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सोना लूटकांडः बिहार की सबसे सुरक्षित जेल में बंद अपराधी, देश के कई राज्यों की पुलिस के लिए बना सिरदर्द

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Published : Dec 2, 2022, 5:11 PM IST

बिहार के जेल में बंद अपराधियों का बाहर के अपराध से पुराना रिश्ता रहा है. ताजा मामला मध्यप्रदेश से जुड़ा हुआ है. सुबोध सिंह पिछले 4 साल से बेउर जेल में बंद (Subodh Singh in Beur Jail) है, इसके बावजूद दर्जनों अपराध में उसकी संलिप्तता सामने आयी है. पटना बेऊर जेल में आपराधिक गतिविधियों का संचालन किया जाता है, इस बात का आरोप अक्सर लगाए जाते रहे हैं. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है.

बेउर जेल
बेउर जेल

पटना: मध्य प्रदेश के कटनी में गोल्ड लोन फाइनेंस कंपनी में 15 किलो सोना और ₹300000 नगदी लूटपाट की घटना में बेऊर जेल में बंद सुबोध सिंह का नाम (Subodh Singh involvement in gold robbery case ) सामने आया है. जिसके बाद सवाल उठ रहा है कि बिहार की सबसे बड़ी सुरक्षित जेल की चारदीवारी में कैद है लेकिन फिर भी देश के अलग-अलग राज्यों में पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है. 4 सालों में जेल में रहते हुए उसके खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे जेल में बंद अपराधी अपने गुर्गों से अपराध को अंजाम दिलवा रहे हैं.

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जेल में बंद अपराधियों का बाहर के अपराध से पुराना रिश्ता रहा है.


जेल में बंद अपराधियों की संलिप्तता: सितंबर में झारखंड के धनबाद मुथूट फाइनेंस में हुई डकैती में भी सुबोध सिंह का नाम सामने आया था. सितंबर महीने में जब झारखंड के धनबाद में मुथूट फाइनेंस बैंक में डकैती करने पहुंचे 5 बदमाशों में से एक को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया था, दो बदमाश को गिरफ्तार किया गया दो मौके से भागने में कामयाब हुए. गिरफ्तार दोनों बदमाशों ने यह बात कबूल किया था कि वह पटना बेउर जेल में बंद सुबोध सिंह के गिरोह के लिए काम करता है. लूट ही नहीं हत्या रंगदारी जैसे मामले में भी जेल में बंद अपराधियों की संलिप्तता सामने आती रहती है. विगत कुछ दिन पहले पटना आईआईएफएल गोल्ड लोन कंपनी में भी लूटपाट में बेउर जेल के कैदी का नाम आया था.

पुलिस के लिए सिरदर्दः राजधानी का केंद्रीय आदर्श कारा बेउर पिछले कुछ महीनों से पटना पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है. जेल में बंद अपराधी जिले में हो रहे अपराधों को अंदर से ही कंट्रोल कर रहे हैं. हत्या, लूट, रंगदारी की साजिश जेल में रची जा रही है, जिसे बाहर घूम रहे कुख्यात के गुर्गे अंजाम दे रहे हैं. महज तीन महीने में जेल के अंदर दो बार बड़े पैमाने पर छापेमारी की गई, मगर हालत नहीं सुधरे. कुछ पेशेवर अपराधियों को बेउर जेल से भागलपुर स्थित आदर्श केंद्रीय कारा में भेजा गया था, लेकिन वे कानूनी दाव-पेंच लगा लौट आए. हाल ही में चूड़ी मार्केट से रंगदारी मांगने वाला बेउर जेल का कैदी भवानी आडियो में राहुल नामक बंदी से मोबाइल का चार्जर मांगते और दूसरे को गांजा बनाने का आदेश देते सुनाई दिया. जेल प्रशासन की उदासीनता के कारण शहर में संगीन अपराध हो रहे हैं, जिस पर रोक लगाना पटना पुलिस के लिए चुनौती बन गई है.

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बेउर जेल
बेउर जेल


जेल से ही सुपारी दीः चूड़ी मार्केट के व्यवसायी सुशील कुमार से जेल में कैद भवानी ने हर महीने 25 हजार रुपये रंगदारी देने के लिए काल की थी. इसके बाद उसके गुर्गे रकम वसूलने गए थे. व्यवसायी ने रुपये देने से इन्कार किया तो भवानी ने फिर काल कर बुरा अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. पूर्व विधायक चितरंजन शर्मा के सगे भाई शंभू शरण शर्मा और गौतम की हत्याओं में बेउर जेल में बंद नीतीश कुमार की भूमिका सामने आई है. नीतीश पर आरोप है कि उसी ने पूर्व विधायक के चाचा और चचेरे भाई की हत्या की है. पटना पुलिस ने भी माना था कि जेल से ही सुपारी देकर हत्या करने के लिए शूटरों को भेजा गया था.आइआइएफएल गोल्ड लोन कंपनी से चार करोड़ रुपये के सोना लूटकांड के तार भी बेउर जेल से जुड़ते नजर आ रहे हैं. एसआइटी वहां बंद एक कैदी की भूमिका मान रही है.

