ETV Bharat / state

उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ सम्पन्न हुई छठ पूजा, सुहागिन महिलाओं ने छठी मैया से की पुत्री की कामना

author img

By

Published : Nov 11, 2021, 9:50 AM IST

Updated : Nov 11, 2021, 2:05 PM IST

रोहतास में छठ महापर्व के आखिरी दिन हजारों की संख्या में छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर की आधराना की. कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद छठ व्रतियों ने काफी हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाया. इस दौरान छठ के गीतों से पूरा जिला भक्तिमय हो गया.

लोक आस्था का महापर्व
लोक आस्था का महापर्व

रोहतासः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2021) उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. इस दौरान पूरे बिहार में लाखों की संख्या में छठ व्रतियों (Chhath Vratis) ने भगवान सूर्य की अराधना की. रोहतास में भी सैकड़ों लोगों ने महापर्व के आज चौथे दिन उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया. छठ व्रती सुबह सवेरे ही छठ घाट पर पहुंच गए थे. जहां छठ के गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था.

यह भी पढ़ें- Chhath Puja 2021:छठ में चढ़ने वाले इन प्रसादों का है खास महत्व, मईया होती हैं प्रसन्न

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सुबह से ही भारी संख्या में लोग छठ घाटों की ओर प्रस्थान कर गए थे. जिले के डेहरी स्थित सोन नद, सासाराम के दुर्गा कुंड, नहर घाट, सूर्य मंदिर घाट, लालगंज नहर घाट सहित विभिन्न घाटों पर छठी मैया और भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की गई. इस महापर्व पर सुहागिन महिलाओं ने व्रत कर संतान और सुहाग की कामना की. साथ ही परिवार की खुशहाली और अमन चैन की भी कामना की गई.

इस दौरान विभिन्न घाटों पर छठ व्रतियों की सुरक्षा के लिए काफी संख्या में पुलिस बल तैनात थे. सभी घाटों पर जिला प्रशासन और बिहार पुलिस के जवानों को लगया गया गया था. जिससे कि शांतिपूर्ण तरीके इस व्रत को सम्पन्न कराया जा सके. गौरतलब है कि उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हजारों की संख्या में छठव्रती तालाबों और घाटों पर मौजूद होते हैं.

देखें वीडियो

बता दें कि सूर्य की पूजा का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है. लेकिन छठ व्रत का उल्लेख भविष्य पुराण और महाभारत में स्पष्ट रूप से मिलता है. प्राचीन समय से चले आ रहे इस छठ पूजा में भगवान भास्कर से पुत्री प्राप्ति की कामना की जाती है. शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं, उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया.

सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.

यह भी पढ़ें- Chhath Geet: छठी मईया के गीतों से गूंजा पटना का गंगा घाट

Last Updated :Nov 11, 2021, 2:05 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.