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बलरामपुर के वनांचल क्षेत्रों में महुआ बना आमदनी का जरिया

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Published : Apr 14, 2023, 12:17 PM IST

Updated : Apr 14, 2023, 2:11 PM IST

Mahua became source of income
महुआ बना आमदनी का जरिया

बलरामपुर के वनांचल क्षेत्रों में ग्रामीण पेड़ से गिरे महुआ बीनने में जुटे हैं. पूरे परिवार के लोग इसमें शामिल है. महुआ फल बीनने के बाद उसे सुखाया जाता है. जिसके बाद इसे बाजार में बेचा जाता है. महुआ फल और बीज बेचने से ग्रामीणों को अच्छी खासी आमदनी होती है.

बलरामपुर के वनांचल क्षेत्रों में महुआ

बलरामपुर: रामानुजगंज के वनांचल क्षेत्रों में इस समय चारों तरफ महुआ की खुशबू बिखरने लगी है. पेड़ों से जमकर महुआ गिर रहा है. जिन्हें बीनने यहां रहने वाले लोग सुबह से निकल जाते हैं. पेड़ के नीचे गिरे महुआ को बीनने में लगभग पूरा परिवार लग जाता है. महुआ बीनने के बाद इन्हें सुखाया जाता है फिर बाजार में बेचा जाता है.

पूरा परिवार मिलकर बीनते हैं महुआ: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी मिलकर महुआ बीनते हैं. सुबह से ही टोकरी लेकर जंगल की ओर महुआ बीनने ये ग्रामीण निकल पड़ते हैं. ये सभी दोपहर तक महुआ बीनते हैं. इन दिनों ग्रामीणों में ज्यादा महुआ बीनने की होड़ मची हुई है. रामानुजगंज के जंगलों में महुआ अधिक मात्रा में पाया जाता है.

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आमदनी का जरिया बना महुआ: वनांचल क्षेत्रों में महुआ ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का बड़ा जरिया है. इस क्षेत्र के लोग महुआ बेचकर अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करते हैं. छत्तीसगढ़ सरकार भी लघु वनोपज खरीदी के अंतर्गत महुआ फूल और बीज की खरीदी करती है.

मार्च-अप्रैल माह में गिरता है महुआ: महुआ का पेड़ वनांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है. मार्च अप्रैल के महीने में जमकर महुआ गिरता है. यहां के श्रमिक बाहर काम करने जाते हैं वह भी महुआ के सीजन में वापस गांव लौट आते हैं और महुआ बीनते हैं. लेकिन इस मार्च माह में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि होने की वजह से महुआ की पैदावार पर असर पड़ा है.

Last Updated :Apr 14, 2023, 2:11 PM IST
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