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संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखा जिउतिया व्रत, आज हुआ पारण

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Published : Sep 23, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

बेटे की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखा जिउतिया व्रत

सरगुजा में कल यानी 22 को, सप्तमी तिथि को व्रत रखा गया. जिउतिया व्रत में कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता, यह निर्जला व्रत होता है. इस व्रत में मां दुर्गा और जीमूतवाहन की पूजा होती है. इसमें मिट्टी और गोबर से चील-सियारन की प्रतिमा भी बनाई जाती है.

सरगुजा : जिउतिया, जीवीतिया या जीवित पुत्रिका कई नामों से पहचाने जाने वाला यह व्रत उत्तर भारत के सभी राज्यों सहित छत्तीसगढ़ के भी कुछ क्षेत्रों में भक्ति भाव से मनाया गया. 3 दिन की पूजन विधि के साथ महिलाओं ने 24 घंटे का निर्जला उपवास किया.

संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखा जिउतिया व्रत

सप्तमी तिथि में देर रात शुद्ध भोजन बनाकर पहले चील और सियार के नाम से छत पर रखा गया. फिर व्रती महिलाओं ने उसी भोजन को खा कर व्रत प्रारंभ किया. अष्टमी को व्रत करते हुए यह व्रत नवमी तिथि को सूर्योदय के बाद समाप्त हुआ. आज सुबह महिलाओं ने पारण किया.

यह व्रत पुत्र के दीर्घायु एवं कुशलता के लिए अश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को रखा जाता है. कल यानी 22 को, सप्तमी तिथि को व्रत रखा गया. जिउतिया व्रत में कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता, यह निर्जला व्रत होता है. इस व्रत में मां दुर्गा और जीमूतवाहन की पूजा होती है. इसमें मिट्टी और गोबर से चील-सियारन की प्रतिमा भी बनाई जाती है.

Intro:सरगुजा : ज्युतिया, जीवीतिया और जीवित पुत्रिका कई नामो से पहचाना जाने वाला यह व्रत उत्तर भारत के सभी राज्यों सहित सरगुजा में भी भक्ति भाव से किया जाता है। 3 दिन की पूजन विधि के साथ महिलाएं 24 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं, सप्तमी तिथि में देर रात शुद्ध भोजन बनाकर पहले चील और सियार के नाम से छत पर रखती हैं फिर उसी भोजन को कहा कर व्रत प्रारंभ करती हैं, अष्टमी को व्रत करते हुए यह व्रत नवमी तिथि को सूर्योदय के बाद समाप्त होता है और तब व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं।


यह व्रत पुत्र के दीर्घायु एवं कुशलता के लिए अश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को रखा जाता है। इस साल जियुतिया 22 सितम्बर दिन रविवार को रखा गया। सप्तमी तिथि शनिवार 21 सितम्बर को नहाई खाई हुआ। जिउतिया व्रत में कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता। इसलिए यह निर्जला व्रत होता है। व्रत का पारण अगले दिन प्रातःकाल किया जाता है जिसके बाद आप कैसा भी भोजन कर सकते है। इस व्रत को करते समय केवल सूर्योदय से पहले ही कुछ खा सकते हैं।

नहाई खाई सप्तमी तिथि 21 सितम्बर दिन शनिवार को अष्टमी एवं व्रत का मुख्य दिन 22 सितम्बर दिन रविवार को और नवमी तिथि को पारण 23 सितम्बर सोमवार को किया गया।


Body:इस व्रत में माँ दुर्गा और जीमूतवाहन की पूजा होती है। आश्विन कृष्ट अष्टमी तिथि को माताएं जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। जीमूतवाहन गंधर्व राजकुमार था, जिसने के वृद्धा के पुत्र की जान बचाई थी। इसलिए जितिया में कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें इसमें मिट्टी और गोबर से चील-सियारन की प्रतिमा भी बनाई जाती है। इस व्रत में माता जीवित्पुत्रिका और राजा जीमूतवाहन दोनो की सम्यक रुप से पूजा एवं पुत्रों की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है।Conclusion:बाईट01_मंजू गुप्ता (व्रती महिला)

बाईट02_भोला पंडित जी (पुजारी)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated :Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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