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सूखा नशा ने बिहार के युवा वर्ग को जकड़ा, पैसे के लिए कर रहे हत्या और लूट जैसे अपराध

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Published : Aug 27, 2022, 4:53 PM IST

Updated : Aug 27, 2022, 5:03 PM IST

बिहार में सूखा नशा का कारोबार फलता फूलता जा रहा है. जिसके लत में आकर युवा अपराध करने से भी बाज नहीं आ रहे. हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें नशे के लिए युवा हत्या, लूट, छिनतई जैसे गंभीर अपराध को अंजाम दे रहे. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में गांजा, अफीम और हेरोइन की तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

नशे के चक्कर में बर्बाद हो रहे युवा
नशे के चक्कर में बर्बाद हो रहे युवा

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) के बाद युवा वर्ग सूखा नशा जैसे गांजा, हेरोइन, ड्रग्स और अफीम का सेवन करने लगे (Drought intoxication In Bihar) हैं. युवा नशे और महंगे शौक के लिए लूटपाट जैसे वारदात के साथ-साथ हत्या जैसे गंभीर अपराध को भी अंजाम दे रहे (Youth Doing Crime For Durgs) हैं. नशा के लिए चोरी, छिनतई और लूटपाट की घटनाएं आम हो गयी है. इन सब में ऐसे युवा शामिल हो, जिन्हें किसी ना किसी नशे का लत है.

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नशे के लत में अपराधी बन रहे युवा: पिछले एक महीने में इस तरह की चार वारदातें (Patna Crime News) सामने आ चुकी है. जिसमें नशे में धुत होकर एक बुजुर्ग की तलवार से काटकर हत्या कर दी गई तो दूसरे मामले में राहगीर को गोली मारकर लूट की वारदात को अंजाम दिया गया. इतना ही नहीं नशा के लिए रोकटोक करने पर पिता की बेरहमी से हत्या कर दी गई. एक मामले में पिता ही सुपारी किलर हायर कर बेटे की हत्या करा दी। चेन और मोबाइल छिनतई सहित वाहन चोरी के कई मामलों में पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है. जिसमें सामने आया कि आरोपी स्मैक, ब्राउन शुगर और गांजा के लिए वारदात को अंजाम दे रहे थे.

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नशे के लिए मूंगफली कारोबारी की हत्या: इसी साल जनवरी 2022 में दीघा थाना क्षेत्र में दो अपराधियों ने एक मूंगफली कारोबारी को गोली मारकर जख्मी कर दिया गया था. छानबीन में पता चला कि अपराधी नशे के लिए दुकानदार से रंगदारी मांग रहे थे. रंगदारी नहीं देने पर अपराधी दुकानदार को गोली मारकर जख्मी कर दिए. पुलिस दोनों बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेज दी. पूछताछ में भी यह बात उजागर हुआ था कि दोनों आरोपी स्मैक का सेवन करते थे. ऐसे में स्मैक के लिए पैसे नहीं होने पर घटना को अंजाम दिया.

नशे के लिए पिता का गला रेता: इसी तरह फुलवारीशरीफ निवासी 20 वर्षीय युवक को स्मैक की लत थी. उसकी आदत से पिता भी परेशान हो गया थाय एक बार पुलिस ने जेल भेजा तो पिता ने उसकी जमानत कराई. स्मैक की पुडि़या से दूर रहने के लिए पिता ने उसे बार-बार रोका-टोकाय. वह इससे तंग आकर मार्च 2022 को पिता की ही गला रेतकर हत्या कर दी. फुलवारीशरीफ थाने की पुलिस ने उसे जेल भेज दिया.

नशे की लत में बना मोबाइल लुटेरा: विगत 18 अगस्त को शास्त्रीनगर और एसकेपुरी में बाइक सवार दो बदमाशों ने गोली मारकर और फायरिंग कर तीन मोबाइल लूट की वारदातों को अंजाम दिया. 21 अगस्त को शास्त्रीनगर थाने की पुलिस ने दोनों लुटेरों को गिरफ्तार कर लिया. इसमें एक लुटेरा मोहित इंजीनियरिंग की पढ़ाई सिर्फ नशे और महंगे शौक के लिए छोड़ दिया. वह नशे की लत को पूरा करने के लिए मोबाइल लुटेरा बना गया. ऐसे कई मामले है, जिसमें शिक्षित युवा भी नशे की लत में क्राइम करते पकड़े गए.

नशेड़ी ने तलवार से काटा: विगत 4 दिन पहले 23 अगस्त को दीघा के कुर्जी पुल गेट नंबर 77 पर 75 साल के बुजुर्ग की तलवार से काटकर हत्या कर दी गई. स्थानीय लोगों ने आरोपित दोनों सहोदर भाइयों को दबोच पुलिस को सौंप दिया. पूछताछ और छानबीन में पता चला कि मुख्य आरोपित राजेश स्मैक और गांजा का सेवन करता है. नशे में उसने तलवार लिया और सड़क किनारे बैठे बुजुर्ग की हत्या कर दी.

नशेड़ी बेटा का पिता ने की हत्या: यही नहीं अगस्त 2021 में गौरीचक में एक युवक की हत्या का मामला सामने आया था. पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि पिता ने ही पुत्र की हत्या के लिए दो अपराधियों को सुपारी दी थी. दोनों शूटर और आरोपित पिता को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. नशे में धुत रहने वाले पुत्र की बुरी हरकतों से पिता परेशान था. इसके बाद उसने उसकी हत्या की सुपारी दी थी.

