर 1933 को सड़क मार्ग से बिलासपुर पहुंचे थे. गांधी के आगमन की सूचना मिलते ही बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में एक दिन पहले ही लोगों का हुजूम उमड़़ पड़ा था. शहर और उसके आसपास सिर्फ बैलगाड़ियों का रैला दिख रहा था. जिस पर सवार होकर दूर-दूर से लोग गांधी को देखने बिलासपुर पहुंचे थे.

  • गांधी जी का बिलासपुर में प्रवेश करने से पहले ही रायपुर रोड पर जगह-जगह स्वागत किया गया.
  • गांधी के प्रति लोगों की श्रद्धा और दीवानगी इस कदर थी कि लोगों ने उनके ऊपर सिक्के भी उछाले थे जिससे गांधी को मामूली चोट भी लगी थी.
  • कहा जाता है कि भीड़ में इतने सारे लोगों से हाथ मिलाने के चलते गांधी के हाथ भी छिल गए थे.

गांधी जी ने झरोखे से किया था अभिवादन
बिलासपुर सीमा में पहुंचते ही कुंज बिहारी अग्निहोत्री ने गांधी जी का स्वागत किया. शहर में वर्तमान के जरहाभाठा चौक में ठाकुर छेदीलाल के नेतृत्व में उनका भव्य स्वागत किया गया. गांधी जी को फिर विश्राम के लिए कुंजबिहारी अग्निहोत्री के निवास पर भेजा गया, जहां लोगों की इतनी भीड़ हो गई थी कि महात्मा गांधी ने घर के झरोखे से ही बाहर मौजूद जनसमूह का अभिवादन किया था.

महिलाओं ने दान दे दिए थे पहने हुए जेवर
गांधी जी ने बिलासपुर के कम्पनी गार्डन (वर्तमान में विवेकानंद उद्यान) और शनिचरी में आम सभा की थी गांधी के आह्वान पर यहां उन्हें हजार रुपए से भरी एक थैली भेंट की गई जिसे गांधी ने आजादी के लिए सहयोग के रूप में बहुत कम माना. तब कुंजबिहारी अग्निहोत्री के कहने पर सभा में मौजूद महिलाओं ने अपने तमाम जेवरात उतार कर दे दिए थे.

  • जब गांधी की आमसभा शनिचरी मैदान में हुई तो लाखों भीड़ को नियंत्रित करना कठिन काम था.
  • उस सभा में मौजूद डॉ. शिवदुलारे मिश्र, अमर सिंह सहगल, छेदीलाल जी ने भीड़ को नियंत्रित करने की बहुत कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए.
  • बापू के एक आह्वान पर ही विशाल जनसमुह शांत हो गया और मंत्रमुग्ध होकर बापू को सुनने लगे.

पढ़ें- ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि

गांधी ने कही थी दलित और हरिजन उत्थान की बात
गांधी ने इस सभा में मूलरूप से दलित और हरिजन उत्थान की बात की थी. जानकार बताते हैं कि गांधी के सभा के याद के रूप में लोग सभा स्थल से मिट्टी और पत्थर तक ले गए. गांधी के सभास्थल के पास आज भी यादगार स्वरूप एक जयस्तंभ बना हुआ है, जो बिलासपुर में गांधी के आगमन को लेकर एकमात्र प्रतीक के रूप में है.

गांधी के जानकार बताते हैं कि महात्मा गांधी विश्वभर के ऐसे कुछ गिने-चुने महामानवों में से एक हैं जो लगातार भीतरी संघर्ष को झेलते रहते हैं और लोगों को उत्कृष्ट मनुष्य बनने की प्रेरणा देते रहे.

Intro:महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कभी गांधी के संदर्भ में यह कहा था कि आनेवाली पीढियां बहुत मुश्किल से यह विश्वास करेंगी कि इस धरती पर हाड़-मांस का एक ऐसा पुतला भी हुआ है । एक बार फिर दो अक्टूबर नजदीक है और देश इस बार गांधी की 150 वीं जयंती मना रहा है । तो चलिए आज हम आपको गांधी के वर्ष 1933 के बिलासपुर दौरे से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक जानकारियों को बताते हैं जिसे जानकर आप भी उनदिनों गांधी के प्रति लोगों की दीवानगी को महसूस कर सकेंगे ।


