पटनाः छठ पूजा के लिए मिट्टी के चूल्हे, सूप और आम की लकड़ी की बढ़ी मांग, महंगी बिक रहीं चीजें

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Published : Nov 8, 2021, 3:09 PM IST

आस्था का महापर्व

बिहार में लोक आस्था का महापर्व यानी छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है. श्रद्धालु पूजा के लिए सामग्रियां खरीदने में व्यस्थ हैं. मार्केट में चीजें मंहगी मिल रही हैं, लेकिन पूजा के कारण खरीदना भी जरूरी है. वहीं कोरोना काल के बाद हो रही छठ पूजा को लेकर दुकानदारों में भी अच्छी बिक्री को लेकर खुशी है.

पटनाः नहाए खाए के साथ लोक आस्था का महापर्व यानी छठ पूजा (Chhath Puja 2021) आज से शुरू हो चुकी है. इसे लेकर बाजारों की रौनक बढ़ गई है. पूजा में इस्तमाल होने वाले मिट्टी के चूल्हा (clay stove) आम की लकड़ी और बांस के सूप की मांग बढ़ गई है. हर कोई अपने हिसाब से इसकी खरीददारी करने में जुटा है. हालांकि ये सभी चीजें काफी महंगी मिल रही हैं. फिर भी श्रद्धालु पूजा के लिए ये सामग्रियां खरीद रहे हैं.

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इस पर्व में मिट्टी के चूल्हा और आम की लकड़ी का काफी महत्व है. राजधानी पटना में मिट्टी की चूल्हा 100 रुपये से लेकर 200 रुपये तक बेचे जा रहे हैं. वहीं आम की लकड़ी की कीमत 200 रुपये प्रति 5 किलोग्राम तक पहुंच गई है. लोग बड़ी संख्या में मिट्टी का चूल्हा और आम की लकड़ियां खरीद रहे हैं.

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छठ महापर्व में लोग प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर और आम के लकड़ी का भी उपयोग कर बनाते हैं. इसमें बांस से बने हुए सूप और दौरा का भी उपयोग किया जाता है. इसे खरीदने के लिए मार्केट में लोगों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है.

मार्केट में मिट्टी का चूल्हा बेच रहे राजेंद्र कुमार का कहना है कि इस बार महंगाई बढ़ी है और यही कारण है कि हम लोग भी महंगी कीमत में समान को बेच रहे हैं. लोग आ रहे हैं और खरीदारी कर रहे हैं. पिछले साल से अच्छा मार्केट है. पिछले साल कोरोना ने सब कुछ खत्म कर दिया था.

मिट्टी का चूल्हा खरीदने आई लक्ष्मी देवी का कहना है कि मिट्टी का बर्तन पवित्र होता है और यही कारण है कि छठ पर्व में हम इसका इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि बांस के बने हुए जो सूप होते हैं वह सबसे ज्यादा शुद्ध माना जाता है और उसमें ही हमलोग भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं. पटना के किदवईपूरी से आये सुमन कुमार बताते हैं कि इस बार आम की लकड़ी बहुत महंगी है. 30 रुपये किलो मिल रही है. लेकिन छठ करना है तो खरीदना ही होगा.

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गौरतलब है कि 8 नवंबर को नहाए खाए के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं. छठव्रतियों को नए कपड़े की आवश्यकता होती है. पीले और लाल रंग के कपड़ों की विशेष महत्ता होती है. हालांकि दूसरे रंग के कपड़े भी पहने जा सकते हैं. स्नान के बाद ही छठव्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं. नहाय खाय से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है. 9 नवंबर मंगलवार के दिन खरना किया जाएगा. 10 नंवबर बुधवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 11 नवंबर गुरुवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

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