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पुलिस शराबियों को पकड़ने में बिजी: पुलिस शराब पीने और पिलाने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. लेकिन मादक पदार्थ तस्कर पुलिस की पकड़ से दूर हैं. वह चेन बनाकर शहर के अधिकांश थाना क्षेत्रों में ब्राउन शुगर और स्मैक की पुड़िया बेच रहे. पिछले कुछ माह में पत्रकारनगर, कंकड़बाग, गर्दनीबाग, दानापुर, पाटलिपुत्र, दीघा थाना क्षेत्रों में ब्राउन शुगर की पुड़िया के साथ कई की गिरफ्तारी हुई लेकिन उन तक ब्राउन शुगर और स्मैक की खेप पहुंचाने वाले तस्कर कौन हैं, कहां से सप्लाई कर रहा है? चेन में कितने लोग हैं? इसकी तह तक पहुंचने का प्रयास नहीं करती है. जिस कारण पूरे सूबे में सूखा नशा और उसके तस्कर सक्रिय हैं

पुलिस का इस विषय पर क्या कहना: हालांकि, बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) की माने तो नशे के खिलाफ लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है. बिहार पुलिस के अलावा बिहार पुलिस की विशिष्ट इकाई आर्थिक अपराध इकाई द्वारा लगातार नशीली पदार्थ के ट्रैफिकिंग करने वालों लोगों को गिरफ्तारी की जा रही है. उन्होंने माना कि बिहार में जो भी घटना घटित हो रही है, इसमें ज्यादातर युवा हैं.

पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के मुताबिक साल 2020 कि जुलाई माह तक जहां 2150.08 किलो गांजा पकड़ा गया था. अलगे साल 2021 के जुलाई माह तक 2349.376 किलो गांजा बरामद किया गया है. इसकी तुलना में साल 2022 के जुलाई माह तक 2939.905 किलो गांजा बरामद हुआ है. इन आंकड़ों सहित स्पष्ट होता है कि बिहार में पिछले सालों की तुलना में मादक पदार्थों में वृद्धि हुई है.

गांजा तस्करी के मामले में बिहार नंबर 1: बिहार में 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार में शराब के अलावा मादक पदार्थों में सबसे अधिक गांजा, अफीम व चरस की तस्करी हो रही है. राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की भारत में तस्करी पर साल 2020-21 की रिपोर्ट के मुताबिक गांजे की जब्ती के मामले में बिहार पहले नंबर पर है. इस साल में बिहार में 12 मामलों में कुल 13,446 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया है. इस रिपोर्ट में गांजे की जब्ती के मामले में नागालैंड दूसरे स्थान पर रहा. जहां 10 मामलों में 9,001 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया. बिहार का पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश (8,386 किलोग्राम) इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर है.

शराबबंदी के बाद सूखा नशा का कारोबार बढ़ा:भारत सरकार के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की साल 2018 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 के बाद राज्य के विभिन्न जगहों से गांजे और मादक पदार्थों की बड़ी मात्रा में जब्ती की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 13897.09 किलो गांजा, 251.43 किलो चरस, 3.2 किलो हेरोइन और 5.5 किलो अफीम बरामद किया गया था. साल 2014 में बिहार में 6 मामलों में 333 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया और 8 की गिरफ़्तारी हुईय इस साल अफीम और चरस के कोई मामले दर्ज नहीं हुए. इसी तरह अगर नारकोटिक्स के मामलों और उनसे जुडी गिरफ्तारियों की बात की जाये तो शराबबंदी के पहले के दो सालों यानी 2014 और 2015 में क्रमशः 6 और 7 मामलों में 8 और 9 गिरफ्तारियां हुईं थी लेकिन उसके बाद ये आंकड़े लगातार बढ़ते गए.

विशेषज्ञों का इस मामले पर क्या कहना: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान डॉ मनोज कुमार ने बताया कि पहले कि तुलना में युवाओ में हेरोइन, गांजा और ड्रग्स के मामलों में वृद्धि हुई है. उनके पास भी कुछ इस तरह के पेशेंट और उनके परिजन इलाज के लिए और सलाह लेने के लिए आते हैं. उन्होंने युवाओं के साथ उनके परिजनों को सलाह देते हुए कहा कि जरूरत है कि बच्चों को उसके स्कूलिंग लाइफ से ही ऐसे नशीले पदार्थों के बारे में उसके फायदे और नुकसान की जानकारी दी जाए.

युवा वर्ग पहले तो एंजॉयमेंट के लिए नशा करते हैं, बाद में इसके आदी हो जाते हैं. जब उन्हें नशा करने के लिए पैसे नहीं मिलता है तो वह किसी भी तरह का छोटा हो या बड़ा क्राइम भी करने से बाज नहीं आते हैं. ऐसे युवाओं को काउंसलिंग करने की काफी जरूरत है. इसके अलावा पेरेंट्स को अपने बच्चों पर खास ध्यान रखने की जरूरत है. उनको ध्यान रखना होगा कि बच्चे कहां जाते हैं. उनकी दोस्ती कैसे लोगों के साथ है. किसी गलत संगत में पड़कर नशा का सेवन तो नहीं कर रहे.

Last Updated :Aug 27, 2022, 5:03 PM IST
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