Body:महात्मा गांधी 25 नवंबर 1933 को सड़क मार्ग से बिलासपुर पहुंचे थे । उनका मुंगेली का दौरा था लेकिन वो व्यस्तता के कारण मुंगेली नहीं जा पाए और इसका उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए भविष्य में मुंगेली जरूर आने का आश्वासन भी दिया ।
गांधी के आगमन की सूचना मिलते ही बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में एक दिन पहले ही लोगों की हुजूम भर गई । उनदिनों शहर और उसके आसपास सिर्फ बैलगाड़ियों का जमावड़ा दिख रहा था जिसपर चढ़ के दूर दूर से लोग गांधी को देखने बिलासपुर पहुंचे थे ।
बिलासपुर में प्रवेश के पूर्व ही रायपुर रोड में जगह जगह गांधी का स्वागत किया गया । गांधी के प्रति लोगों की श्रद्धा और दीवानगी इस कदर थी कि लोगों ने महात्मा के ऊपर सिक्का भी उछाला था जिससे गांधी कुछ हद तक चोटिल भी हुए थे । गांधी से हाथ मिलानेवाली भीड़ भी भरपूर थी जिससे गांधी के हाथ छिलने की बात भी सामने आती है । बिलासपुर सीमा में पहुंचते ही कुंज बिहारी अग्निहोत्री ने उनका स्वागत किया । शहर के वर्तमान में जरहाभाठा चौक में ठाकुर छेदीलाल के नेतृत्व में उनका भव्य स्वागत किया गया । गांधी को फिर विश्राम के लिए कुंजबिहारी अग्निहोत्री के निवास पर भेजा गया,जहां लोगों की इतनी भीड़ हो गई थी कि महात्मा गांधी घर के झरोखे से बाहर आकर जनसमूह का अभिवादन किया।
गांधी की बिलासपुर में कम्पनी गार्डन (वर्तमान में विवेकानंद उद्यान) और शनिचरी में आम सभा हुई । कंपनी गार्डन में महिलाओं की सभा का एक प्रसंग यह है कि गांधी के आह्वान पर महज हजार रुपए की थैली उन्हें भेंट की गई जिसे गांधी ने आजादी के लिए सहयोग के रूप में बहुत कम माना । तब कुंजबिहारी अग्निहोत्री के कहने पर सभा में मौजूद महिलाओं ने अपने सहयोग के रूप में अपने तमाम जेवरात उतार के दे दिए थे ।
जब गांधी की आमसभा शनिचरी मैदान में हुई तो लाखों भीड़ को नियंत्रित करना जरा कठिन काम था । उस सभा में मौजूद डॉ शिवदुलारे मिश्र,अमर सिंह सहगल,छेदीलाल जी ने भीड़ को नियंत्रित करने की बहुत कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। लेकिन बापू ने मंच पर खड़ा होकर जैसे ही बैठो बैठो कहा तो लोग शान्त हुए और मंत्रमुग्ध होकर बापू को सुनने लगे।गांधी ने इस सभा में मूलरूप से दलित व हरिजन उत्थान की बात की थी। जानकार बताते हैं कि गांधी के सभा के यादगार के रूप में लोग सभा स्थल से मिट्टी और पत्थर तक ले गए । गांधी के सभास्थल के समीप आज भी यादगार स्वरूप एक जयस्तंभ बना हुआ है जो बिलासपुर में गांधी के आगमन को लेकर एकमात्र प्रतीक के रूप में है । गांधी ने अपनी सभा में मूलरूप से हरिजनों





Conclusion:गांधी के जानकार बताते हैं कि महात्मा गांधी विश्वभर के ऐसे कुछ गिनेचुने महामानवों में से एक हैं जो निरन्तर भीतरी संघर्ष को झेलते रहते हैं और लोगों को उत्कृष्ट मनुष्य बनने की प्रेरणा देते हैं। गांधी की आलोचना तो सम्भव है लेकिन उनके जैसा बनना सम्भव नहीं। सर्वकालिक और दुनियाभर के मार्गदर्शक गांधी से जो लोग जूझ नहीं पाते वही गांधी के विरोधी होते हैं ।


बाईट...1 सरोज मिश्र...गांधीवादी
बाईट...2 जफ़र अली...गांधी के जानकार(पीला कुरता चश्मा पहने हुए)
बाईट...3 सरला सक्सेना...गांधी के करीब रहनेवाले चित्रकान्त जायसवाल की पत्नी
पीटूसी...
विशाल झा.... बिलासपुर
Last Updated :Oct 2, 2019, 12:19 PM IST
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