Makar Sankranti 2022: मोतिहारी में तिलकुट की सोंधी खुशबू पर महंगाई की मार, कीमतों में हुई बढ़ोतरी
Updated on: Jan 11, 2022, 3:54 PM IST

Makar Sankranti 2022: मोतिहारी में तिलकुट की सोंधी खुशबू पर महंगाई की मार, कीमतों में हुई बढ़ोतरी
Updated on: Jan 11, 2022, 3:54 PM IST
मोतहारी में वातावरण में फैली तिलकुट ( Makar Sankranti festival in Motihari ) की सोंधी खुशबू से बाजार महक उठा है. ऐसे में मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है. तिलकुट और लाई की दुकानें सजने लगती है. लेकिन इसबार तिलकुट पर महंगाई की मार पड़ी है. पढ़ें मोतिहारी से स्पेशल रिपोर्ट..
पूर्वी चंपारण (मोतिहारी): मकर संक्रांति का त्योहार (Makar Sankranti 2022) नजदीक आ गया है. ऐसे में बिहार के पूर्वी चंपारण में तिलकुट की मांग (Tilkut Market in Motihari) बढ़ गई है. मोतिहारी शहर के मुख्य बाजारों समेत अन्य चौक-चौराहों पर तिलकुट की दुकानें सज चुकी हैं. वातावरण में फैली तिलकुट की सोंधी खुशबू से बाजार महक उठा है. कारीगर तिलकुट बनाने में जुटे हुए हैं और दुकानों पर लोग तिलकुट खरीदने पहुंच रहे हैं. लेकिन इस बार तिलकुट पर महंगाई की मार पड़ी है. हर तरह के तिलकुट के दाम पिछले साल के अपेक्षा इस साल बढ़े हुए हैं.
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मोतिहारी में सजी तिलकुट की दुकानें : मकर संक्रांति को लेकर बाजार में काफी चहल-पहल है. जगह-जगह तिलकुट और लाई की दुकानें लगी हुई है. मकर संक्रांति नजदीक आते ही कारीगरों द्वारा तिलकुट बनाने का काम जोरों पर चलता है. लेकिन इस बार फिर से कोरोना के बढ़ते संक्रमण से दुकानदारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सरकार के गाइडलाइन को देखते हुए दुकानदारों ने इस साल तिलकुट के बाजार में कम पूंजी लगाने में ही अपनी भलाई समझी है और कम मात्रा में तिलकुट बना रहे हैं.
वहीं, गया के प्रसिद्ध तिलकुट के नाम पर भी दुकानें सजी हुई है. प्रत्येक साल यहां मकर संक्रांति से दो महीना पहले तिलकुट व्यवसायी गया से आकर दुकान लगाते हैं. प्रत्येक वर्ष गया से आकर मोतिहारी में तिलकुट का दुकान लगाने वाले दुकानदार नरेंद्र प्रसाद ने बताया कि मकर संक्रांति के मौके पर तिलकुट के बाजार पर बढ़ते कोरोना से क्या कुछ असर पड़ रहा है.
"इस साल भी तिलकुट के बाजार पर कोरोना का प्रभाव पड़ा है. सरकार कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए गाइडलाइंस भी जारी कर चुकी है. जिसका सीधा असर तिलकुट के बाजार पर दिख रहा है. वहीं इस बार तिलकुट बी महंगा बिक रहा है. तिलकुट के सभी वैरायटी के दामों में 20 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है. जिसका असर तिलकुट की बिक्री पर भी पड़ता दिख रहा है. ऐसे में मुनाफा नहीं के बराबर है. लेकिन गया के प्रसिद्ध तिलकुट का स्वाद सभी तक पहुंचे इसके लिए व्यवसायी इस बार भी तिलकुट की बिक्री कर रहे हैं." -नरेंद्र प्रसाद, तिलकुट व्यवसायी
बता दें कि इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा. जिसको लेकर लोग विशेष रुप से तैयारी कर रहे हैं. हालांकि लोग मकर संक्रांति के पहले से ही तिलकुट और लाई का आनंद उठाने लगते हैं. इस बार भी तिलकुट और लाई की खरीददारी के लिए लोगों की भीड़ दुकानों पर देखी जा सकती है. साथ ही लोग अपने घर से लेकर अपने सगे संबंधित परिवार वालों के घर दही, चूड़ा, तिलकुट और तिलवा सहित घी और घेवर पहुंचा रहे हैं.
फिलहाल, मकर संक्रांति को लेकर तरह-तरह के तिलकुट से बाजार सजा हुआ है. लोग अपने हिसाब से तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं. बाजार में गुड़ का खोआ तिलकुट 600 रुपया प्रतिकिलो, चीनी का खोआ तिलकुट 580 रुपया प्रति किलो, गुड़ का तिलकुट 340 रुपया प्रति किलो, चीनी का तिलकुट 320 रुपया प्रतिकिलो, काला और उजला तिलकुट 300 रुपया प्रतिकिलो, गुलाबी रेवड़ी 220 रुपया प्रतिकिलो और मीठा रेवड़ी 250 रुपया प्रतिकिलो बिक रहा है. दुकानदारों की माने, तो कोरोना के बढ़ते संक्रमण और महंगाई की मार के कारण इसबार तिलकुट बाजार में पूंजी लगाना खतरे से खाली नहीं है.
बता दें कि देश के अलग-अलग प्रांतों में मकर संक्रांति से जुड़ीं कई मान्यताएं और परंपराएं हैं. इसी आस्था और विश्वास के साथ यह पर्व पूरे देश और प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. बिहार में मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ के पकवानों के साथ ही दही चूड़ा और खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह उठकर स्नान ध्यान करते हैं. नदी तट पर स्नान करना भी शुभ माना जाता है. इसके बाद लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं. साथ ही साथ दान पुण्य भी करते हैं.
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