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Veer Nari Samman : 16 वीर नारियां होंगी सम्मानित.. फिर याद आए 1971 युद्ध में छक्का छुड़ाने वाले बिहार रेजिमेंट के हीरो

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Published : Aug 5, 2023, 6:01 AM IST

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पटना में 1971 युद्ध के शहीदों की पत्नियां सम्मानित की जाएंगी. इसके लिए वीर नारी सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इसी बहाने उन वीर बांकुड़ों के अदम्य साहस की कहानियों को भी याद किया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर..

पटना : बिहार की राजधानी पटना स्थित बापू सभागार में आज 1971 युद्ध के शहीदों की पत्नियां सम्मानित की जाएंगी. 1971 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले वीर सपूतों के परिवार की वीर नारियों को सम्मानित करने के लिए भारत पाक युद्ध की कहानी एवं वीर नारी सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर 1971 युद्ध के नायकों की वीर गाथा और बिहार रेजिमेंट के अदम्य योगदान पर भी चर्चा होगी.

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बिहार और झारखंड के राज्यपाल कर रहे शिरकत : वीर नारी सम्मान समारोह में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर, एलजेपीआर प्रमुख चिराग पासवान और गुलमोहर मैत्री की ब्रांड एंबेसडर श्रेयसी सिंह शामिल हो रही हैं. इस युद्ध में बिहार के कई वीर सपूतों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों को धूल चटा दी थी. इस कार्यक्रम के बहाने उनके परिवार और उनकी अर्धांगनियों के साथ कुछ पुरानी यादों को भी ताजा किया जाएगा.

1971 में सबसे नौजवान बटालियन थी 10वीं बिहार बटालियन : बता दें कि भारत-पाक युद्ध में बिहार रेजीमेंट के जवानों ने दुश्मन के घर में घुसकर उनके दुस्साहस का करारा जवाब दिया था. बताया जाता है कि 1971 के भारत-पाक युद्ध लड़ने वाली 10वीं बिहार बटालियन, सेना की सबसे नौजवान बटालियन थी. इस बटालियन का गठन 1966 में हुआ था. भारतीय इतिहास में बिहार रेजीमेंट के योद्धाओं की बहादुरी वीरता के किस स्वर्णिम अक्षर में लिखे गए हैं.

युद्ध की घोषणा से पहले अखौरा में घुस गई थी बिहार रेजिमेंट : बताया जाता है कि बिहार रेजीमेंट ने वह कर दिखाया जो सेना की दूसरी बटालियन नहीं कर सकती थी जिसकी चर्चा हमेशा होती है. बिहार बटालियन ने भारत सरकार के आदेश का इंतजार किए बिना युद्ध की घोषणा हुए बिना बिहार रेजीमेंट के बहादुर सैनिक दुश्मनों के छक्के छुड़ाने शुरू कर दिए थे. जब तक जंग का ऐलान होता, तब तक बिहार रेजिमेंट के जवानों ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए उनकी सीमा में घुसकर कब्जा कर चुके थे.

1971 का हीरो था बिहार रेजिमेंट : बिहार रेजीमेंट के जवानों ने दुश्मन की मांद में घुसकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए, अखौरा पर कब्जा कर भारतीय सेना को पहली जीत दिलाई थी. बिहार रेजीमेंट के जवानों ने गोलियों की बौछार के बीच अखौरा की ओर बढ़ते रहे और पीछे मुड़कर नहीं देखा. तीन दिन के युद्ध में बिहारी जवानों ने जीतकर बिहार के साथ देश को गौरवान्वित करने का काम किया और पाकिस्तानी फौज को धूल चटाते हुए पीछे हटाया. 1971 युद्ध की चर्चा में बिहार रेजिमेंट के जवानों की बहादुरी का गुणगान देश और दुनिया में होता है.

अब तक होती है जवानों के अदम्य साहस की चर्चा : भारत-पाक युद्ध 3 दिसंबर 1971 को हुआ, लेकिन 10वीं बिहार बटालियन ने 1 दिसंबर 1971 को युद्ध की घोषणा होने से 2 दिन पहले ही पूर्वी पाकिस्तान में घुस गई थी और अखौरा से पहले सेना के जवानों ने धतूरपलिया लोनासार पर अपना कब्जा जमा लिया था. बिहार बटालियन ने जो साहस और आत्मबल से बिहार के साथ देश का मान सम्मान बढ़ाया, उसी का नतीजा है कि 5 अगस्त को बिहार और झारखंड के राज्यपाल के साथ कई लोग वीर नारी सम्मान समारोह में शामिल हो रहे हैं.

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