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bilaspur latest news : सांसद और रेल अफसरों की बैठक, अफसरों और प्रतिनिधियों के बीच टकराव

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Published : Jan 17, 2023, 8:25 PM IST

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अफसरों और प्रतिनिधियों के बीच टकराव

बिलासपुर रेल मंडल कार्यालय में सांसदों और रेल अधिकारियों की बैठक मंगलवार को हुई. बैठक में सांसद और राज्यसभा सदस्यों को शामिल होना था. लेकिन 3 सांसद ही शामिल हुए. इस महत्वपूर्ण बैठक में बाकी सांसदों के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में रेल सुविधाओं और ट्रेनों के रद्द होने का मुद्दा छाया रहा. सांसद और सांसदों के प्रतिनिधियों ने ट्रेन स्टॉपेज, स्टेशनों में सुविधा नहीं मिलने को लेकर रेल अधिकारियों को जमकर खरी खोटी सुनाई.

सांसद और रेल अफसरों की बैठक में हंगामा

बिलासपुर : कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के सांसद प्रतिनिधि ने कोरबा के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को लेकर सवालिया निशान खड़ा किया. जोन की आय के 80 फीसदी कोरबा से प्राप्त होने के बावजूद ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं होना, छोटे स्टेशनों को सुविधा विहीन होने के साथ ही कई मुद्दों पर रेल अधिकारियों को घेरा.रेलवे के साथ सांसदों की बैठक हंगामेदार रही. विपक्षी सांसद प्रतिनिधियों ने बैठक में रेलवे के रवैए को लेकर जमकर नाराजगी जताई. बैठक में 12 सांसदों और सदस्यों में केवल तीन सांसद ही बैठक में शामिल हुए. बैठक में ट्रेनों के स्टॉपेज, लेटलतीफी, रेल ब्रिज, स्टेशन, प्लेटफार्म सहित यात्री समस्याओं और सुविधाओं को लेकर प्रतिनिधियों ने रेलवे अधिकारियों से सीधी बात की.


अफसर खुद ही लिख रहे प्रस्तावों पर टिप्पणी : बिलासपुर रेल मंडल में सांसदों और रेलवे अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में केवल तीन सांसद जांजगीर- चांपा, रायगढ़ और शहडोल के सांसद ही शामिल रहे. इसके अलावा अन्य सांसदों के प्रतिनिधि बैठक में सांसदों के मांगों और सुझावों के साथ पहुंचे. सांसदों के प्रस्ताव और सुझावों पर बिना चर्चा के ही रेलवे अधिकारियों ने टिप्पणी कर खानापूर्ति कर दी थी. इसे लेकर सांसद ज्योत्सना महंत के प्रतिनिधि हरीश परसाई ने सवाल खड़े किए.

सांसद प्रतिनिधि ने उठाए सवाल : कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए हरीश परसाई ने बताया कि '' जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों को बिना रेलवे बोर्ड को भेजे रेल अधिकारी उसपर टिप्पणी कर रहे हैं. यात्रियों की मांगों और आवश्यकताओं को नजरंदाज कर रहे हैं. इसके साथ ही अन्य सांसदों और प्रतिनिधियों ने भी बैठक में मुख्य रूप से ट्रेनों के स्टॉपेज, ट्रेनों की लेटलतीफी, स्टेशन, प्लेटफॉर्म, रेल ब्रिज का विस्तार जैसे यात्री सुविधाओं और आवश्यकताओं को लेकर अपनी बात रखी.

हरीश परसाई ने सांसद ज्योत्सना महंत के पत्र को रेल अधिकारियों को दिखाया. जिसमें कोरबा सांसद ने लिखा था कि बिलासपुर रोड के आय का 80% हिस्सा कोरबा से जाता है. लेकिन ट्रेन स्टॉपेज सुविधाएं और कई ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग को दरकिनार कर दिया जाता है. कोरबा में डेढ़ किलोमीटर की रेल लाइन में 5 फाटक है. कोरबा इतवारी ट्रेन को कोरबा से रवाना कर वापसी बिलासपुर में ही रोक दिया जाता है. ऐसे कई ट्रेनें है जो कोरबा से नही चलती जिनका विस्तार कर कोरबा से चलाया जा सकता है.

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खामियां छिपाकर खुद की तारीफ में व्यस्त दिखे अधिकारी : बैठक में हंगामे के बाद रेल अधिकारी सांसदों के संतुष्ट होने की बात कहते हुए बता रहे है कि अधोसंरचना विकास और माल लदान के कारण ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो रहा है. अधोसंरचना विकास के साथ आने वाले दिनों में इस समस्या का समाधान भी हो जाएगा. बहरहाल रेलवे और सांसदों की बैठक हंगामे औचारिकता और रेलवे के रटे रटाए जवाब के साथ खत्म हो गई. यात्री समस्याओं और उसके निराकरण को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकला. वहीं रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी साकेत रंजन ने कहा कि ''सांसदों की मांग थी कि यात्री सुविधाओं में इजाफा किया जाए और यात्रियों को बेहतर सुविधा मिले, स्टेशनों में सुविधाएं बढ़ाने जैसे कई सुविधाओं की मांग रखी है.''

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