कौन है सुबोध सिंहः दरअसल, नालांदा जिले का रहने वाला सुबोध सिंह बीते एक दशक से अपराध की दुनिया में सक्रिय है. उसके निशाने पर सोना है. खासकर मल्लपुरम गोल्ड लोन, मुत्थुट फाइनेंस समेत अन्य कंपनियां है. देश के आधा दर्जन राज्यों में उसका खौफ है. कटनी से पहले उसके गिरोह ने उदयपुर में बड़ी लूट की वारदात को अंजाम दिया था. सुबोध सिंह को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 2018 में उसके पास से 15 किलो सोना और हथियार मिले थे. उसके खिलाफ जयपुर, चेन्नई, कोलकता, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र में केस दर्ज है. वह पटना के बेउर जेल में ही रहकर गिरोह का संचालन कर रहा है.

सुबोध सिंह. (फाइल फोटो)
सुबोध सिंह. (फाइल फोटो)

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जेल में बंद कैदी को होती जानकारीः बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान चिंता जताते हुए कहा कि किसी भी जेल में बंद कैदी द्वारा बाहर घटना को अपने गुर्गों द्वारा अंजाम दिलवाया जा रहा है इससे ज्यादा चिंता के विषय बिहार के लिए नहीं हो सकता है इस पर प्रशासन को गंभीर होना पड़ेगा. हालांकि उन्होंने बताया कि इसमें जेल प्रशासन की कोई कमी नहीं है उनका काम है जेल मैनुअल के अनुसार उनकी देखभाल करना है. उन्होंने खुद की लिखी किताब उन बोउसन्द में भी इस बात का जिक्र उन्होंने किया है जिसका हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी जिले के मुख्य अपराधी सबसे ज्यादा उस जिले के जेल में बंद होते हैं शहर या जिले में हो रहे अपराध या अपराधी के बारे में जानकारी जेल में बंद कैदी को होती है. हालांकि उन्होंने बताया कि यह कोई पहली बाहर ऐसी घटना नहीं घटी है. इससे पहले भी जब मोबाइल का जमाना नहीं हुआ करता था तब भी जेल में बंद अपराधी अपने गुर्गों से घटना को अंजाम दिलवाते हैं.

किसी कोने में जैमर नहीं काम करताः अभयानंद ने कहा कि इस मामले में अपराधी जेल में बंद है पुलिस चाहे तो उससे पूछताछ कर सकती है. अगर वह बाहर होता तो पुलिस के लिए उसी गिरफ्तारी सबसे बड़ा चुनौती होती है. बाहर हुआ फिजिकली कई तरह से घटना को अंजाम दे सकता था. पुलिस के लिए सबसे बड़ा सोर्से से जेल में बंद कैदी होते हैं. उन्होंने बताया कि जेलों में लगे जैमर की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कैदी को पता है किसी ना किसी कोने में जैमर नहीं काम करता है. जहां पर वह अपने मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस को अपराधियों को पकड़ने के लिए जेलों में जैमर के जगह पर इंसेपेटर लगाना चाहिए. उनकी हो रही बातों को रिकॉर्ड करना चाहिए. अपराधी तक पहुंचा जा सकता है. हालांकि उन्होंने बताया कि बिहार का भागलपुर सेंट्रल जेल सबसे कड़ा माना जाता है वैसे कैदियों को वहां शिफ्ट करना चाहिए जेल प्रशासन ऐसा क्यों नहीं कर रहा है यह एक बड़ा सवाल है.

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'कोई दो राय नहीं है कि सोना लूट कांड मामले में सुबोध सिंह का हाथ हो सकता है, परंतु जरूरी नहीं है कि उसके द्वारा बेउर जेल में बंद होने के दौरान अपने गुर्गों को किसी घटना को अंजाम देने के लिए कहा गया हो. सुबोध सिंह अपने केस से जुड़े मामले में पटना, दानापुर कोर्ट, पटना सिविल कोर्ट आते जाते रहता है, ऐसे में सिविल कोर्ट में भी अपने गुर्गों से मिल सकता है. हो सकता है कि प्लानिंग वहीं किया गया हो. बेवजह बेऊर जेल को बदनाम करना कहीं से भी ठीक नहीं है'-इंजीनियर जितेंद्र कुमार सिंह, जेल अधीक्षक, बेऊर

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